कटनी में अनोखी दीपावली: अनाथाश्रम और वृद्धाश्रम के देवदूतों के साथ मित्र परिवार ने मनाई असली दीपावली
written & edited by : ADIL AZIZ
कटनी में हर साल दिवाली पर रौशनी और खुशी की अद्भुत मिसाल पेश की जाती है। 19 सालों से दीपावली का यह आयोजन एक परंपरा के रूप में देखा जा रहा है, जिसे स्थानीय मित्र परिवार द्वारा आयोजित किया जाता है। यह दीपावली कुछ खास होती है, क्योंकि यह उन लोगों के साथ मनाई जाती है जिन्हें परिवार का प्यार नहीं मिलता – अनाथाश्रम और वृद्धाश्रम में रहने वाले बच्चे और बुजुर्ग।
इस अनूठे दीपावली कार्यक्रम का आयोजन करने वालों में एडवोकेट मौसूफ बिट्टू, मुकेश मुल्तानी, हनी ग्रोवर, सुशील पंजवानी, राजेश आहूजा, सुनील हसीजा, जतिन पुरवार, हितेश ग्रोवर, जीजो ग्रोवर और मोहिनी सेन का विशेष योगदान है। यह आयोजन एक अद्वितीय भावना को जन्म देता है, जिसमें दीपावली की असली खुशियां उन लोगों तक पहुंचाई जाती हैं जो शायद इस खुशी से वंचित रह जाते।
19 सालों की परंपरा
कटनी के इन आयोजकों ने 19 साल पहले इस परंपरा की नींव रखी थी, जिसमें दीपावली को एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में देखा गया। हर साल यह आयोजन समिति स्थानीय अनाथाश्रम और वृद्धाश्रम के निवासियों के साथ दीपावली का त्योहार मनाती है, ताकि वे भी इस पर्व की खुशियों में शामिल हो सकें। दीपावली का यह आयोजन समाज के हर वर्ग में त्योहार के महत्व को बांटता है और यह बताता है कि असली दीपावली की खुशी दूसरों के साथ खुशियां साझा करने में है।
उत्सव का उद्देश्य और महत्व
दीपावली का यह आयोजन सिर्फ त्योहार मनाने तक सीमित नहीं है। इसका मुख्य उद्देश्य समाज के उन वर्गों तक खुशी और सम्मान पहुंचाना है जिन्हें अक्सर समाज से दूर रखा जाता है। अनाथ और बुजुर्ग, जिन्हें अपनों का साथ नहीं मिल पाता, उनके लिए यह दीपावली का उत्सव एक नए सवेरे का आगाज करता है। यह आयोजन समिति हर साल यह प्रयास करती है कि ये लोग न केवल दीपावली का हिस्सा बनें, बल्कि उनके दिलों में भी आशा और प्यार की भावना जागे।
असली दीपावली की खुशी
इस आयोजन में मुख्य रूप से एडवोकेट मौसूफ बिट्टू, मुकेश मुल्तानी, हनी ग्रोवर, सुशील पंजवानी, राजेश आहूजा, सुनील हसीजा, जतिन पुरवार, हितेश ग्रोवर, जीजो ग्रोवर और मोहिनी सेन ने अपनी विशेष भागीदारी निभाई। इन सभी ने एकजुट होकर दीपावली की इस असली खुशी को समाज के बीच में बांटा। इस दीपावली में खास यह था कि इन बच्चों और बुजुर्गों के चेहरे पर मुस्कान थी, जो हर व्यक्ति के दिल को छू गई।
कैसे मनाई गई यह अनोखी दीपावली?
आयोजन में सबसे पहले अनाथाश्रम और वृद्धाश्रम के निवासियों का स्वागत किया गया, जहां उन्हें दीपावली की पूजा में शामिल किया गया। इसके बाद मिट्टी के दीप जलाकर पूरे परिसर को रौशन किया गया। बच्चों के लिए खिलौने और मिठाईयां बांटी गईं, जबकि वृद्धजनों को सम्मानित किया गया। हर कोई इस आयोजन में दिल से शामिल था, मानो दीपावली के असली देवदूतों का स्वागत किया जा रहा हो। इस मौके पर रंगोली सजाई गई, आतिशबाजी की गई और मिठाई बांटकर हर दिल को खुशियों से भर दिया गया।
दीपावली में खुशियों का साझा करना
इस आयोजन की खासियत यह है कि इसमें समाज के हर वर्ग का योगदान होता है। समाज के कई लोग इसमें अपना समय, संसाधन और प्यार लगाते हैं ताकि इस आयोजन में कोई कमी न रह जाए। कटनी में यह दीपावली का आयोजन सिर्फ दीप जलाने और मिठाई बांटने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में समानता, स्नेह और सेवा के संदेश को भी आगे बढ़ाता है।
समाज के प्रति प्रेम का प्रतीक
इस आयोजन का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह समाज के प्रति प्रेम और संवेदनशीलता का प्रतीक है। एडवोकेट मौसूफ बिट्टू और उनके मित्र मंडल के अन्य सदस्य समाज सेवा को अपनी जिम्मेदारी मानते हैं। उनके अनुसार, "दीपावली असली खुशी तब लाती है जब हम उसे दूसरों के साथ बांटते हैं। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि समाज के लिए कुछ करने का अवसर है।"
आयोजन की प्रेरणा और सफलता
19 साल से इस आयोजन का सफलतापूर्वक संचालन बताता है कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सिर्फ इच्छा शक्ति की जरूरत होती है। यह आयोजन सिर्फ एक पर्व को मनाने तक सीमित नहीं है; बल्कि यह समाज में संवेदनशीलता, करुणा और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है। इस आयोजन से लोगों को प्रेरणा मिलती है कि वे अपने आसपास के लोगों की खुशियों का हिस्सा बनें और उनके लिए कुछ करें।
एक संदेश: हर साल बढ़ती खुशी
यह आयोजन हर साल अपनी नई ऊंचाईयों को छूता है और हर साल इसमें शामिल होने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। एडवोकेट मौसूफ बिट्टू और उनके मित्र परिवार ने इस आयोजन को समाज की सेवा के रूप में देखा और लोगों को यह संदेश दिया कि दीपावली की असली खुशी अपनों के साथ-साथ उन लोगों के साथ भी बांटी जाए जिन्हें समाज अक्सर भूल जात
कटनी की इस दीपावली ने यह सिखाया है कि असली खुशी दूसरों के साथ खुशियां बांटने में है। एडवोकेट मौसूफ बिट्टू और उनके मित्र मंडल के इस अनोखे आयोजन ने समाज में एक नई प्रेरणा दी है। अनाथाश्रम और वृद्धाश्रम के निवासियों के साथ दीपावली मनाकर इन लोगों ने एक अद्भुत मिसाल कायम की है। दीपावली का यह अनोखा आयोजन एक सामाजिक बदलाव की ओर इशारा करता है और बताता है कि त्यौहार मनाने का असली उद्देश्य सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी खुशी का संदेश देना है।
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