धान की फसल में भूरा माहू कीट नियंत्रण के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह
written & edited by : ADIL AZIZ
धान की फसल के लिए इस समय का मौसम भूरा माहू कीट के प्रकोप के लिए अनुकूल साबित हो रहा है। बदलते तापमान और उच्च आर्द्रता के कारण इस कीट का प्रकोप तेजी से फैल सकता है। कटनी जिले में किसानों ने धान की फसल बाली की अवस्था में पहुंच चुकी है, ऐसे में भूरा माहू का प्रकोप फसल की सेहत के लिए बड़ा खतरा है। कृषि विशेषज्ञों और उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने किसानों को भूरा माहू से अपनी फसल की रक्षा के लिए कुछ खास सुझाव दिए हैं, जिनसे किसान अपने खेतों में इस कीट को नियंत्रित कर सकते हैं।
भूरा माहू की पहचान और प्रभाव
भूरा माहू, जिसे ब्राउन प्लांट हॉपर (BPH) के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रमुख कीट है जो धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है। यह कीट फसल की तनों से रस चूसता है, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और वे सूखने लगते हैं। अगर समय पर इस कीट का नियंत्रण नहीं किया गया, तो फसल की उपज में भारी गिरावट आ सकती है।
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भूरा माहू के नियंत्रण के उपाय:
1. खेत की सफाई बनाए रखें
कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को खेत और मेड़ को खरपतवारों से मुक्त रखने की सलाह दी है। खरपतवार अक्सर कीटों के लिए आश्रय स्थल का काम करते हैं, इसलिए खेत की सफाई से माहू कीट के प्रसार को रोका जा सकता है।
विशेषज्ञों ने कहा है कि खेतों में प्रत्येक 8-10 पंक्तियों के बाद गली का निर्माण करें। इससे न केवल कीटों की जनसंख्या कम होती है बल्कि फसल के बीच की वायु प्रवाह भी बेहतर होती है, जिससे माहू कीट के फैलने का जोखिम कम हो जाता है।
2. नाइट्रोजन उर्वरक का संतुलित उपयोग करें
नाइट्रोजन उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग फसल में भूरा माहू कीट के प्रकोप को बढ़ा सकता है। इसलिए, किसानों को सलाह दी गई है कि वे नाइट्रोजन उर्वरकों का विभाजित और उचित मात्रा में उपयोग करें। इसके साथ ही पोटाश उर्वरकों का भी समुचित इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह संयोजन पौधे की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होगा।
3. प्राकृतिक शत्रुओं का संरक्षण करें
भूरा माहू कीट के नियंत्रण में प्राकृतिक शत्रु बहुत मददगार साबित हो सकते हैं। अंडा परजीवी, लार्वा परजीवी, और शिकारी कीड़े जैसे कोकबिनेलिड बीटल, लिंक्स स्पाइडर, और मिरिड बग आदि माहू कीट को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए इनकीटों का संरक्षण और संवर्द्धन जरूरी है।
4. जल प्रबंधन और खेतों में सूखा रखें
भूरा माहू कीट के भारी प्रकोप होने पर किसानों को खेतों में जल भराव को बारी-बारी से करना चाहिए। खेत में 3-4 दिनों तक सूखा रखकर इस कीट के प्रसार को रोका जा सकता है।
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5. नीम का उपयोग करें
नीम के तेल का उपयोग कीट वृद्धि नियामक के रूप में किया जा सकता है। नीम के तेल को 5 मिली प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर पौधों की पत्तियों और तनों पर छिड़काव करने से माहू कीट की मादाओं की अंडा देने की क्षमता में कमी आती है।
6. आईटीके के रूप में जल मिर्च पत्ती का उपयोग
पॉलीगोनम हाइड्रोपाइपर (जल मिर्च पत्ती) के अर्क का उपयोग कीट नियंत्रण के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय हो सकता है। इसे 20 ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी में मिलाकर 2 मिली लिक्विड डिटर्जेंट के साथ मिलाकर छिड़काव करने से माहू कीट का प्रभावी प्रबंधन किया जा सकता है।
कीटनाशकों का उपयोग:
जब संक्रमण ईटीएल (Economic Threshold Level) तक पहुंच जाए, तो सीआईबीआरसी द्वारा अनुशंसित कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है। इन कीटनाशकों में बुप्रोफेज़िन, कार्टैप हाइड्रोक्लोराइड, एथिप्रोल, क्लोथियानिडिन, डाइनोटेफ्यूरान, एथोफेनप्रोक्स, फ्लोनिकैमिड, पाइमेट्रोज़िन, थियामेथोक्सम और ट्राइफ्लुमेज़ोपायरिम शामिल हैं। ये कीटनाशक भूरा माहू के संक्रमण को नियंत्रित करने में प्रभावी साबित हो सकते हैं।
छिड़काव के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश:
- छिड़काव हमेशा पौधे के आधार पर किया जाना चाहिए।
- अगर जरूरत हो तो 7-10 दिनों के अंतराल पर दोबारा छिड़काव किया जा सकता है।
- प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में हाथ से स्प्रे करने के लिए 500 लीटर और पावर स्प्रेयर के लिए 200 लीटर तरल पदार्थ का उपयोग होना चाहिए।
कृषक समुदाय के लिए सुझाव:
किसानों को खेत में नियमित निरीक्षण करने की सलाह दी गई है, ताकि भूरा माहू के प्रकोप का समय रहते पता लगाया जा सके। अगर फसल में माहू कीट का संक्रमण दिखाई दे, तो त्वरित उपाय अपनाने से फसल को बचाया जा सकता है।
कृषक समुदाय को यह भी सलाह दी गई है कि वे अपने आस-पास के किसानों के साथ जानकारी साझा करें और स्थानीय कृषि विभाग से सलाह लेते रहें।
भूरा माहू कीट का प्रकोप धान की फसल के लिए एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन उचित प्रबंधन और समय पर नियंत्रण उपायों से इस कीट के प्रभाव को कम किया जा सकता है। कृषि विशेषज्ञों द्वारा दिए गए ये सुझाव किसानों के लिए मददगार साबित होंगे और उनकी फसल को भूरा माहू के प्रकोप से बचाने में मदद करेंगे। उचित जल प्रबंधन, प्राकृतिक शत्रुओं का संरक्षण, और कीटनाशकों का समय पर उपयोग करके किसान अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।
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