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मध्यप्रदेश फिर होगा गौरवान्वित: स्वच्छता में रचेगा नया कीर्तिमान

 



✍️ लेखक एवं संपादक: आदिल अज़ीज़


मुख्यमंत्री मोहन यादव बोले – इंदौर को आठवीं बार स्वच्छता में शीर्ष स्थान, भोपाल देश की सर्वश्रेष्ठ राजधानी




स्वच्छता सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक उपलब्धि

मध्यप्रदेश एक बार फिर से स्वच्छता के क्षेत्र में देशभर में अपनी अलग पहचान बनाने जा रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जानकारी दी है कि 17 जुलाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा मध्यप्रदेश के आठ शहरों को स्वच्छता की विभिन्न श्रेणियों में सम्मानित किया जाएगा। इस सम्मान समारोह में इंदौर, भोपाल, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर, देवास, शाहगंज और बुधनी नगर शामिल होंगे।

यह गौरवशाली क्षण केवल शहरों के लिए नहीं, बल्कि पूरे प्रदेशवासियों के लिए गर्व की बात है। मुख्यमंत्री ने इस सफलता का श्रेय स्वच्छता कर्मियों, नगरीय निकायों, महापौरों, अध्यक्षों, पार्षदों, अधिकारियों, कर्मचारियों और जागरूक नागरिकों को दिया।


इंदौर बना देश का स्वच्छता ब्रांड – आठवीं बार मिला शीर्ष सम्मान

इंदौर ने एक बार फिर से अपने स्वच्छता मॉडल को सिद्ध करते हुए "सुपर स्वच्छ लीग श्रेणी" में आठवीं बार पहला स्थान हासिल किया है। यह उपलब्धि बताती है कि इंदौर न केवल प्रशासनिक तौर पर सजग है, बल्कि जनता भी पूरी तरह से स्वच्छता अभियान में भागीदार बनी हुई है।

पिछले सात वर्षों से इंदौर लगातार देश का स्वच्छतम शहर बन रहा है और इस बार भी उसने यह परंपरा कायम रखी है। इस सफलता के पीछे बेहतर कचरा प्रबंधन, जन भागीदारी, डिजिटल मॉनिटरिंग और सतत जन-जागरूकता अभियान का बड़ा योगदान है।


उज्जैन और बुधनी को भी मिली स्वच्छता की बड़ी उपलब्धि

उज्जैन को 3 से 10 लाख की जनसंख्या श्रेणी में स्वच्छता में बेहतर प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया जाएगा। उज्जैन ने धार्मिक नगरी होते हुए भी साफ-सफाई के मामले में असाधारण प्रबंधन दिखाया है।

वहीं, 20 हजार से कम जनसंख्या वर्ग में बुधनी नगर को यह प्रतिष्ठित सम्मान मिल रहा है। बुधनी ने सीमित संसाधनों के बावजूद साफ-सफाई को लेकर जो प्रयास किए हैं, वे बड़े नगरों के लिए भी प्रेरणादायक हैं।


भोपाल – प्राकृतिक सौंदर्य के साथ अब देश की सबसे स्वच्छ राजधानी

मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से बताया कि भोपाल को "देश की सर्वश्रेष्ठ राजधानी" के रूप में सम्मानित किया जाएगा। भोपाल अपने झीलों, हरियाली और स्वच्छता के मॉडल के लिए अब राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुका है।

स्वच्छता में तकनीकी नवाचार, वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट्स, और जन-जागरूकता अभियानों की बदौलत भोपाल यह सम्मान प्राप्त करने जा रहा है। यह सम्मान राजधानी के समग्र विकास की भी पुष्टि है।


अन्य सम्मानित शहर – ग्वालियर, देवास, शाहगंज और जबलपुर

स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में ग्वालियर, देवास, शाहगंज और जबलपुर भी अपने-अपने वर्गों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कार पाएंगे। इन शहरों ने कचरा पृथक्करण, पब्लिक टॉयलेट्स की सफाई, कंपोस्टिंग और जनसहभागिता के माध्यम से नई मिसाल कायम की है।

इन सभी शहरों की सफलता का मूल मंत्र एक ही है – सामूहिक प्रयास और संकल्पित नागरिक। जब जनता और प्रशासन एक साथ काम करते हैं, तो परिणाम अवश्य आते हैं।


मुख्यमंत्री का संदेश – हर नागरिक बनें स्वच्छता अभियान का भागीदार

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि "स्वच्छ भारत" महज़ एक सरकारी योजना नहीं है, बल्कि यह एक जन-आंदोलन है। स्वच्छता केवल पुरस्कार या रैंकिंग का विषय नहीं है, बल्कि यह एक सभ्य, स्वस्थ और जागरूक समाज की पहचान है।

उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे अपने-अपने शहरों को साफ-सुथरा रखने में आगे आएं, गीले और सूखे कचरे को अलग करें, खुले में कचरा न फेंके और नियमित सफाई में भाग लें।


मध्यप्रदेश की स्वच्छता यात्रा – सफलता के पीछे की कहानी

मध्यप्रदेश में स्वच्छता अभियान की शुरुआत सिर्फ कागजों पर नहीं हुई, बल्कि इसे ज़मीन पर उतारने के लिए लगातार प्रयास किए गए। नगरीय प्रशासन विभाग ने विशेष निगरानी सेल बनाए, डिजिटल ऐप्स के माध्यम से नागरिकों की शिकायतों का त्वरित समाधान किया और स्कूलों व सामाजिक संगठनों को भी अभियान से जोड़ा।

"स्वच्छता ही सेवा", "कचरे से कमाई", और "हर वार्ड – साफ वार्ड" जैसे नवाचारों ने प्रदेश को इस मुकाम तक पहुंचाया है।


निष्कर्ष – स्वच्छता में भारत का नेतृत्व करता मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश की यह उपलब्धि न केवल प्रदेश के लिए, बल्कि देश के लिए भी प्रेरणास्पद है। इंदौर, भोपाल, उज्जैन, बुधनी जैसे शहर आज देश के अन्य शहरों के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं।

स्वच्छता केवल अवॉर्ड्स जीतने का जरिया नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ वातावरण देने की जिम्मेदारी है। मध्यप्रदेश इस जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी और मेहनत से निभा रहा है।


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