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ईरान बनाम इज़राइल: कौन सा देश किसके साथ खड़ा है और क्यों?

 

  1. क्या तीसरा विश्व युद्ध शुरू होने वाला है? ईरान-इज़राइल संघर्ष पर गहराई से विश्लेषण

  2. मध्य-पूर्व में जंग का एलान: ईरान और इज़राइल के बीच टकराव की पूरी कहानी

  3. ईरान-इज़राइल युद्ध: अमेरिका, रूस, चीन और अरब देशों की भूमिका क्या है?

  4. 2025 का सबसे बड़ा युद्ध: इज़राइल ने ईरान पर मिसाइलों से किया हमला, जानिए वजह

  5. ईरान-इज़राइल जंग: कौन किसके साथ है? जानिए पूरी रणनीति और ग्लोबल समर्थन

  6. क्या यह युद्ध खत्म होगा या बढ़ेगा? जानिए इज़राइल-ईरान संघर्ष का भविष्य

  7. ईरान-इज़राइल टकराव: हिज़्बुल्लाह, हमास और हूती विद्रोहियों की भूमिका

  8. इज़राइल और ईरान की दुश्मनी: क्या तेल और परमाणु शक्ति वजह हैं?

  9. ईरान-इज़राइल युद्ध का असर भारत और दुनिया की अर्थव्यवस्था पर

  10. ईरान-इज़राइल जंग में अमेरिका और रूस के अलग-अलग पाले क्यों हैं?

  11. ईरान-इज़राइल संघर्ष: मुस्लिम देशों की चुप्पी क्या संकेत दे रही है?

  12. क्या इज़राइल का 'राइजिंग लॉयन' ऑपरेशन जंग की शुरुआत है?

  13. ईरान की जवाबी कार्रवाई: क्या इज़राइल अब और बड़ा हमला करेगा?

  14. ईरान-इज़राइल युद्ध की लाइव अपडेट: कौन जीतेगा यह खतरनाक जंग?





ईरान इस्रायल युद्ध: किस देश का साथ किसका और क्यों?

✍️ लेखक एवं संपादक: आदिल अज़ीज़
📅  14 June 2025, शनिवार


🔍 मध्य-पूर्व का यह निर्णायक मोड़ 13 जून 2025 को तहलका मचा गया, जब इस्राइल ने ईरान के कई परमाणु और सैन्य ठिकानों पर 'राइजिंग लॉयन' नामक मिसाइल और ड्रोन हमला चलाया। इसके तुरंत बाद ईरान ने इज़राइल पर दागे गए दर्जनों ड्रोन और बैलेस्टिक मिसाइलों से जवाबी कार्रवाई की । इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे – कौन से देश किसके साथ खड़े हैं, समर्थन या विरोध के पीछे कारण क्या हैं, और इस बड़े संघर्ष में जमीन कैसी दिख रही है।


🌍 कौन किसके साथ – एक संक्षिप्त विश्लेषण

1. इस्राइल के समर्थन में देश

  • संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
    अमेरिका ने इस्राइल को रक्षात्मक समर्थन देने की बात कही है, जैसे मिसाइल इंटरसेप्शन में सहायता । ट्रम्प प्रशासन ने इस हमले की प्रशंसा की और कहा कि इजरायल की कार्रवाई "उत्कृष्ट" थी

  • यूरोपियन देश
    ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा ने इज़राइल के परमाणु और बैलेस्टिक मिसाइल साइट्स पर हमले को “रक्षात्मक कार्रवाई” के रूप में देखा, और इसे इज़राइल का “आत्मरक्षा का अधिकार” माना

  • जर्मनी
    जर्मनी मुख्य हथियार आपूर्तिकर्ता है – पिछले समय में एयर-डिफेंस सेंसर और गोला-बारूद सप्लाई किया

  • कनाडा, इटली, नीदरलैंड्स
    इन देशों ने इज़राइल को सैन्य उपकरण, गोला-बारूद और आर्थिक रक्षा सहायता दी

2. ईरान और उसकी 'Axis of Resistance' साझेदारियाँ

  • ईरान
    ईरान ने प्रतिशोध स्वरूप इज़राइल पर सैकड़ों मिसाइल और ड्रोन हमले किए businessinsider.com+1theguardian.com+1। ईरानी सर्वोच्च नेता ने इज़राइल को “ख़ाक कर देने” की धमकी भी दी

