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कटनी: GRP थाने में महिला की बर्बरता से पिटाई का मामला गरमाया, PCC चीफ जीतू पटवारी ने पीड़ित से की मुलाकात

 

written & edited by ADIL AZIZ 

कटनी के GRP थाने में एक महिला की बर्बरता से की गई पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस घटना ने पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और अब इस मामले को लेकर जनआक्रोश भी बढ़ रहा है। पुलिस की इस अमानवीयता के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज हो गई है, जिससे इस मामले पर राजनीतिक दबाव भी बढ़ गया है।









महिला पर बर्बरता: GRP थाने की शर्मनाक घटना

इस मामले की शुरुआत कटनी के GRP थाने में हुई, जहां पर एक महिला, कुसुम बंसकर, को बर्बरता से पीटा गया। इस घटना का वीडियो वायरल होते ही पुलिस की बेरहमी का खुलासा हुआ। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे महिला को बुरी तरह पीटा गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। पीड़ित महिला का कहना है कि उसे बिना किसी वजह के इस तरह पीटा गया और उसकी आवाज को दबाने की कोशिश की गई।

पीड़ित महिला, कुसुम बंसकर ने अपने बयान में कहा, "मुझे बिना किसी कारण के इस तरह मारा गया। मैंने अपने जीवन में ऐसी बर्बरता कभी नहीं देखी थी। पुलिस का यह रवैया बेहद दर्दनाक और शर्मनाक है।" वहीं, दीप राज बंसकर, पीड़ित महिला के परिजन ने कहा, "हमने न्याय की उम्मीद में पुलिस के पास गए थे, लेकिन हमें न्याय के बजाय अत्याचार मिला।"

पुलिस की कार्रवाई: GRP TI सहित पांच पुलिसकर्मी सस्पेंड

इस घटना के सामने आने के बाद पुलिस प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए GRP TI सहित पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है। TI को लाइन अटैच कर दिया गया है। इस मामले की जांच अब DIG रेल मोनिका शुक्ला को सौंपी गई है, जो इस घटना की पूरी जांच करेंगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करेंगी।

DIG रेल मोनिका शुक्ला ने कहा, "यह घटना बेहद गंभीर है, और हम इसे पूरी तरह से निष्पक्ष जांच करेंगे। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस का काम जनता की सुरक्षा करना है, न कि उन्हें पीड़ित करना।"

मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देश पर सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो के मामले में हुई कार्यवाही

जीआरपी थाना कटनी की तत्कालीन थाना प्रभारी सहित छह पुलिसकर्मी निलंबित

  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक पुराने वीडियो में थाना जी.आर.पी कटनी के पुलिसकर्मियों द्वारा बुजुर्ग महिला एवं बच्चे से की गई मारपीट के मामले को संज्ञान में लेते हुए डीआईजी रेल को जांच के लिए निर्देश दिए थे। प्रारंभिक जांच में दोषी पाए जाने पर तत्कालीन थाना प्रभारी अरुणा वाहने सहित प्रधान आरक्षक अजय श्रीवास्तव और चार आरक्षक वर्षा दुबेओमकार सिरसामसोहेब अब्बासी एवं सलमान खान को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया है कि भविष्य में यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रदेश में इस तरह के कदाचार की पुनरावृत्ति नहीं हो।

PCC चीफ जीतू पटवारी का हस्तक्षेप: FIR के लिए धरना

इस घटना के बाद PCC चीफ जीतू पटवारी भी कटनी पहुंचे और पीड़ित महिला और उसके परिजनों से मुलाकात की। जीतू पटवारी ने पीड़ितों को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया और इस मामले में FIR दर्ज कराने के लिए स्थानीय रंगनाथ नगर थाने में धरना देकर बैठ गए। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस FIR दर्ज करने से बच रही है और पीड़ितों को न्याय से वंचित करने की कोशिश कर रही है।

जीतू पटवारी ने कहा, "यह घटना पुलिस की बर्बरता और अमानवीयता का एक ज्वलंत उदाहरण है। हम इस मामले को न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। पुलिस को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी। हम तब तक यहां से नहीं जाएंगे जब तक FIR दर्ज नहीं होती और पीड़ितों को न्याय नहीं मिलता।"

जीतू पटवारी ने थाने में करीब 4 घंटे तक धरना दिया, जिसके बाद पुलिस पर दबाव बढ़ता गया। स्थानीय लोगों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी इस धरने का समर्थन किया और बड़ी संख्या में थाने के बाहर इकट्ठा हो गए। इस बढ़ते दबाव के चलते पुलिस को आखिरकार FIR दर्ज करनी पड़ी।

राजनीतिक दबाव और जनता का आक्रोश

इस घटना ने न केवल पुलिस प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि जनता के बीच भी आक्रोश पैदा कर दिया है। इस मामले में न्याय की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। जनता का कहना है कि अगर इस मामले में दोषियों को सजा नहीं मिली, तो यह न्याय के साथ खिलवाड़ होगा और ऐसे मामलों में पुलिस की अमानवीयता और बढ़ जाएगी।

