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कलेक्टर के सख्त रुख के बाद मुरवारी उचित मूल्य दुकान में खाद्यान्न घोटाला: विक्रेता और समिति प्रबंधक पर FIR दर्ज

 कलेक्टर के सख्त रुख के बाद मुरवारी उचित मूल्य दुकान में खाद्यान्न घोटाला: विक्रेता और समिति प्रबंधक पर FIR दर्ज




written & edited by : ADIL AZIZ

कटनी जिले में शासकीय उचित मूल्य दुकानों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कलेक्टर दिलीप कुमार यादव द्वारा सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में मुरवारी उचित मूल्य दुकान में खाद्यान्न घोटाले के मामले में विक्रेता और समिति प्रबंधक के खिलाफ ढीमरखेड़ा पुलिस थाना में एफआईआर दर्ज की गई है। इस मामले में लगभग 63 लाख 38 हजार 356 रुपये के खाद्यान्न के दुरुपयोग का खुलासा हुआ है।


खाद्यान्न घोटाले का मामला

जांच के दौरान पाया गया कि मुरवारी शासकीय उचित मूल्य दुकान के विक्रेता रतन पांडेय और समिति प्रबंधक अजय मिश्रा ने मिलकर बड़ी मात्रा में खाद्यान्न का दुरुपयोग किया।

  • खाद्यान्न विवरण:
    • गेहूं: 1268.13 क्विंटल
    • चावल: 914.5 क्विंटल
    • नमक: 23.69 क्विंटल
    • मूंग: 1.60 क्विंटल
    • शक्कर: 0.31 क्विंटल

इन सामग्रियों को चार महीनों तक उपभोक्ताओं को वितरित करने के बजाय उनके नाम पर फर्जी वितरण दिखाया गया।

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

जांच में पाया गया कि विक्रेता और समिति प्रबंधक ने:

  1. बायोमेट्रिक फर्जीवाड़ा: पीओएस मशीन (प्वाइंट ऑफ सेल) के जरिए उपभोक्ताओं के अंगूठे के सत्यापन के फर्जी रिकॉर्ड तैयार किए गए।
  2. दुकान बंद: भौतिक निरीक्षण में दुकान बंद पाई गई, जिससे स्पष्ट हुआ कि उपभोक्ताओं को राशन नहीं दिया गया।
  3. खाद्यान्न की कालाबाजारी: वितरण न करते हुए खाद्यान्न को कालाबाजार में बेच दिया गया।

कलेक्टर का सख्त रुख

कलेक्टर यादव ने घटना को गंभीरता से लेते हुए जीरो टॉलरेंस नीति के तहत कार्यवाही की।

  • एफआईआर दर्ज: कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी ब्रजेश कुमार जाटव ने ढीमरखेड़ा पुलिस थाना में विक्रेता और समिति प्रबंधक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई।
  • आरोप: भारतीय दंड संहिता (IPC) और आवश्यक वस्तु अधिनियम (Essential Commodities Act) के तहत मामला दर्ज किया गया।

जांच में सामने आए तथ्य

उपभोक्ताओं को हुआ नुकसान

फर्जी वितरण की वजह से हितग्राही खाद्यान्न से वंचित रह गए। जरूरतमंदों को उनका अधिकार नहीं मिला, जबकि वितरण रिकॉर्ड में इसे सही बताया गया।

खाद्यान्न का मूल्यांकन

घोटाले में शामिल खाद्यान्न की कुल मात्रा 2208 क्विंटल है, जिसका बाजार मूल्य लगभग 63.38 लाख रुपये है। यह राशन मुख्य रूप से गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए था।


कार्यवाही का संदेश

कलेक्टर द्वारा सख्त कदम उठाने के बाद यह साफ हो गया है कि जिले में किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

  • संदेश: जनसुविधाओं में लापरवाही या भ्रष्टाचार करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई होगी।
  • प्रभाव: यह कदम अन्य शासकीय उचित मूल्य दुकानों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए एक मजबूत संदेश देता है।

ग्रामीणों की प्रतिक्रियाएं

इस मामले का खुलासा होने के बाद ग्रामीणों ने प्रशासन की सराहना की।

  • ग्रामीण बोले: "ऐसी कार्यवाही से भ्रष्टाचारियों को सबक मिलेगा।"
  • एक हितग्राही ने कहा: "हमें उम्मीद है कि अब हमें समय पर राशन मिलेगा।"

आगे की कार्रवाई

पुलिस जांच जारी

ढीमरखेड़ा पुलिस द्वारा मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है।

  • आरोपियों से पूछताछ की जाएगी।
  • खाद्यान्न का वास्तविक उपयोग और घोटाले में शामिल अन्य लोगों का पता लगाया जाएगा।

प्रशासन का दृष्टिकोण

कलेक्टर ने अन्य शासकीय उचित मूल्य दुकानों की भी जांच के निर्देश दिए हैं ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।


मुरवारी उचित मूल्य दुकान में हुए घोटाले ने राशन वितरण प्रणाली की खामियों को उजागर किया है। लेकिन प्रशासन द्वारा की गई तेज कार्रवाई ने यह सुनिश्चित किया है कि गरीबों और जरूरतमंदों के हक पर किसी को डाका डालने नहीं दिया जाएगा।

यह मामला न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त कदम है, बल्कि यह अन्य जिलों के लिए भी एक उदाहरण है कि जनसुविधाओं में पारदर्शिता और जिम्मेदारी कैसे सुनिश्चित की जाए।


 



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