मध्यप्रदेश के हर जिले सरकारी भवन में RESCO मॉडल से लगेंगे सोलर संयंत्र, जानिए कैसे होगा फायदा
✍️ लेखक एवं संपादक: आदिल अज़ीज़
मध्यप्रदेश के शासकीय भवनों की छतों पर बिना निवेश के लगेंगे सोलर रूफटॉप संयंत्र: ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ का प्रभावी क्रियान्वयन
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‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ से चमकेंगे सरकारी भवन: मध्यप्रदेश में RESCO पद्धति से हो रहा क्रांतिकारी बदलाव
कटनी, 20 जुलाई — मध्यप्रदेश सरकार सौर ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाने जा रही है। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के अंतर्गत प्रदेश के सभी शासकीय भवनों की छतों पर RESCO मॉडल के माध्यम से सोलर रूफटॉप संयंत्र लगाए जाएंगे, और खास बात यह है कि इन संयंत्रों की स्थापना के लिए सरकारी विभागों को कोई निवेश नहीं करना होगा।
मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2030 तक 500 गीगावॉट नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन के राष्ट्रीय लक्ष्य की दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा है।
RESCO मॉडल: बिना निवेश के सौर ऊर्जा की ओर
इस योजना के अंतर्गत RESCO (Renewable Energy Service Company) पद्धति से कार्य किया जा रहा है। इस मॉडल में निजी विक्रेता या ऊर्जा सेवा प्रदाता शासकीय भवनों की छतों पर 25 वर्षों के लिए सोलर रूफटॉप संयंत्र स्थापित करेंगे और उसका संपूर्ण रख-रखाव भी स्वयं करेंगे।
सरकारी विभागों को केवल अपनी खपत के अनुसार प्रति यूनिट बिजली का भुगतान करना होगा, जो सामान्य वाणिज्यिक दरों की तुलना में काफी कम होगी।
यह मॉडल “शून्य निवेश, पहले दिन से बचत और नेट जीरो उत्सर्जन” जैसे सिद्धांतों पर आधारित है, जिससे सरकारी संस्थानों को आर्थिक लाभ तो होगा ही, साथ ही पर्यावरण संरक्षण में भी बड़ी भूमिका निभाई जा सकेगी।
हर जिले के लिए अलग निविदा, अलग दर
मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम द्वारा RESCO परियोजनाओं के लिए सभी जिलों के लिए अलग-अलग निविदाएं जारी की गई हैं। प्रत्येक जिले के लिए सबसे कम दर देने वाले RESCO विकासक को वहाँ संयंत्र लगाने का कार्य मिलेगा।
कुछ प्रमुख जिलों में प्रस्तावित सौर संयंत्रों की अनुमानित क्षमता:
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भोपाल – 15.6 मेगावॉट
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ग्वालियर – 5.26 मेगावॉट
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इंदौर – 3.12 मेगावॉट
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छिंदवाड़ा – 1.43 मेगावॉट
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दतिया – 1.4 मेगावॉट
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धार – 1.34 मेगावॉट
इन जिलों में स्थापित संयंत्र, स्थानीय शासकीय भवनों की बिजली आवश्यकताओं को पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से पूरा करेंगे।
दिसंबर 2025 तक सभी शासकीय भवन होंगे सौर ऊर्जीकृत
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि दिसंबर 2025 तक मध्यप्रदेश के सभी शासकीय भवनों को सौर ऊर्जा से सुसज्जित किया जाए। यह योजना न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राज्य की बिजली पर निर्भरता को भी कम करेगी।
अतीत में भी सफल रहा है RESCO मॉडल
2018 से 2020 के बीच, मध्यप्रदेश में 133 शासकीय कार्यालयों में RESCO पद्धति से सफलतापूर्वक सोलर संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं, जिनमें शामिल हैं:
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IIM इंदौर
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CAPT भोपाल
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शासकीय मेडिकल कॉलेज – रीवा, शिवपुरी, खंडवा, दतिया, विदिशा
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NLIU भोपाल
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AG कार्यालय ग्वालियर
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SAI भोपाल
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पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन (भारत सरकार)
इन परियोजनाओं की सफलता ने यह सिद्ध कर दिया है कि RESCO मॉडल लंबे समय तक सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए विश्वसनीय और किफायती विकल्प है।
लाभकारी और दीर्घकालिक समाधान
RESCO मॉडल के माध्यम से:
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सरकारी विभागों को कोई पूंजीगत निवेश नहीं करना होता।
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प्रति यूनिट बिजली की दरें वाणिज्यिक दर से कम होती हैं।
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25 वर्षों तक मुफ्त में रखरखाव और सेवाएं मिलती हैं।
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ऊर्जा लागत में कमी आती है और पर्यावरणीय संरक्षण होता है।
योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि राज्य सरकार बिना पूंजीगत व्यय के बड़ी मात्रा में ग्रीन एनर्जी को अपनाकर अपने कार्बन उत्सर्जन को घटा सकेगी।
प्रदेश बनेगा सौर ऊर्जा का अग्रणी राज्य
नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के माध्यम से मध्यप्रदेश आने वाले वर्षों में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनेगा। इस योजना के दक्षतापूर्ण क्रियान्वयन से न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता मिलेगी, बल्कि पर्यावरणीय सुधार में भी उल्लेखनीय योगदान होगा।
ऊर्जा सुरक्षा की ओर बढ़ता मध्यप्रदेश
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत RESCO मॉडल से मध्यप्रदेश का यह सौर अभियान, एक नवाचार और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सशक्त कदम है। यह योजना आने वाले समय में राजकोषीय बचत, ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा और सतत विकास के अनेक दरवाज़े खोलेगी।
यह पहल न केवल सरकार की दूरदर्शिता को दर्शाती है, बल्कि एक स्वच्छ और आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते कदमों की मिसाल भी है।
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✍️ लेखक एवं संपादक: आदिल अज़ीज़
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