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नेशनल हाईवे पर मृत और घायल पशुओं की अनदेखी: कलेक्टर ने तीन अधिकारियों से मांगा जवाब

 





written & edited by ADIL AZIZ

कटनी (29 अगस्त) - जबलपुर-कटनी राष्ट्रीय राजमार्ग 30 के स्लीमनाबाद तहसील अंतर्गत ग्राम छपरा में सड़क दुर्घटनाओं के बाद घायल और मृत पशुओं की स्थिति को लेकर कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने सख्त कदम उठाते हुए तीन अधिकारियों से जवाब-तलब किया है। कलेक्टर ने तहसीलदार सारिका रावत, जनपद पंचायत बहोरीबंद के सीईओ अभिषेक कुमार सिंह, और पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी डॉ नेहा सुरेश्वर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें उन्हें तीन दिवस के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

राष्ट्रीय राजमार्ग पर गौवंश की दुर्दशा: प्रशासन की लापरवाही

27 अगस्त की रात्रि करीब 1 बजे, जबलपुर-कटनी राष्ट्रीय राजमार्ग पर गौवंश के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना सामने आई थी। इस घटना में कई गौवंश घायल हो गए और कुछ की मृत्यु हो गई। हालांकि, इस घटना के बाद भी मृत पशुओं को हटाया नहीं गया और न ही घायल मवेशियों का उपचार किया गया। इसके परिणामस्वरूप, सड़क मार्ग अवरुद्ध हो गया और दुर्घटनाओं की संभावना बनी रही।

कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने नोटिस में स्पष्ट किया कि घटना की जानकारी होने के बावजूद भी तहसीलदार सारिका रावत और सीईओ अभिषेक कुमार सिंह ने समय पर कार्रवाई नहीं की। यह प्रशासनिक लापरवाही न केवल सड़क सुरक्षा के लिए खतरा बनी, बल्कि यह अधिकारियों की जिम्मेदारी और कर्तव्य के प्रति उदासीनता को भी दर्शाता है।

पशु चिकित्सा सेवा में लापरवाही: पेट्रोलिंग में कमी का खुलासा

पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी डॉ नेहा सुरेश्वर को भी इस मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। कलेक्टर यादव ने नोटिस में उल्लेख किया कि अगर पशु चिकित्सा पेट्रोलिंग वाहन ने दिए गए निर्देशों के अनुसार रात और सुबह पेट्रोलिंग की होती, तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती। इसके अलावा, डॉ नेहा सुरेश्वर पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने इस घटना की जानकारी जिला कंट्रोल रूम, संबंधित एसडीएम और तहसीलदार से साझा नहीं की, जो वरिष्ठ अधिकारियों और शासन के निर्देशों का उल्लंघन है।

पदीय दायित्व के निर्वहन में लापरवाही: अनुशासनात्मक कार्यवाही की संभावना

कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने तीनों अधिकारियों से तीन दिवस के भीतर नोटिस का जवाब देने का निर्देश दिया है। यदि निर्धारित अवधि में संतोषजनक जवाब नहीं प्राप्त होता है, तो मध्यप्रदेश सिविल सेवा वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील नियम के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। यह कार्यवाही अधिकारियों के पदीय दायित्व के निर्वहन में घोर लापरवाही और कदाचरण के कारण होगी।

सुरक्षा व्यवस्था में कमी: कलेक्टर के निर्देशों की अनदेखी

कलेक्टर यादव ने 23 अगस्त को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत जिले में गौवंश और घुमंतु पशुओं के सड़कों पर विचरण से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए थे। इसके तहत मुख्य सड़क मार्गों के आसपास के गांवों में मुनादी कराकर सुरक्षा व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए थे। साथ ही, अधिकारियों को समय-समय पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी निर्देशित किया गया था। लेकिन, निर्देशों का पालन न करना अधिकारियों की लापरवाही और कर्तव्य के प्रति उदासीनता को दर्शाता है।

घटनाओं के बढ़ते मामले: प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल

सड़क दुर्घटनाओं में गौवंश की मृत्यु और घायल होने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। यह घटनाएं न केवल पशुओं के जीवन के लिए खतरनाक हैं, बल्कि सड़क पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी खतरा उत्पन्न करती हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसे मामलों में त्वरित और उचित कार्रवाई करें ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके और सड़क सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

प्रभावित क्षेत्र की स्थिति और समाधान की आवश्यकता

स्लीमनाबाद तहसील अंतर्गत ग्राम छपरा और इसके आसपास के क्षेत्र में सड़क सुरक्षा की स्थिति गंभीर बनी हुई है। स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह इन मामलों में सतर्कता बरते और प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को सख्त बनाए। इसके अलावा, संबंधित अधिकारियों को भी अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अधिक सचेत रहना होगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

निष्कर्ष: प्रशासनिक सुधार की दिशा में आवश्यक कदम

कलेक्टर दिलीप कुमार यादव द्वारा तीन अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करना एक सकारात्मक कदम है, जो प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है। इससे न केवल जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी, बल्कि भविष्य में प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और तत्परता भी बढ़ेगी।

यह घटना हमें यह सिखाती है कि प्रशासनिक लापरवाही और कर्तव्य के प्रति उदासीनता न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह समाज और जानवरों के जीवन के लिए भी खतरा बन सकती है। इसलिए, प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि वे अपने पदीय दायित्वों का ईमानदारी से पालन करें और समाज की सुरक्षा और कल्याण को सर्वोपरि मानें।

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