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लल्लू भैया की तलेया की बदहाली पर अदालत सख्त, प्रशासन को भेजा नोटिस , जनहित याचिका पर हाई कोर्ट का संज्ञान: कटनी की तलेया अब होगी संवारने की तैयारी

 

लल्लू भैया की तलेया पर हाई कोर्ट का संज्ञान: जनहित याचिका पर नोटिस जारी

कटनी की धरोहर को बचाने की जंग, अदालत की दखल से जागी उम्मीदें


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कटनी शहर की पहचान और प्राकृतिक धरोहर माने जाने वाले लल्लू भैया की तलेया (तालाब) की बदहाल स्थिति को लेकर आखिरकार मामला उच्च न्यायालय तक पहुँच गया है। नगर पालिक निगम की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता के खिलाफ कटनी के वरिष्ठ पार्षद व अधिवक्ता मौसुफ बिट्टू ने जनहित याचिका दायर की। इस याचिका पर जबलपुर हाई कोर्ट की युगल पीठ ने संज्ञान लेते हुए शासन और स्थानीय प्रशासन को नोटिस जारी किया है। यह फैसला न केवल कटनी की जनता बल्कि पर्यावरण और जल संरक्षण की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।



तलेया की वर्तमान स्थिति: दयनीय हालात में कटनी की धरोहर

लल्लू भैया की तलेया, जो कभी शहर के लिए शुद्ध जल और प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक हुआ करती थी, आज गंदगी और अराजकता की भेंट चढ़ चुकी है। आसपास जानवरों का विचरण, कचरे का ढेर, गाद भराव और प्रदूषण के कारण तालाब की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है।

  • पानी का स्तर घट चुका है।

  • ऑक्सीजन की कमी से जलीय जीवन खतरे में है।

  • आसपास के क्षेत्र में बदबू और गंदगी से लोग परेशान हैं।

कटनी नगर बी.डी. अग्रवाल वार्ड स्थित इस तलेया का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण कई वर्षों से अधर में लटका हुआ है।






पहले भी हो चुके हैं निर्णय, पर कार्रवाई शून्य

साल 2024 में वेटलैंड समिति की बैठक में इस तालाब के संरक्षण और सौंदर्यीकरण पर महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था। लेकिन प्रशासनिक निष्क्रियता के चलते आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
याचिकाकर्ता ने बताया कि इस विषय में उन्होंने 27 और 28 फरवरी 2025 को कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को आवेदन भी सौंपे थे। बावजूद इसके, कोई कार्रवाई नहीं हुई। नतीजतन, मामला हाई कोर्ट की चौखट तक पहुँचा।


जनहित याचिका और कोर्ट का हस्तक्षेप

अधिवक्ता मौसुफ बिट्टू, जो नगर पालिक निगम कटनी के पूर्व नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं, ने इस मामले को लेकर जनहित याचिका क्रमांक WP No/14477/2025 दायर की।

25 अगस्त 2025 को माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर की युगल पीठ (न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ) ने याचिका स्वीकार करते हुए शासन व प्रशासन को नोटिस जारी किया। अदालत ने स्पष्ट किया कि म.प्र. शासन, कलेक्टर कटनी, आयुक्त नगर निगम कटनी, राज्य वेटलैंड प्राधिकरण एफको भोपाल और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कटनी को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करना होगा।


याचिका की मुख्य माँगें

याचिकाकर्ता और अधिवक्ताओं की टीम ने कोर्ट से माँग की है कि—

  1. लल्लू भैया की तलेया का तत्काल जीर्णोद्धार कराया जाए।

  2. तालाब में ऑक्सीजन स्तर बनाए रखने के लिए फाउंटेन की व्यवस्था की जाए।

  3. गाद की सफाई और सौंदर्यीकरण का कार्य तत्काल प्रारंभ हो।

  4. तालाब को प्रदूषण से बचाने और आसपास हरियाली बढ़ाने के ठोस उपाय किए जाएं।


पैरवी करने वाले अधिवक्ता

इस प्रकरण में पैरवी खुद याचिकाकर्ता एडवोकेट मौसुफ बिट्टू ने की। उनके साथ अधिवक्ता सौरभ शर्मा, विकास सांटू और अजय कुशवाहा ने भी अदालत में पक्ष रखा।


