जबलपुर की खदान में 1000 करोड़ का खनन घोटाला: सरकार ने मानी अनियमितता, 443 करोड़ वसूली की जांच जारी , संजय पाठक का बयान: "पूरी जांच होने दीजिए, सब साफ हो जाएगा" — खुद सुनिए उनका जवाब
✍️ लेखक व संपादन: आदिल अज़ीज़
📌 मुख्य बिंदु:
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जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील में तीन कंपनियों ने स्वीकृत मात्रा से अधिक खनन किया
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शिकायत पर गठित जांच दल ने 443 करोड़ से अधिक की वसूली की सिफारिश की
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जीएसटी और ब्याज समेत वसूली की प्रक्रिया प्रचलन में
📍 मध्यप्रदेश विधानसभा में उठा खनन घोटाले का मामला
भोपाल, 5 अगस्त 2025 – मध्यप्रदेश विधानसभा में जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील स्थित खदानों से जुड़े एक बड़े घोटाले का मामला सामने आया है। इस मामले में आरोप है कि तीन निजी कंपनियों ने शासन से स्वीकृत मात्रा से कई गुना अधिक खनन किया, जिससे 1000 करोड़ रुपये से अधिक का उत्पादन हुआ।
कुंवर अभिजीत शाह ने यह सवाल विधानसभा में पूछा, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि शासन ने अतिरिक्त खनन की अनुमति नहीं दी थी, फिर भी कंपनियों ने उत्खनन कर लिया और शासन को न तो रॉयल्टी, न जीएसटी, और न ही अन्य शुल्क चुकाए।
🧾 कौन-कौन सी कंपनियां हैं सवालों के घेरे में?
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आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन
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निर्मला मिनरल्स
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पैसिफिक एक्सपोर्ट
इन तीनों कंपनियों को जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील में खदानों की लीज़ दी गई थी। आरोप है कि इन्होंने निर्धारित मात्रा से कई गुना ज्यादा उत्पादन किया और राजस्व की बड़ी चोरी की।
📊 क्या कहा गया विधानसभा में?
मुख्यमंत्री मोहन यादव एवं अधिकृत मंत्री चेतन्य काश्यप द्वारा विधानसभा में जवाब देते हुए यह स्वीकार किया गया कि:
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इन कंपनियों द्वारा शासन की स्वीकृति से अधिक उत्खनन किया गया।
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इस संबंध में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ भोपाल में 31 जनवरी 2025 को आशुतोष दीक्षित ' मनु '
ने शिकायत दर्ज कराई गई।
खनिज साधन विभाग द्वारा 23 अप्रैल 2025 को जांच समिति गठित की गई।
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जांच प्रतिवेदन 6 जून 2025 को प्रस्तुत किया गया जिसमें ₹4,43,04,86,890/- की वसूली की सिफारिश की गई।
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जीएसटी और ब्याज सहित वसूली की कार्रवाई अभी प्रचलन में है।
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⚖️ क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट का आदेश?
इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया गया है।
Common Cause vs Union of India एवं Prafulla Samantra vs Union of India जैसे मामलों में 2 अगस्त 2017 को उच्चतम न्यायालय ने यह निर्देश दिया था कि यदि कोई खनन कंपनी स्वीकृत सीमा से अधिक खनन करती है, तो उस पर ब्याज सहित पूरी वसूली की जाए।
इस निर्देश के बाद भी मध्यप्रदेश में यह स्थिति सामने आना न केवल गंभीर है, बल्कि शासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है।
📉 राज्य को कितना हुआ नुकसान?
विधानसभा में प्रस्तुत जानकारी के अनुसार:
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अतिरिक्त उत्पादन से सरकार को अनुमानित 1000 करोड़ रुपये की आमदनी हो सकती थी
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जांच रिपोर्ट के अनुसार वसूली योग्य राशि है: ₹4,43,04,86,890/-
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इस राशि में जीएसटी, रॉयल्टी, ब्याज आदि शामिल हैं
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लेकिन अब तक इन कंपनियों से कोई वसूली नहीं हुई
🧑⚖️ कार्रवाई कब तक? जनता को जवाब चाहिए
मामला केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है। यह मामला प्रदेश की खनिज संपदा की लूट और राजकोष को हुए नुकसान से जुड़ा है। ऐसे में विपक्ष लगातार यह सवाल उठा रहा है कि यदि जांच पूरी हो चुकी है तो:
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कंपनियों पर एफआईआर कब होगी?
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वसूली की प्रक्रिया कब तक पूरी होगी?
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क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कोई कार्रवाई होगी?
जनता और मीडिया अब यह जानना चाहती है कि क्या यह घोटाला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दफ्न हो जाएगा, या इसमें पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।
🔍 वित्तीय पारदर्शिता पर बड़ा सवाल
प्रदेश की खनिज संपदाएं जनता की धरोहर हैं। यदि इनका दोहन बिना अनुमति और बिना शुल्क चुकाए किया जा रहा है, तो यह सीधा भ्रष्टाचार और नैतिक अपराध है।
खनन से जुड़ी इस तरह की अनियमितताएं न केवल शासन की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा करती हैं, बल्कि यह संदेश भी देती हैं कि उद्योगपतियों और खनन माफिया को खुली छूट दी जा रही है।
अब समय है कार्रवाई का, नहीं तो जनता करेगी सवाल
जबलपुर की खदान से जुड़ा यह मामला प्रदेश की खनिज संपदाओं के दोहन की कहानी है, जिसमें शासन, कंपनियां और विभागीय अधिकारी सभी सवालों के घेरे में हैं।
443 करोड़ की सिफारिश हो चुकी है, लेकिन जब तक वसूली नहीं होती और दोषियों को सज़ा नहीं मिलती, तब तक जनता को यह भरोसा नहीं होगा कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ ईमानदार है।
अब देखना है कि क्या ये मामला भी अन्य घोटालों की तरह दबा दिया जाएगा या फिर यह खनिज घोटालों के खिलाफ एक नजीर बनेगा।
संजय पाठक का बयान: "पूरी जांच होने दीजिए, सब साफ हो जाएगा" — खुद सुनिए उनका जवाब
अब इस मामले में संजय पाठक ने मीडिया को बयान दिया है कि यह सब गलत है और पूरी जांच होने दीजिए, सच सामने आ जाएगा। आपको बता दें कि जिन कंपनियों की जांच चल रही है, वे संजय पाठक के परिवार के सदस्यों से जुड़ी हुई कंपनियां हैं।
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📢 Written & Edited by: आदिल अज़ीज़
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