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🐸 मेंढक बारिश में ही क्यों टर्र-टर्र करता है?

 📅 दिनांक: 16 जून 2025, सोमवार

✍️ लेखक एवं संपादक: आदिल अज़ीज़








बारिश में ही मेंढकों की आवाज सुनाई क्यों देती है और बाकी समय वे कहाँ चले जाते हैं?

 मेंढक बारिश में टर्र टर्र क्यों करता है, बारिश में मेंढक क्यों दिखाई देता है, मेंढक कहां छुपा रहता है, मेंढक की आवाज क्यों आती है


बारिश की पहली बूंद गिरते ही जैसे ही मिट्टी से सोंधी खुशबू उठती है, वैसे ही हमारे कानों में मेंढकों की "टर्र टर्र" की आवाज गूंजने लगती है। बहुत से लोगों के मन में ये सवाल आता है कि मेंढक सिर्फ बारिश में ही क्यों दिखाई देते हैं और क्यों टर्र-टर्र करते हैं? बाकी समय ये कहां चले जाते हैं, जैसे गायब हो जाते हों। इस सवाल के पीछे एक दिलचस्प जैविक कारण है जिसे जानना जरूरी है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि मेंढक बारिश में क्यों सक्रिय हो जाते हैं, वे बाकी मौसमों में कहां रहते हैं, उनकी टर्राहट का क्या मतलब होता है, और इससे हमें क्या सीखने को मिलता है।


🧬 मेंढकों की जीवनशैली और उनका आवास

मेंढक उभयचर (Amphibian) जीव होते हैं, यानी वे जल और थल दोनों पर जीवित रह सकते हैं। परंतु उनकी त्वचा बहुत कोमल और नम होती है, जिससे उन्हें सूखे मौसम में जीवित रहना मुश्किल हो जाता है। गर्मी और ठंड दोनों मौसमों में उनका शरीर पानी की कमी और तापमान की वजह से असहज महसूस करता है।

🛑 गर्मियों में मेंढक कहां जाते हैं?

गर्मियों में मेंढक "एस्टीवेशन" (Estivation) नामक प्रक्रिया अपनाते हैं, जिसमें वे खुद को जमीन के नीचे गड्ढों में, कीचड़ या किसी नम जगह में छिपा लेते हैं और अपनी ऊर्जा बचाते हैं। यह एक तरह की ग्रीष्म-निद्रा होती है।


🌧️ बारिश में मेंढक क्यों निकलते हैं बाहर?

जैसे ही मॉनसून की शुरुआत होती है, वातावरण में नमी बढ़ती है और तापमान कम हो जाता है। ये स्थितियां मेंढकों के लिए अनुकूल होती हैं। मिट्टी गीली हो जाती है और जल स्रोत बन जाते हैं, जो उनके लिए जीवनदायिनी होते हैं।

बारिश में मेंढक इसलिए बाहर निकलते हैं:

  • उनका शरीर गीले और नम वातावरण में ही ठीक तरह से काम करता है।

  • उन्हें प्रजनन (Reproduction) के लिए पानी की आवश्यकता होती है।

  • बारिश में कीड़े-मकोड़े बढ़ जाते हैं जो उनके भोजन का स्रोत हैं।


🔊 मेंढक टर्र-टर्र क्यों करते हैं?

मेंढकों की टर्राहट असल में नर मेंढकों की मादा को आकर्षित करने का माध्यम होती है। नर मेंढक अपनी आवाज के ज़रिए मादा को बुलाते हैं ताकि वे संतान उत्पत्ति की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकें।

वैज्ञानिक रूप से:

  • नर मेंढकों के गले में एक विशेष थैली होती है जिसे वे फुलाकर आवाज निकालते हैं।

  • हर प्रजाति की टर्राहट अलग होती है ताकि मादा मेंढक सही साथी को पहचान सके।

  • यह आवाज आमतौर पर रात में ज्यादा सुनाई देती है क्योंकि तब वातावरण शांत होता है।


🌿 बारिश में मेंढक दिखने का पारिस्थितिक महत्व

मेंढकों का बारिश में दिखना और उनकी आवाज पारिस्थितिक संतुलन का संकेत है। अगर किसी क्षेत्र में मेंढक नजर नहीं आ रहे हैं, तो ये प्रदूषण, जल की कमी या पारिस्थितिक असंतुलन का संकेत हो सकता है।

मेंढक पर्यावरण के "Bio-indicator" माने जाते हैं, यानी वे हमें वातावरण की गुणवत्ता के बारे में संकेत देते हैं।


❓ बाकी समय में मेंढक कहां विलुप्त हो जाते हैं?

मेंढक गर्मी और सर्दी के मौसम में गर्मी-निद्रा (Estivation) और शीत-निद्रा (Hibernation) में चले जाते हैं। वे मिट्टी के नीचे, पेड़ों की जड़ों में या झाड़ियों में छिपे रहते हैं जहां नमी बनी रहती है।

इसलिए ऐसा लगता है कि मेंढक "गायब" हो गए हैं, जबकि असल में वे छिपे हुए होते हैं और जीवनचक्र की तैयारी कर रहे होते हैं।


🧠 रोचक तथ्य

  • मेंढक की त्वचा के ज़रिए ऑक्सीजन भी अवशोषित होती है, इसलिए वह हमेशा नम रहनी चाहिए।

  • कुछ प्रजातियों के मेंढक ज़हरीले भी होते हैं, जैसे दक्षिण अमेरिका के "Poison Dart Frogs"।

  • भारत में पाए जाने वाले प्रमुख मेंढकों में "Indian Bullfrog", "Common Tree Frog" आदि शामिल हैं।


📚 स्रोत (Reference Links)


✅ 

मेंढकों की टर्राहट न केवल प्राकृतिक संगीत है, बल्कि यह जीवन के एक चक्र की शुरुआत भी है। उनकी उपस्थिति हमारे पर्यावरण की सेहत का प्रमाण होती है। इसलिए अगली बार जब बारिश हो और आप मेंढकों की आवाज सुनें, तो समझिए कि प्रकृति फिर से जाग चुकी है।


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✍️ लेखक एवं संपादक: आदिल अज़ीज़
दिनांक: 16 जून 2025, सोमवार

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