जनता की उम्मीदें

कटनी के नागरिकों में इस फैसले से नई उम्मीद जगी है। स्थानीय लोग मानते हैं कि यदि तलेया का पुनर्जीवन हो जाता है तो यह न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनाएगा बल्कि शहर को एक खूबसूरत पर्यटन स्थल भी मिलेगा।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि –

  • तालाब की सफाई और सौंदर्यीकरण से बीमारियों का खतरा कम होगा।

  • आसपास के क्षेत्र में पर्यावरण सुधरेगा।

  • बच्चों और बुजुर्गों को बेहतर वातावरण मिलेगा।

  • यह जानकारी अधिवक्ता मौसुफ अहमद बिट्टू, वरिष्ठ पार्षद व पूर्व नेता प्रतिपक्ष नगर पालिक निगम कटनी द्वारा भेजे गए प्रेस नोट के माध्यम से प्राप्त हुई है। उन्होंने बताया कि लल्लू भैया की तलेया की बदहाल स्थिति को लेकर उन्होंने जनहित याचिका क्रमांक WP No/14477/2025 जबलपुर हाई कोर्ट में प्रस्तुत की, जिस पर अदालत ने शासन और प्रशासन को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब तलब किया है। याचिका का उद्देश्य तालाब का जीर्णोद्धार, सौंदर्यीकरण और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करना है।


पर्यावरण संरक्षण का बड़ा सबक

यह मामला सिर्फ कटनी तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश और देश के लिए एक संदेश है। शहरों के बीच बसे तालाब और झीलें शहरी जीवनरेखा होती हैं। यदि इनकी अनदेखी की जाती है तो न सिर्फ जल संकट बढ़ेगा बल्कि पर्यावरणीय असंतुलन भी गहराएगा।


प्रशासन पर सवाल

जनता का सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब पहले से ही वेटलैंड समिति ने इस पर निर्णय लिया था, तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या प्रशासन केवल कागजों तक सीमित है?
जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की यह लापरवाही अब कोर्ट की निगरानी में आ चुकी है। आने वाले दिनों में कोर्ट का रुख प्रशासनिक मशीनरी को हिलाकर रख सकता है।

लल्लू भैया की तलेया के जीर्णोद्धार को लेकर हाई कोर्ट का संज्ञान एक सकारात्मक पहल है। अब यह देखना होगा कि शासन और प्रशासन कोर्ट के आदेश के बाद कितनी गंभीरता दिखाते हैं। यह मामला केवल एक तालाब का नहीं बल्कि जनता के स्वास्थ्य, पर्यावरण और शहर की धरोहर को बचाने का है।

  • कटनी हाई कोर्ट का बड़ा आदेश: लल्लू भैया की तलेया पर दो हफ्ते में जवाब तलब

  • जनहित याचिका पर हाई कोर्ट का संज्ञान: कटनी की तलेया अब होगी संवारने की तैयारी

  • लल्लू भैया की तलेया की बदहाली पर अदालत सख्त, प्रशासन को भेजा नोटिस

  • कटनी की धरोहर बचाने की जंग: हाई कोर्ट की नजर में आया लल्लू भैया तालाब

  • तालाब की बदहाली पर हाई कोर्ट का हस्तक्षेप, शासन-प्रशासन से जवाब मांगा

  • कटनी की जनता की जीत: हाई कोर्ट ने तलेया जीर्णोद्धार पर मांगा जवाब

  • लल्लू भैया की तलेया पर हाई कोर्ट का एक्शन, पर्यावरण संरक्षण को नई उम्मीद

  • कटनी का तालाब संकट: अदालत ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब

  • तालाब की गंदगी और अराजकता पर हाई कोर्ट का कड़ा रुख

  • कटनी में पर्यावरणीय मुद्दे पर बड़ी सुनवाई, लल्लू भैया की तलेया बनेगा उदाहरण



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    ✍️ Written & Edited By : ADIL AZIZ
    (जनहित की बात, पत्रकारिता के साथ)
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