सुरक्षित यात्रा पर संकट : कटनी में नाबालिगों के हाथों में ई-रिक्शा
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कटनी शहर की सड़कों पर आजकल एक बड़ी समस्या आम लोगों को परेशान कर रही है – ई-रिक्शा चालकों का बढ़ता दबदबा। इसमें सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि बड़ी संख्या में नाबालिग और अवैध चालक बिना रोक-टोक के ई-रिक्शा चला रहे हैं। यह न केवल यातायात व्यवस्था को ध्वस्त कर रहे हैं बल्कि आमजन की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं।
नाबालिग चालकों की भरमार
कटनी रेलवे स्टेशन से लेकर मुड़वारा रेलवे स्टेशन, साउथ रेलवे स्टेशन, सुभाष चौक, मिशन चौक, बस स्टैंड और माधवनगर तक के रूट पर नजर दौड़ाइए, तो हर जगह ई-रिक्शा का कब्जा दिखाई देगा। इनमें से कई रिक्शा नाबालिग बच्चों द्वारा चलाए जाते हैं, जिनके पास न तो ड्राइविंग लाइसेंस होता है और न ही यातायात नियमों का कोई ज्ञान।
नाबालिग चालक वंश और शिवा जैसे कई बच्चे खुलेआम सड़कों पर फर्राटा भरते नजर आते हैं। यह स्थिति न सिर्फ उनकी जान के लिए बल्कि यात्रियों और अन्य वाहन चालकों के लिए भी गंभीर खतरे का कारण बन रही है।
पुलिस की उदासीनता
शहर के प्रमुख चौराहों पर जहां यातायात पुलिस की मौजूदगी अनिवार्य होनी चाहिए, वहां अकसर पुलिसकर्मी नजर ही नहीं आते। यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करना जिनकी जिम्मेदारी है, वे इतने बेपरवाह हैं कि जगह-जगह जाम लगने की स्थिति आम हो गई है। ई-रिक्शा चालक सवारी बैठाने और उतारने के लिए सड़क के बीचों-बीच गाड़ी रोक देते हैं, जिससे अन्य वाहन चालकों और आमजन को भारी परेशानी होती है।
कटनी ASP संतोष डेहरिया ने माना है कि नाबालिग चालकों पर सख्ती जरूरी है और इस दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल
ई-रिक्शा चालकों की मनमानी सिर्फ यातायात व्यवस्था तक ही सीमित नहीं है। कई बार वे ओवरलोड सवारी बैठाते हैं और मनमाने तरीके से किराया वसूलते हैं। अगर कोई यात्री उचित किराया देने से मना कर दे, तो कई बार मारपीट जैसी घटनाएं भी हो जाती हैं।
सोचने वाली बात यह है कि जब नाबालिग चालक रिक्शा चला रहा हो, तो यात्री अपनी जान को भी खतरे में डाल रहा होता है। सुरक्षित यात्रा का दावा करने वाले इन ई-रिक्शा में सफर करना अब एक बड़ा जोखिम बन चुका है।
समस्या के मूल कारण
लाइसेंस की अनदेखी – अधिकतर ई-रिक्शा चालक बिना लाइसेंस के वाहन चला रहे हैं।
प्रशासनिक लापरवाही – पुलिस और परिवहन विभाग की ढील के कारण स्थिति बद से बदतर हो रही है।
आर्थिक मजबूरी – कई गरीब परिवार अपने बच्चों को कम उम्र में ही रिक्शा चलाने के लिए मजबूर कर देते हैं।
निगरानी की कमी – प्रमुख चौक और भीड़भाड़ वाले इलाकों में ट्रैफिक पुलिस की अनुपस्थिति।
समाधान की दिशा में
नाबालिग चालकों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
परिवहन विभाग और पुलिस मिलकर विशेष अभियान चलाएं।
सभी ई-रिक्शा का पंजीयन और चालक की पहचान अनिवार्य की जाए।
लाइसेंस चेकिंग की नियमित व्यवस्था हो।
जागरूकता अभियान के माध्यम से अभिभावकों को समझाया जाए कि बच्चों को कम उम्र में रिक्शा चलाने के लिए न भेजें।
कटनी की सड़कों पर नाबालिग ई-रिक्शा चालकों की मौजूदगी न केवल यातायात व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर रही है बल्कि आम नागरिकों की जान से भी खिलवाड़ हो रहा है। पुलिस और प्रशासन को इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। अगर समय रहते सख्ती नहीं बरती गई, तो यह समस्या आने वाले दिनों में और विकराल रूप ले सकती है।
Written & Edited By : ADIL AZIZ
(जनहित की बात, पत्रकारिता के साथ)
Email : publicnewsviews1@gmail.com
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