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खरी-अखरी: कंगना ने फंदा डाल दिया भाजपा के गले



written by  : *अश्वनी बडगैया अधिवक्ता* _स्वतंत्र पत्रकार_

edited by : Adil Aziz

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हरियाणा की राजनीति का अस्थिर भविष्य

हरियाणा, जिसे भारतीय राजनीति में दलबदल का जन्मदाता माना जाता है, अब एक नए संकट का सामना कर रहा है। राज्य की राजनीति ने हमेशा से देश की राजनीति को प्रभावित किया है, और इसी कड़ी में हरियाणा की ताज़ा स्थिति ने देश की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है।

हरियाणा के इतिहास को देखें तो 1967 के विधानसभा चुनाव से ही दलबदल की परंपरा शुरू हुई थी, जिसने राज्य की राजनीति को हमेशा अस्थिर बनाए रखा। हरियाणा के तीन बड़े नेताओं—देवी लाल, बंशीलाल, और भजनलाल—ने प्रदेश की राजनीति को अपने कंधों पर उठाया और एक लंबे समय तक शासन किया। ये तीनों लाल अपने राजनीतिक कौशल के लिए जाने जाते थे, लेकिन समय के साथ इनकी राजनीतिक विरासत कमजोर पड़ गई। अब, हरियाणा की राजनीति के ये तीन लाल अपनी राजनीतिक विरासत को बनाए रखने के लिए भाजपा का सहारा ले रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उनकी स्थिति कमजोर दिखाई दे रही है।

आया राम गया राम: एक कहावत या सच? जानें इसकी पूरी कहानी

राजनीति में "आया राम गया राम" की कहावत का इस्तेमाल अक्सर उन नेताओं के लिए किया जाता है, जो एक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में चले जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह कहावत कहां से आई? क्या ये सिर्फ एक मुहावरा है या इसके पीछे कोई असली घटना छिपी है? आइए, आज हम आपको इस कहावत की पूरी कहानी बताते हैं।

आया राम गया राम: कहावत का जन्म

यह कहावत 1967 में हरियाणा की राजनीति से उभरी। उस समय, हरियाणा विधानसभा के हसनपुर क्षेत्र से एक निर्दलीय विधायक, गया राम, ने 9 घंटे के भीतर तीन बार पार्टी बदली थी। पहले उन्होंने कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन किया, फिर संयुक्त विधायक दल (एसपीडी) में चले गए और फिर कुछ ही घंटों बाद वापस कांग्रेस में आ गए। इस घटना के बाद हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री राव वीरेंद्र सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "गया राम अब आया राम बन गए हैं।" बस, तभी से यह कहावत भारतीय राजनीति में मशहूर हो गई।

कहावत का अर्थ और राजनीतिक असर

"आया राम गया राम" का अर्थ होता है, एक व्यक्ति का बार-बार पार्टी बदलना, जो राजनीति में अवसरवादिता और अस्थिरता का प्रतीक बन गया है। इस कहावत ने भारतीय राजनीति में दलबदल के चलन को उजागर किया और 1985 में दल बदल विरोधी कानून (Anti-Defection Law) के लागू होने का कारण भी बना।

आज की राजनीति में "आया राम गया राम"

आज भी, जब कोई नेता बार-बार पार्टी बदलता है, तो उसे "आया राम गया राम" कहकर तंज कसा जाता है। यह कहावत अब भारतीय राजनीति में दलबदल की संस्कृति का प्रतीक बन चुकी है।

निष्कर्ष

"आया राम गया राम" न केवल एक कहावत है, बल्कि भारतीय राजनीति की एक सच्ची घटना पर आधारित है, जिसने राजनीति में स्थिरता और नैतिकता के मुद्दे को उठाया है। यह कहावत आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी कि 1967 में थी, और जब भी कोई नेता पार्टी बदलता है, यह कहावत हमें उसकी असली कहानी की याद दिलाती है।

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कंगना रनौत का विवादास्पद बयान और हरियाणा में भाजपा की स्थिति

हाल ही में भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा दिए गए विवादास्पद बयान ने हरियाणा की राजनीति में एक नई उथल-पुथल मचा दी है। कंगना ने अपने बयान में किसान आंदोलन के दौरान हिंसा, बलात्कार, और हत्या के आरोप लगाए, जिससे राज्य के किसान और जनता आक्रोशित हो गए हैं। इस बयान ने भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं, खासकर तब जब पार्टी पहले से ही लोकसभा चुनावों में अपनी आधी सीटें हार चुकी है।

कंगना का बयान ऐसे समय में आया है जब किसान आंदोलन पहले ही भाजपा के लिए एक चुनौती बना हुआ था। किसान, जो सरकार के खिलाफ नाराज़ हैं, अब कंगना के इस बयान से और भड़क गए हैं। किसान आंदोलन के दौरान कंगना ने किसानों को खालिस्तानी कहा था, जिससे भाजपा की छवि पर बुरा असर पड़ा था। अब, कंगना के नए बयान ने इस आग में घी डालने का काम किया है, जिससे भाजपा की स्थिति और भी कमजोर हो गई है।

हरियाणा में भाजपा की चुनौतियाँ

हरियाणा में भाजपा की स्थिति पहले से ही कमजोर थी, और कंगना के बयान ने इस स्थिति को और खराब कर दिया है। मुख्यमंत्री सैनी, जो पहले ही अपनी सुरक्षित सीट की तलाश में थे, अब इस बयान के बाद और भी दबाव में आ गए हैं। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कंगना के इस बयान से खुद को अलग करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस बयान ने पार्टी को बहुत नुकसान पहुंचाया है।

हरियाणा की जनता, खासकर किसान, अब भाजपा से नाराज हैं। खाप पंचायतें लगातार बैठकें कर रही हैं, और किसान संगठन भाजपा के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। भाजपा के लिए यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण हो गई है, खासकर तब जब पार्टी को अगले विधानसभा चुनावों का सामना करना है।

भविष्य की संभावनाएँ

हरियाणा की राजनीति में भाजपा के लिए आने वाले समय में चुनौतियाँ और बढ़ सकती हैं। कंगना के बयान ने राज्य की राजनीति को हिला कर रख दिया है, और भाजपा के लिए इस संकट से उबरना आसान नहीं होगा। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना होगा, अन्यथा हरियाणा में भाजपा का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।

हरियाणा की राजनीति में दलबदल की परंपरा को देखते हुए, यह संभव है कि आने वाले समय में भाजपा के कुछ नेता भी पार्टी से अलग हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ा झटका होगा, खासकर तब जब पार्टी पहले से ही कमजोर स्थिति में है।

निष्कर्ष

हरियाणा की राजनीति हमेशा से अस्थिर रही है, और कंगना रनौत के बयान ने इस अस्थिरता को और बढ़ा दिया है। भाजपा के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, और पार्टी को इस संकट से उबरने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। अगर भाजपा इस संकट को ठीक से संभाल नहीं पाती है, तो यह पार्टी के लिए भविष्य में और भी मुश्किलें खड़ी कर सकता है।


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