मध्यप्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल का असंतोष, दिग्विजय सिंह और कमलनाथ पर निशाना!

writeen & edited by : ADIL AZIZ
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की नई कार्यकारिणी के गठन के बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए दिग्विजय सिंह और कमलनाथ पर परोक्ष रूप से हमला बोला। अजय सिंह ने कांग्रेस के उन नेताओं की तीखी आलोचना की जिनके फैसलों की वजह से, उनके अनुसार, पार्टी की वर्तमान स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण हो चुकी है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस की दुर्दशा उन्हीं नेताओं की वजह से हुई है। यदि उनके इशारों पर कार्यकारिणी का गठन होगा, तो कांग्रेस का भगवान ही मालिक है।"
कार्यकारिणी गठन के प्रति अजय सिंह की नाराजगी
अजय सिंह ने कार्यकारिणी गठन में निष्पक्षता की कमी पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस में बीते 20 सालों से निर्णय उन्हीं नेताओं के द्वारा हो रहे हैं, जिनकी सोच ने पार्टी को कमजोर किया है। उनके अनुसार, कांग्रेस पार्टी का विकास और उसे सही दिशा में ले जाने के लिए नेतृत्व का फेरबदल और नये विचारों की आवश्यकता है। कार्यकारिणी गठन में उनकी उम्मीदों के खिलाफ कुछ पुरानी नीतियों का पालन करना दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
उन्होंने कहा, "कांग्रेस का भगवान ही मालिक है, अगर कार्यकारिणी उन्हीं लोगों के इशारे पर बनेगी, जिन्होंने बीते दो दशकों में फैसलों से पार्टी को इस हालत में पहुंचाया है।"
विन्ध्य क्षेत्र की उपेक्षा पर भी चिंता जताई
अजय सिंह ने विन्ध्य क्षेत्र की उपेक्षा पर भी खुलकर चिंता व्यक्त की। उनके अनुसार, रीवा, सीधी, सिंगरौली, अनूपपुर, उमरिया, और कटनी जैसे अंचलों की उपेक्षा कांग्रेस की सोच में साफ झलकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन क्षेत्रों की जनता को पार्टी द्वारा पर्याप्त महत्व नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा, "इतना समय लगा फिर भी सही तरीके से निर्णय नहीं लिया गया, यह दर्शाता है कि कांग्रेस की सोच इन क्षेत्रों के प्रति सही नहीं है। ये क्षेत्रों की उपेक्षा पार्टी को भविष्य में भारी पड़ सकती है।"
कार्यकारिणी में निष्पक्षता और नए नेतृत्व की मांग
अजय सिंह ने मांग की कि कांग्रेस में नई विचारधारा और नेतृत्व को मौका मिलना चाहिए ताकि पार्टी की दशा और दिशा दोनों में सुधार हो। उन्होंने कहा कि पार्टी को विकास के लिए नए नेताओं की जरूरत है, जो संगठन को मजबूती प्रदान कर सकें और जनता के दिल में जगह बना सकें। पुराने नेताओं की सोच और नीतियों को नकारात्मक परिणामों का कारण बताते हुए उन्होंने नेतृत्व में बदलाव की मांग की।
क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व की कमी से नाराज
अजय सिंह ने कहा कि विधायकों को केवल अपनी विधानसभा तक सीमित रखना और संगठनात्मक कार्यों में उनकी भागीदारी को नजरअंदाज करना पार्टी की कमजोरी है। उन्होंने पार्टी की सोच में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व की कमी पर सवाल उठाया और कहा कि संगठन का काम केवल नेता ही नहीं, बल्कि पार्टी के विधायक और कार्यकर्ता भी कर सकते हैं।
उनके अनुसार, कांग्रेस को अपने संगठनात्मक ढांचे को सुधारने की जरूरत है ताकि हर क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।
अजय सिंह की नाराजगी का असर
अजय सिंह की नाराजगी का असर कांग्रेस में आगामी चुनावों में देखने को मिल सकता है। उनके बयान से यह स्पष्ट है कि पार्टी में आंतरिक असंतोष और क्षेत्रीय उपेक्षा का मुद्दा गंभीर है। यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि कांग्रेस ने इस दिशा में उचित कदम नहीं उठाए, तो इसका असर भविष्य के चुनावी परिणामों पर हो सकता है।
अजय सिंह राहुल के बयान ने कांग्रेस में आंतरिक असंतोष की स्थिति को स्पष्ट किया है। उनके अनुसार, कांग्रेस की मौजूदा स्थिति में सुधार के लिए नेतृत्व में बदलाव और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। यदि पार्टी ने समय रहते इन मुद्दों का समाधान नहीं किया, तो इसका असर निश्चित रूप से कांग्रेस के भविष्य पर पड़ेगा।
मुख्य बिंदु:
- कांग्रेस कार्यकारिणी में निष्पक्षता की कमी – अजय सिंह ने दिग्विजय सिंह और कमलनाथ पर परोक्ष हमला किया।
- विन्ध्य क्षेत्र की उपेक्षा – रीवा, सीधी, सिंगरौली जैसे क्षेत्रों की अनदेखी पर नाराजगी जताई।
- नेतृत्व में बदलाव की मांग – पार्टी को नए विचारों और नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर दिया।
- आंतरिक असंतोष का संकेत – आगामी चुनावों पर पड़ सकता है इस असंतोष का प्रभाव।
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