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कटनी में बारिश का रिकॉर्ड टूट गया: इस बार सामान्य से 173.1% अधिक औसत वर्षा दर्ज

 

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लेखक एवं संपादक: आदिल अज़ीज़
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कटनी में इस बार जमकर बरसे मेघ: किसानों की उम्मीदें हुईं हरी-भरी

कटनी, 6 जुलाई: इस वर्ष कटनी जिले में मानसून की शुरुआत ने सारे पुराने रिकॉर्ड पीछे छोड़ दिए हैं। जिले में 1 जून से 6 जुलाई तक कुल 315.4 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई है। यह वर्षा पिछले वर्ष की इसी अवधि (115.5 मिमी) की तुलना में 173.1 प्रतिशत अधिक है। यह आंकड़ा केवल एक सांख्यिकीय उपलब्धि नहीं, बल्कि जिले के किसानों और आम नागरिकों के लिए राहत और उम्मीद की बौछार है।

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स्लीमनाबाद बना सबसे 'वर्षा-वर्षा' वाला क्षेत्र

इस वर्षा सत्र में जिले की सभी तहसीलों ने अच्छी बारिश दर्ज की, लेकिन स्लीमनाबाद तहसील ने सबसे अधिक वर्षा प्राप्त कर पहली पंक्ति में जगह बनाई है। यहां 427.4 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई है। यह आंकड़ा न केवल जिले में सबसे अधिक है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि यह क्षेत्र खेती और जलस्रोतों के लिए इस वर्ष विशेष रूप से लाभकारी रहेगा।


तहसील-वार वर्षा रिपोर्ट: हर क्षेत्र ने किया बेहतर प्रदर्शन

जिला अधीक्षक भू-अभिलेख डॉ. राकेश कुमार के अनुसार, जिले की सभी तहसीलों में वर्षा का प्रदर्शन सराहनीय रहा है। निम्नलिखित आंकड़े तहसील-वार वर्षा की स्थिति को दर्शाते हैं:

तहसीलऔसत वर्षा (मिमी)
स्लीमनाबाद427.4
ढीमरखेड़ा340.7
रीठी369
विजयराघवगढ़319.4
कटनी280.6
बड़वारा277
बरही258
बहोरीबंद249.2
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि जिले के हर कोने में मानसून ने अपनी मेहरबानी दिखाई है।

वर्षा का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

इस वर्ष भारी वर्षा के कई सकारात्मक परिणाम हैं:

1. कृषि के लिए वरदान

किसानों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है। धान, मक्का, मूंग और उड़द जैसी खरीफ फसलों की बुवाई समय पर हो रही है। अच्छी वर्षा से फसल की उत्पादकता भी बेहतर रहने की संभावना है।

2. जलस्रोतों में वृद्धि

तालाब, कुएं, नदी और अन्य जलाशय भरने लगे हैं। इससे न केवल सिंचाई बल्कि पेयजल की भी स्थिति बेहतर होगी।

3. पर्यावरणीय संतुलन

हरियाली बढ़ रही है और वायुमंडल में नमी संतुलित बनी हुई है। यह वातावरण के लिए भी एक सुखद संकेत है।


चुनौतियां भी हैं – अधिक वर्षा के खतरे

जहां एक ओर यह वर्षा फायदेमंद साबित हो रही है, वहीं अत्यधिक वर्षा के कारण कुछ क्षेत्रों में जलभराव, सड़क क्षति और मिट्टी कटाव जैसी समस्याएं भी सामने आ रही हैं। प्रशासन द्वारा लगातार निगरानी रखी जा रही है ताकि किसी भी आपदा को समय रहते नियंत्रित किया जा सके।


प्रशासन की सक्रिय भूमिका

प्रशासन ने बारिश से जुड़ी हर गतिविधि पर नजर बनाए रखी है। जलभराव वाले इलाकों में त्वरित राहत कार्य किए जा रहे हैं। बाढ़ नियंत्रण कक्ष, फील्ड सर्वे टीमें और आपदा प्रबंधन समूह पूरी तत्परता से कार्यरत हैं।


जनता की प्रतिक्रिया: राहत की सांस

स्थानीय किसान रामप्रसाद साहू कहते हैं,

“पिछले साल तो बादल छूकर निकल गए थे, इस बार तो भगवान ने सच में कृपा कर दी। हमने जून के अंत में ही बुवाई पूरी कर ली है।”

गृहिणी मालती बाई का कहना है,

“कुएं और हौज फिर से पानी से भर गए हैं। पानी की टंकी पर अब हर दिन दौड़ नहीं लगानी पड़ रही।”


जलवायु परिवर्तन और बारिश की अनिश्चितता

विशेषज्ञों का मानना है कि यह अत्यधिक वर्षा जलवायु परिवर्तन की तरफ भी संकेत करती है। कभी अधिक तो कभी कम – यह अनिश्चितता चिंता का विषय है। आने वाले वर्षों में इसके लिए ठोस रणनीति और आपदा प्रबंधन की आवश्यकता है।


 अबकी बार, मेघों की मेहरबानी

कटनी जिले में इस साल अब तक की बारिश से न केवल आंकड़ों में नया रिकॉर्ड बना है, बल्कि जमीन पर भी इसका असर साफ देखा जा सकता है। खेत लहलहाने लगे हैं, जलस्रोत भरने लगे हैं और हर चेहरे पर राहत की मुस्कान है। लेकिन इसी के साथ यह भी जरूरी है कि प्रशासन और जनता दोनों मिलकर किसी भी आपदा से निपटने के लिए तैयार रहें।


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📌 नोट: यह समाचार रिपोर्ट पूर्णतः अद्यतन एवं स्थानीय प्रशासनिक आंकड़ों पर आधारित है। पाठकों से निवेदन है कि किसी आपदा या आवश्यकता की स्थिति में प्रशासनिक हेल्पलाइन से संपर्क करें।

✍️ लेखक एवं संपादक: आदिल अज़ीज़
(समाचार एवं जन-सरोकार विश्लेषक)

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