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कटनी में आवारा पशुओं पर प्रशासन का शिकंजा: 2 पशुपालकों पर एफआईआर, सड़क सुरक्षा के लिए सख्त कार्रवाई

 ✍️ लेखक एवं संपादक: आदिल अज़ीज़

📆  12 जुलाई 2025

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घुमंतु पशुओं से हो रही दुर्घटनाओं पर प्रशासन सख्त, नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत की गई कार्रवाई

कटनी – घुमंतु पशुओं के कारण हो रही सड़क दुर्घटनाओं और जनहानि की बढ़ती घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए कटनी जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। कलेक्टर और जिला दंडाधिकारी दिलीप कुमार यादव के निर्देशानुसार, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के उल्लंघन पर 2 पशुपालकों के विरुद्ध स्लीमनाबाद थाना में एफआईआर दर्ज कराई गई है।

यह कार्रवाई एक उदाहरण है कि प्रशासन अब केवल चेतावनी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि नियम तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी।






📌 प्रशासन की चेतावनी के बाद भी पशुपालकों ने नहीं मानी बात

जिला प्रशासन ने 1 जुलाई को ही प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया था जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गों एवं शहर की मुख्य सड़कों पर पशुओं को खुला छोड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया था। इसके बावजूद स्लीमनाबाद थाना क्षेत्र अंतर्गत किवलारी तिराहा रोड पर आवारा गौवंश के जमावड़े की सूचना मिलने पर पटवारी गणेश सिंह ठाकुर द्वारा दो पशुपालकों—राजेश प्रधान और राजेंद्र गोंड—के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई।


🐄 इलेक्ट्रॉनिक टैग स्कैन कर की गई पहचान

इस कार्यवाही को अत्याधुनिक और प्रमाणिक बनाने हेतु घुमंतु गायों के कान में लगे टैग को स्कैन कर पशुपालकों की पहचान की गई। इस डिजिटल ट्रैकिंग से यह साफ हुआ कि उक्त पशु राजेश प्रधान और राजेंद्र गोंड के स्वामित्व में थे।

इस कार्यप्रणाली से यह संकेत मिलता है कि प्रशासन अब तकनीक का सहारा लेकर जिम्मेदारी तय करने और सटीक कार्रवाई करने के लिए तैयार है।


🚨 कानून का उल्लंघन अब महंगा पड़ेगा

इस मामले में भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के साथ-साथ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के अंतर्गत भी कार्रवाई की गई है।
आवारा घूमते पशु न सिर्फ स्वयं के लिए खतरा हैं, बल्कि सड़क पर चल रहे वाहन चालकों और पैदल यात्रियों के लिए भी गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।


💬 कलेक्टर का स्पष्ट संदेश: शहरी और ग्रामीण पशुपालक लें जिम्मेदारी

कलेक्टर ने पहले ही सभी नगर निकायों, पंचायतों और पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दे रखे हैं कि यदि घुमंतु पशु सार्वजनिक सड़कों पर पाए जाते हैं, तो संबंधित पशुपालक के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाए

यह निर्णय खास तौर पर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30, शहर की अन्य मुख्य सड़कों और भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर दुर्घटनाओं की बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए लिया गया है।


⚰️ मृत पशुओं के वैज्ञानिक निष्पादन के निर्देश

एक अन्य बैठक में कलेक्टर ने अतिवर्षा, बाढ़ या दुर्घटना में मृत पशुओं के वैज्ञानिक व तकनीकी निष्पादन के निर्देश दिए हैं।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उपसंचालक डॉ. आर के सोनी ने इस पर कार्रवाई करते हुए सभी पशु चिकित्सा अधिकारियों को नगर निगम, नगर पंचायत एवं ग्राम पंचायत से समन्वय करने के निर्देश दिए हैं।

इस कार्य के अंतर्गत डॉ. सोनी ने नगर निगम के एमएसडब्ल्यू प्लांट का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित किया कि मृत पशुओं का निपटान पर्यावरण और स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप हो।


🧠 समस्या नहीं, समाधान बनें पशुपालक

अक्सर यह देखा गया है कि पशुपालक अपने मवेशियों को दिन में खुला छोड़ देते हैं, जिससे वे सड़कों पर पहुंचकर दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। अब समय है कि पशुपालक अपनी जिम्मेदारी को समझें और प्रशासन के साथ सहयोग करें।

गाय, बैल या अन्य मवेशी किसी परिवार का हिस्सा होते हैं, उन्हें सुरक्षित और नियंत्रित ढंग से पालना प्रत्येक पशुपालक का कर्तव्य है।


📷 कार्यवाही के प्रभाव: लोग हो रहे जागरूक

एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही स्थानीय समाज और सोशल मीडिया में इस विषय पर चर्चा तेज हो गई है। लोग इसे प्रशासन की प्रभावी पहल मान रहे हैं। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि "ऐसे ही मजबूत प्रशासन चाहिए, जो जनहित में कठोर निर्णय लेने से न डरे।"


📢 जागरूकता भी जरूरी है

प्रशासन द्वारा उठाए गए इस कदम से अन्य पशुपालकों को भी एक संदेश मिला है कि अब पशुओं को खुला छोड़ने पर केवल जुर्माना नहीं बल्कि कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।

साथ ही प्रशासन को भी चाहिए कि वह शहर और ग्राम क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए, जिससे पशुपालकों को कानून और दायित्वों की जानकारी हो।


कटनी जिले में घुमंतु पशुओं को लेकर की गई यह सख्त कार्यवाही एक मील का पत्थर साबित हो सकती है, बशर्ते इसे नियमित और निष्पक्ष रूप से लागू किया जाए।

प्रशासन की इस पहल से जहां सड़क दुर्घटनाओं में कमी आने की उम्मीद है, वहीं पशुपालकों के बीच भी जिम्मेदारी का बोध बढ़ेगा


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