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पशु मालिकों द्वारा मवेशियों को खुला छोड़ना अब प्रतिबंधित: सड़क सुरक्षा हेतु बड़ा कदम

 ✍️ लेखक एवं संपादक: आदिल अज़ीज़

📅  2 जुलाई 2025





कटनी में सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए प्रशासन हुआ सख्त




: मवेशी खुला छोड़ना प्रतिबंध, कटनी गौवंश आदेश, सड़क सुरक्षा आदेश, पशु मालिक दंड, कलेक्टर दिलीप कुमार यादव आदेश, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023


कटनी जिले में सड़क पर बेधड़क विचरते गौवंश और अन्य मवेशियों से हो रही दुर्घटनाओं और जन-धन की हानि को देखते हुए, जिला प्रशासन ने एक ऐतिहासिक और कड़े निर्णय की घोषणा की है। अब कोई भी पशुपालक अपने मवेशियों को सार्वजनिक सड़कों पर खुला नहीं छोड़ सकेगा। इस बाबत कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के अंतर्गत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है।

क्यों लिया गया यह निर्णय?

पिछले कुछ महीनों में नेशनल हाइवे और जिले के मुख्य मार्गों पर आवारा मवेशियों की वजह से कई गंभीर सड़क हादसे हुए हैं। इन हादसों में न केवल वाहन चालकों को नुकसान हुआ, बल्कि खुद मवेशियों की भी जान गई। यह स्थिति न केवल मानव जीवन के लिए खतरा बनी हुई थी, बल्कि यह पशु क्रूरता की परिधि में भी आता है।

कलेक्टर के आदेश के अनुसार, कोई भी पशुपालक जानबूझकर या लापरवाहीवश अपने मवेशियों को सार्वजनिक स्थानों पर खुला छोड़ता है, तो उसके खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।


बीमार या विकलांग मवेशी न छोड़े जाएं सड़कों पर

प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी पशुपालक के पास बीमार, रोगग्रस्त या विकलांग मवेशी हैं, तो उन्हें सड़कों पर छोड़ने की अनुमति नहीं होगी। यदि उन्हें कहीं भेजना जरूरी हो, तो संबंधित स्थानीय निकाय या गौशाला संचालक से संपर्क कर उचित प्रबंधन करें। इससे पशुओं की दुर्दशा भी रोकी जा सकेगी और यातायात सुचारू रूप से चलता रहेगा।


गांव-शहर की पंचायतें और निकाय निभाएं सक्रिय भूमिका

आदेश में यह भी निर्देशित किया गया है कि ग्राम पंचायतें और नगरीय निकाय इस आदेश की मुनादी कराएं, ताकि सभी पशुपालकों को इसकी जानकारी हो सके। पशुपालकों को यह सूचित किया जाए कि वे अपने मवेशियों को अपने घरों में ही बांध कर रखें।

पंचायतों और नगर निकायों को पशु क्रूरता अधिनियम 1960 और मप्र नगर पालिका अधिनियम 1956 के तहत कार्रवाई करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आवश्यकता पड़ने पर, स्थानीय स्तर पर वालेंटियर्स की सेवाएं भी ली जा सकती हैं।


सड़क निर्माण एजेंसियों की जिम्मेदारी भी तय

कलेक्टर द्वारा दिए गए आदेश में सड़क निर्माण एजेंसियों की भी स्पष्ट जिम्मेदारी तय की गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI), मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MPRDC), लोक निर्माण विभाग, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना जैसी संस्थाओं को सड़कों पर मवेशियों को रोकने के लिए सतत पेट्रोलिंग करने और तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।

साथ ही, सड़क दुर्घटना में मृत पशुओं के शीघ्र निस्तारण और घायल पशुओं के इलाज के लिए पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग से समन्वय बनाए रखने का निर्देश है।


जानकारी देने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी

अगर कोई व्यक्ति सड़कों पर मृत या घायल पशु को देखता है, तो वह तुरंत सूचना जिला कंट्रोल रूम को दे सकता है। इसके लिए निम्नलिखित नंबर जारी किए गए हैं:

  • जिला कंट्रोल रूम: 📞 07622-220071

  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग आपातकालीन सेवा: 📞 1033

  • पशु चिकित्सा एंबुलेंस (टोल फ्री): 📞 1962

इन सेवाओं के माध्यम से आम नागरिक प्रशासन को सहयोग देकर जानवरों और इंसानों दोनों की जान बचा सकते हैं।


प्रशासन की मंशा: सभी की सुरक्षा

इस आदेश के पीछे प्रशासन की स्पष्ट मंशा है — जनजीवन की सुरक्षा, पशु कल्याण और सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश। इस तरह की पहल से एक तरफ जहां मवेशियों की दुर्दशा रोकी जा सकेगी, वहीं दूसरी ओर आम जनता के जीवन और वाहनों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।


क्या कहती है जनता?

स्थानीय नागरिकों ने इस कदम का स्वागत किया है। कटनी के व्यापारी साजिद खान का कहना है, “कई बार सड़कों पर मवेशी अचानक आ जाते हैं और बड़ा हादसा हो जाता है। प्रशासन का ये कदम सराहनीय है।"
वहीं ग्राम पंचायत की सदस्य कविता मिश्रा ने बताया, “हम अपनी पंचायत में तुरंत मुनादी कराएंगे और ग्रामीणों को आदेश की जानकारी देंगे।”


 पालन करें, सहयोग करें

इस आदेश का पालन करना हर पशुपालक और नागरिक का कर्तव्य है। यह केवल एक नियम नहीं, बल्कि सड़क सुरक्षा और पशु कल्याण का संयुक्त प्रयास है। यदि समाज के सभी वर्ग मिलकर सहयोग करें, तो यह आदेश न केवल प्रभावी होगा, बल्कि इससे एक सकारात्मक परिवर्तन की नींव रखी जा सकेगी।


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✍️ Written & Edited by: आदिल अज़ीज़

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