इस बीच, जीतू पटवारी के धरने और जनता के बढ़ते दबाव के चलते इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर सरकार और पुलिस प्रशासन पर हमला बोला है और इसे कानून व्यवस्था की विफलता करार दिया है।

DIG रेल की जांच पर टिकी निगाहें

अब सभी की निगाहें DIG रेल मोनिका शुक्ला की जांच पर टिकी हैं। क्या वह इस मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सजा दिला पाएंगी, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह सिर्फ जांच तक ही सीमित रह जाएगा? यह सवाल अब जनता के बीच गूंज रहा है।

निष्कर्ष

कटनी में GRP थाने की यह घटना पुलिस की बर्बरता का एक और शर्मनाक उदाहरण है। इस मामले ने न केवल पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि राजनीतिक दबाव भी बढ़ा दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में न्याय कैसे होता है और दोषियों को क्या सजा मिलती है। जनता की उम्मीदें अब DIG रेल मोनिका शुक्ला की निष्पक्ष जांच और PCC चीफ जीतू पटवारी के प्रयासों पर टिकी हैं।

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कटनी जीआरपी से एक ऐसा वीडियो सामने आया है जिसने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया है। इस वीडियो में झर्रा टिकुरिया निवासी एक बुजुर्ग महिला और उसके नाबालिग नाती को जीआरपी के पुलिस कर्मियों द्वारा बेरहमी से पीटते हुए दिखाया गया है। यह वीडियो न केवल पुलिस की क्रूरता को उजागर करता है बल्कि मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल खड़े करता है।

वीडियो का दृश्य: पुलिस की बर्बरता का जीवंत प्रमाण

वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि जीआरपी के टीआई अरुणा वाहने और उनके स्टाफ ने इस बुजुर्ग महिला और उसके नाबालिग नाती पर तालिबानी तरीके से लाठियां बरसाईं। महिला की चीखें और बच्चे की दर्द भरी आवाज इस बर्बरता को बयां करती हैं। पुलिस की इस क्रूरता को देखकर हर कोई सन्न रह गया है। वीडियो में पुलिसकर्मी जिस प्रकार से लाठियां बरसा रहे हैं, वह बेहद दिल दहला देने वाला है।

जीआरपी की तालिबानी कार्रवाई पर राजनीतिक बवाल

इस घटना के बाद से प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। कांग्रेस पार्टी इस मामले पर आक्रामक हो गई है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी इस घटना के बाद तुरंत कटनी पहुंचे और पीड़ित परिवार से मुलाकात की। जीतू पटवारी ने पीड़ित महिला कुसुम बंसकर और उनके नाती दीप राज बंसकर से मिलकर उनकी बात सुनी और उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिया।

पटवारी ने कटनी के रंगनाथ नगर थाने में जाकर पीड़ितों की FIR दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस FIR दर्ज करने से बचती रही। इसके चलते जीतू पटवारी ने थाने में धरना देकर बैठ गए और चार घंटे से ज्यादा समय तक वहीं डटे डटे हुए है fir होने के बाद ही अब वो कटनी से वापस जाने की बात कर रहे है। 

GRP TI सहित पांच पुलिस कर्मी सस्पेंड, DIG रेल करेंगी जांच

इस मामले ने तूल पकड़ लिया है और प्रशासन को भी कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ा। जीआरपी के टीआई अरुणा वाहने सहित पांच पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है, और टीआई को लाइन अटैच कर दिया गया है। इस मामले की जांच अब डीआईजी रेल मोनिका शुक्ला करेंगी। इस निर्णय के बाद भी कांग्रेस का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है और उन्होंने राज्यपाल से मिलने की तैयारी शुरू कर दी है।

मानवाधिकारों का उल्लंघन और पुलिस की भूमिका पर सवाल

इस वीडियो ने पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या पुलिसकर्मियों को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार है? क्या इस तरह की बर्बरता एक सभ्य समाज में स्वीकार्य है? इन सवालों का जवाब देना प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है। कांग्रेस ने इस घटना को पुलिसिया आतंकवाद करार दिया है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

पीड़ित परिवार की स्थिति और न्याय की उम्मीद

पीड़ित परिवार इस घटना से पूरी तरह से टूट चुका है। कुसुम बंसकर और उनके नाती दीप राज बंसकर की मानसिक और शारीरिक स्थिति बेहद नाजुक है। जीतू पटवारी ने उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया है, लेकिन क्या यह मदद उन्हें न्याय दिला पाएगी?

निष्कर्ष

कटनी जीआरपी की यह घटना न केवल पुलिस की बर्बरता को उजागर करती है, बल्कि हमारे समाज में कानून और न्याय व्यवस्था के प्रति लोगों की आस्था को भी हिला देती है। इस घटना की जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई ही पीड़ितों को न्याय दिला सकती है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने का सबक बन सकती है।


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