जिले में बनेंगे 17 बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर: प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की नई पहल , प्राकृतिक खेती क्यों ज़रूरी है?
कटनी (04 सितंबर) – खेती सिर्फ फसल उगाने का साधन नहीं, बल्कि हमारी धरती, स्वास्थ्य और भविष्य से गहराई से जुड़ी हुई प्रक्रिया है। रसायनों और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से जहां जमीन की उर्वरता लगातार घट रही है, वहीं किसानों की लागत भी बढ़ती जा रही है। ऐसे समय में प्राकृतिक खेती किसानों के लिए एक उम्मीद की किरण बनकर उभरी है। इसी दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए जिले में 17 बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं, ताकि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिल सके और किसान आत्मनिर्भर बन सकें।
प्राकृतिक खेती क्यों ज़रूरी है?
आज का किसान बढ़ते उत्पादन की होड़ में रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर अत्यधिक निर्भर हो गया है। इसका असर न केवल मिट्टी की गुणवत्ता पर पड़ रहा है बल्कि जल, वायु और भोजन भी प्रदूषित हो रहे हैं। यही कारण है कि कैंसर, डायबिटीज़ और कई अन्य बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।
प्राकृतिक खेती से –
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मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
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खेती की लागत घटती है।
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फसलें पोषक और सुरक्षित होती हैं।
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किसानों की आय स्थिर होती है।
जिले में बनेंगे 17 बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत जिले के सभी विकासखंडों में 17 बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर खोले जाएंगे। इन सेंटरों का उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए जरूरी सामग्री उपलब्ध कराना है।
ये सेंटर –
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गोबर और गोमूत्र से बनी खाद और तरल उर्वरक तैयार करेंगे।
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पौधों और अन्य जैविक पदार्थों से जैविक कीटनाशक तैयार करेंगे।
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किसानों को समय पर और सस्ती दरों पर उपलब्ध कराएंगे।
इससे वे किसान भी लाभान्वित होंगे जो स्वयं यह सामग्री नहीं बना पाते।
वित्तीय सहयोग और संरचना
हर बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर को 1 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। यह राशि दो किस्तों में जारी होगी –
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पहली किस्त : ₹50,000
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दूसरी किस्त : ₹50,000 (कार्य प्रगति के आधार पर)
इससे न केवल किसानों की मदद होगी बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार भी उत्पन्न होगा।
किसे मिल सकता है अवसर?
इन सेंटरों की स्थापना के लिए निम्न संस्थाओं से प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं –
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पंजीकृत गैर-सरकारी संगठन (NGO)
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किसान उत्पादक संगठन (FPO)
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पंजीकृत गौशालाएं
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अन्य पंजीकृत संस्थाएं
यह एक सुनहरा मौका है कि समाजसेवी संस्थाएं और किसान संगठनों मिलकर प्राकृतिक खेती की दिशा में बड़ा योगदान दे सकते हैं।
आवेदन प्रक्रिया
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इच्छुक संस्थाओं को संबंधित विकासखंड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से संपर्क करना होगा।
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वहीं से विस्तृत जानकारी और आवेदन प्रारूप प्राप्त किया जा सकता है।
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11 सितंबर तक प्रस्ताव जमा करना अनिवार्य है।
बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर से किसानों को लाभ
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प्राकृतिक खेती के लिए आवश्यक सभी जैविक उत्पाद एक ही जगह पर मिलेंगे।
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किसानों का समय और श्रम बचेगा।
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जैविक उत्पाद उचित कीमत पर उपलब्ध होंगे।
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फसल उत्पादन सुरक्षित और पोषक होगा।
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बाजार में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ेगी, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिलेगा।
स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर
इन सेंटरों की स्थापना से न केवल किसानों को लाभ होगा बल्कि स्थानीय युवाओं को भी रोजगार मिलेगा। जैविक खाद और कीटनाशक बनाने, पैकेजिंग करने और वितरण करने जैसे कार्यों में बड़ी संख्या में लोग जुड़ सकेंगे। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का भी एक सशक्त माध्यम है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से जूझ रही है। प्राकृतिक खेती इन समस्याओं का एक बड़ा समाधान है। बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर –
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मिट्टी और जल की शुद्धता बनाए रखने में मदद करेंगे।
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पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देंगे।
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जैव विविधता को संरक्षित करेंगे।
किसान की नज़र से
कटनी जिले के किसान बताते हैं कि रसायन आधारित खेती से उत्पादन तो बढ़ा है लेकिन लागत भी कई गुना बढ़ी है। वहीं प्राकृतिक खेती से न केवल लागत घटती है बल्कि उपज का स्वाद और गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
एक किसान ने कहा – “अगर हमें समय पर और सही कीमत पर जैविक खाद और कीटनाशक मिलेंगे, तो हम बड़ी आसानी से प्राकृतिक खेती कर सकते हैं। यह हमारी जमीन और आने वाली पीढ़ियों के लिए वरदान साबित होगा।”
जिले में 17 बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर की स्थापना एक दूरदर्शी कदम है। इससे न केवल प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा बल्कि किसानों की आय, रोजगार के अवसर और पर्यावरण संरक्षण – तीनों क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव आएगा।
यह पहल साबित करती है कि जब सरकार, समाज और किसान साथ आते हैं, तो बदलाव अवश्य संभव है।
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किसानों की आय बढ़ाने के उपाय
Written & Edited By : ADIL AZIZ
(जनहित की बात, पत्रकारिता के साथ)
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