दीपावली पर छोटे व्यापारियों को राहत देने की पहल – निगमाध्यक्ष मनीष पाठक का मुख्यमंत्री को पत्र
दीपावली पर छोटे व्यापारियों को राहत देने की पहल – निगमाध्यक्ष मनीष पाठक का मुख्यमंत्री को पत्र
दीपावली भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है, जो केवल घर-आंगन में दीप जलाने और मिठाइयों के आदान-प्रदान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्थानीय व्यापारियों, कारीगरों, महिला स्व-सहायता समूहों और ग्रामीण हस्तशिल्प निर्माताओं के लिए रोज़गार का सुनहरा अवसर भी लेकर आता है। कटनी नगर निगम अध्यक्ष मनीष पाठक ने इस वर्ष दीपावली को छोटे व्यापारियों की खुशहाली का पर्व बनाने के उद्देश्य से एक सराहनीय पहल की है। इसके तहत उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शासन से आग्रह किया है कि इन वर्गों को नगरीय सीमा में निर्धारित स्थानों पर अस्थायी रूप से व्यवसाय की अनुमति दी जाए तथा शुल्क में छूट प्रदान की जाए।
दीपावली – उत्सव, उजियारा और रोजगार का संगम
दीपावली केवल रोशनी और आनंद का पर्व नहीं, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था का इंजन भी है। इस समय लाखों लोग घर की सजावट, मिठाई, पटाखे, मिट्टी के दीये, रंगोली और हस्तशिल्प उत्पाद खरीदते हैं। ऐसे में अगर रेहड़ी-पटरी वाले, छोटे दुकानदार और हस्तकला निर्माताओं को अस्थायी व्यापार की अनुमति और शुल्क में छूट मिल जाए, तो उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
मनीष पाठक का कहना है कि दीपावली पर्व पर इस तरह की सुविधा से छोटे व्यापारियों की आजीविका मजबूत होगी, और यह स्थानीय अर्थव्यवस्था में नया उत्साह और जोश भर देगा।
छोटे व्यापारियों के लिए राहत क्यों ज़रूरी है?
आर्थिक मजबूती: छोटे व्यापारियों की आमदनी का सबसे बड़ा साधन त्योहारों का मौसम होता है।
सस्ती वस्तुएं आमजन को: जब स्थानीय कारीगरों और विक्रेताओं को सीधी बिक्री का मौका मिलता है, तो उपभोक्ताओं को सस्ते और गुणवत्तापूर्ण सामान मिलते हैं।
महिला स्व-सहायता समूहों को सशक्तिकरण: दीपावली पर घर-घर की जरूरतों के लिए महिलाएं अपने समूहों के द्वारा उत्पाद बेच सकती हैं, जिससे उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता मिलती है।
ग्रामीण हस्तशिल्प को बढ़ावा: मिट्टी के दीये, हैंडमेड क्राफ्ट, और पारंपरिक सजावटी वस्तुएं सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचती हैं।
निगमाध्यक्ष की अपील और अपेक्षाएं
पत्र में मनीष पाठक ने स्पष्ट किया कि दीपावली स्थानीय व्यापारियों के लिए वर्ष का सबसे बड़ा व्यापारिक अवसर है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि पिछले वर्षों की तरह इस बार भी रेहड़ी-पटरी व्यवसायियों और हस्तशिल्प निर्माताओं को नगरीय सीमा में निर्धारित स्थलों पर व्यापार करने की अनुमति दी जाए और शुल्क में छूट प्रदान की जाए।
उनका कहना है कि इस कदम से न केवल व्यापारियों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा बल्कि प्रदेश में विकास और रोजगार का माहौल भी मजबूत होगा।
महिला स्व-सहायता समूहों की भूमिका
दीपावली का पर्व महिला स्व-सहायता समूहों को अपनी कला और मेहनत को बाजार तक पहुंचाने का बड़ा अवसर देता है।
ये समूह घर में तैयार की गई मिठाइयां, सजावटी वस्तुएं, हस्तनिर्मित दिये या कैंडल, सूखे मेवे और अन्य सामान बेचते हैं।
अगर नगर निगम और शासन इन समूहों को अनुमति देने और शुल्क में छूट का निर्णय लेते हैं, तो यह महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि होगी।
छोटी दुकानों से सजेगी नगरीय अर्थव्यवस्था
जब नगर निगम निर्धारित स्थानों पर अस्थायी बाजार की अनुमति देता है, तो शहर का व्यापारिक माहौल बदल जाता है।
गली-गली में दीपावली के सामानों से सजी दुकानों की श्रृंखला न केवल खरीदारी का आनंद देती है बल्कि पर्यटन और स्थानीय पहचान को भी बढ़ाती है।
स्थानीय हस्तशिल्प को सीधे ग्राहक तक पहुंचाने के लिए यह पहल ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे अभियानों के अनुरूप है।
शासन की पूर्व भूमिका और उम्मीदें
मध्यप्रदेश शासन ने पूर्व वर्षों में लघु व्यापारियों और महिला स्व-सहायता समूहों को समर्थन देने के कई कदम उठाए हैं।
दीपावली जैसे प्रमुख अवसरों पर नगरीय क्षेत्रों में शुल्क में छूट देकर व्यापारियों को राहत प्रदान करना इस परंपरा का हिस्सा रहा है।
मनीष पाठक ने उम्मीद जताई है कि इस वर्ष भी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में ऐसा निर्णय लिया जाएगा जिससे प्रदेशभर के छोटे व्यापारियों को राहत मिलेगी।
जनहित में अग्रसर यह मांग क्यों विशेष है?
यह मांग केवल व्यापारियों की आय बढ़ाने के लिए नहीं है, बल्कि समाज में आर्थिक समानता और न्याय को सुनिश्चित करने का प्रयास है।
जब छोटे व्यापारी और कारीगर सुरक्षित, निर्धारित स्थानों पर अपने सामान बेचते हैं, तो उन्हें अनावश्यक प्रशासनिक परेशानियों या जुर्माने से मुक्ति मिलती है।
इसके साथ ही खरीदारों को भी यह भरोसा होता है कि वे उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण सामान खरीद रहे हैं।
दीपावली का असली अर्थ तभी पूरा होगा जब इसका उजियारा गरीब और छोटे व्यापारियों के जीवन में भी फैले।
निगमाध्यक्ष मनीष पाठक की यह पहल जनहित के साथ-साथ व्यापारिक विकास की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
अगर मुख्यमंत्री इस दिशा में शीघ्र कदम उठाते हैं, तो इस दीपावली लाखों छोटे व्यवसायियों के आंगन में भी सुख और आशा के दीप जलेंगे।
Written & Edited By: ADIL AZIZ
(जनहित की बात, पत्रकारिता के साथ)
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