  • हिज़्बुल्लाह, प्लास्टिनी समूह (Hamas, PIJ), हूती विद्रोही
    ये ईरानी समर्थित समूह ‘.Axis of Resistance’ के हिस्से हैं। हिज़्बुल्लाह पहले ही लेबनान में सक्रिय था और हूती विद्रोही प्यून शासन कर रहे हैं Yemen में, ये सब इज़राइल-अमेरिका गठबंधन के खिलाफ खड़े हैं

  • कतार और तुर्की
    कतार ने Hamas को आर्थिक और राजनयिक समर्थन दिया है (प्रति वर्ष लगभग $30 मिलियन × कई सालों से तकरीबन $1.8 अरब तक) en.wikipedia.org। तुर्की भी Hammas का समर्थन करता आया है, और उसे “मुक़ाबला-बाद” बल के रूप में दर्शाता है


🛠️ समर्थन या विरोध – क्यों?

✡️ इस्राइल का 'प्राथमिक जवाब' क्यों?

  • परमाणु कार्यक्रम: इस्राइल कहता है कि ईरान परमाणु हथियार तैयार कर रहा था, तो उसने पहले ही हमला कर उसे नष्ट करने की दिशा चुनी

  • क्षेत्रीय दबाव: हिज़्बुल्लाह और हूती विद्रोहियों द्वारा की जा रही धमकियां इस्राइल को सतर्क रखती हैं

🚹 ईरान का पलटवार क्यों?

  • आत्म-प्रतिरोध: ईरान अपने गौरव और सुरक्षा की भावना के दम पर जवाबी कार्रवाई कर रहा है। इसके नेता ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे “गंभीर सज़ा देंगे”

  • proxies का साथ: हिज़्बुल्लाह, Hamas, एवं हूतियों की सामूहिक ताकत ईरान को साझे मोर्चे पर मजबूती देती है

⚖️ अंतरराष्ट्रीय समर्थन की धुरी

  • पश्चिमी राष्ट्र: अमेरिका और यूरोपीय देशों का यह आकलन कि इज़राइल अपने देश की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय अधिकारों का इस्तेमाल कर रहा है

  • अरब और मुस्लिम देशों की जटिल भूमिका:
    सऊदी अरब, यूएई, ओमान, जॉर्डन ने पब्लिक में हमलों की निंदा की, लेकिन इज़राइल की रणनीतिक कार्रवाई को एक तरह से चुपचाप स्वीकारा – यह तेल-समृद्ध देश ईरान के तेल स्रोतों से अप्रत्यक्ष रूप से डरते हैं

  • कुछ यूरोपीय प्रतिक्रियाएं:
    ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा ने हमने कहा कि इज़राइल को अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करना चाहिए. साथ ही पब⁠‍‌⁠‍लिक प्रोटेस्ट से दबाव बढ़ रहा है
    वहीं स्पेन, आयरलैंड, नॉर्वे, स्लोवेन जैसे देश फॉर्मल तरीके से फिलिस्तीन को मान्यता दे रहे हैं, जिससे इज़राइल की नीतियों पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा है


🛰️ वैश्विक अर्थशास्त्र पर असर

  • तेल और सोने के दाम बढ़ने लगे हैं क्योंकि मध्य-पूर्व की स्थिरता डगमगा रही है

  • राजनयिक प्रयास एवं शांतिरक्षा मिशन तेज़ हो गए हैं – यूएन, ईयू, अमेरिकी प्रशासन सक्रिय हो गए हैं


🙏 निष्कर्ष

  • इस्राइल-पक्ष की ताकत: अमेरिका, यूरोप, हथियार-आपूर्ति

  • ईरान-पक्ष की ताकत: ‘Axis of Resistance’ – हिज़्बुल्लाह, Hamas, हूती + कतार, तुर्की

  • मध्य-पूर्वी देशों (सऊदी, यूएई, जॉर्डन) ने सख़्ती से निंदा की लेकिन चुपचाप इज़राइल के गुणन में दिखाई दिया।

भविष्य में हम देखेंगे कि क्या यह संघर्ष यौन राष्ट्रों तक फैलता है, या राजनयिक पहल इसे जल्द ठंडा कर देती है।


ℹ️ संदर्भ वेबसाइट्स (links)


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