कटनी में नई शराब दुकान बनी लोगों की परेशानी, प्रशासन बना मूक दर्शक
written & edited by : ADIL AZIZ
मामला कटनी नगर निगम क्षेत्र में, थाना रंगनाथ नगर के अंतर्गत भट्टा मोहल्ला में,डॉ. विकास श्रीवास्तव की पुरानी क्लिनिक"का है""जहाँ अब तक लोगों का इलाज होता था, वहाँ अब शराब की दुकान खुल रही है — ये न सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर खतरा है।" अब इलाज नहीं होता,बल्कि अब वहाँ कुछ ऐसा हो रहा है जिसे "बीमारी बेचना" कहा जा सकता है
कटनी शहर में एक बार फिर प्रशासन ने अपनी नाकामी का सबूत पेश कर दिया है। बीते कुछ समय से शहर में शराब दुकानों को लेकर लगातार विरोध होता आ रहा है। खासकर आबादी वाले इलाकों और धार्मिक स्थलों के पास शराब की दुकानें खुलने से स्थानीय लोग बेहद परेशान हैं। ताजा मामला खिरहनी इलाके का है, जहाँ नई शराब दुकान खुलते ही लोगों का गुस्सा फूट पड़ा।
आबादी और धार्मिक स्थलों के बीच शराब दुकान, लोगों का फूटा गुस्सा
खिरहनी क्षेत्र पहले भी शराब दुकान को लेकर चर्चा में रह चुका है। कुछ महीने पहले यहां खुली शराब दुकान के विरोध में स्थानीय लोगों ने जोरदार प्रदर्शन किया था। भारी विरोध के चलते प्रशासन को उस दुकान को वहां से हटाना पड़ा था। लेकिन प्रशासन ने उस घटना से कोई सबक नहीं लिया और अब एक बार फिर उसी गलती को दोहराया है।
इस बार शराब दुकान ऐसी जगह खोली गई है, जो दो प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थलों के पास स्थित है। इसके अलावा यह पूरा इलाका घनी आबादी वाला है। ऐसे में रोज़ाना यहां से सैकड़ों परिवार गुजरते हैं। बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए इस दुकान का वहां होना किसी मुसीबत से कम नहीं है।
विरोध में कोई जनप्रतिनिधि नहीं आया आगे
सबसे हैरानी की बात यह है कि इलाके में रहने वाले स्थानीय लोगों ने तो इसका विरोध किया, लेकिन एक भी जनप्रतिनिधि उनकी आवाज़ में शामिल नहीं हुआ। आपको बता दें कि इस मोहल्ले में एक ताकतवर पूर्व विधायक और वर्तमान विधायक का निवास भी है। लेकिन हैरानी इस बात की है कि अब तक उन्होंने इस मामले में कोई प्रतिक्रिया तक नहीं दी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि "जिस तरह प्रशासन ने आंखों पर पट्टी बांध रखी है, उसी तरह हमारे जनप्रतिनिधि भी अपनी ज़िम्मेदारियों से मुँह मोड़ रहे हैं।"
प्रशासन बना अंधा-बहरा
यह कोई पहली बार नहीं है जब कटनी प्रशासन ने इस तरह की लापरवाही दिखाई हो। पहले भी कई बार आबादी वाले इलाकों में शराब दुकानें खोली गई हैं और विरोध होने के बावजूद उन्हें हटाने में देरी की गई।
लोगों का कहना है कि शराब दुकानों से इलाके का माहौल खराब होता है। लड़ाई-झगड़े, गाली-गलौज और सड़क पर शराब पीने जैसी घटनाएँ बढ़ जाती हैं। इससे महिलाओं और बच्चों का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।
लेकिन प्रशासन पर इन बातों का कोई असर नहीं होता। ऐसा लगता है जैसे शराब ठेकेदारों और प्रशासन के बीच मिलीभगत है।
बच्चों और महिलाओं पर पड़ रहा है बुरा असर
शराब की दुकान खुलने से सबसे ज़्यादा दिक्कत महिलाओं और बच्चों को होती है। स्कूल जाने वाले बच्चों को शराब पीकर लड़खड़ाते लोगों का सामना करना पड़ता है। मोहल्ले की महिलाओं का कहना है कि "अब शाम के बाद घर से निकलना मुश्किल हो जाएगा। शराब पीकर हुड़दंग करने वाले लोग गली-मोहल्लों में खुलेआम घूमते "अब जब इस जगह पर शराब की दुकान खुलने जा रही है, तो असामाजिक तत्वों को और बल मिलेगा, और आम लोगों, खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए घर से निकलना मुश्किल हो जाएगा।"
धार्मिक स्थल भी आ रहे हैं चपेट में
जिस जगह शराब दुकान खोली गई है, वहां से कुछ ही दूरी पर दो प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल हैं। ऐसे में भक्तों की धार्मिक भावनाएँ भी आहत हो रही हैं। मंदिर आने-जाने वाले श्रद्धालु इस स्थिति से बेहद नाराज़ हैं।
स्थानीय निवासी का कहना है कि "धार्मिक स्थल के पास शराब दुकान खोलना हमारे धर्म और संस्कृति का अपमान है। प्रशासन को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।"
लगातार किया जा रहा है विरोध
शराब दुकान हटाने की माँग को लेकर अब स्थानीय लोग एकजुट हो रहे हैं। मोहल्ले की महिलाएँ और बुजुर्ग इसके विरोध में प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं। कई लोगों ने जिला कलेक्टर और एसडीएम से भी शिकायत की है।
सवाल यह है कि प्रशासन आखिर कब तक इन मांगों को अनसुना करता रहेगा? क्या किसी बड़ी घटना का इंतज़ार किया जा रहा है?
सोशल मीडिया पर भी उबाल
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा हो रही है। लोग प्रशासन की नाकामी को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएँ दे रहे हैं। कई लोगों ने तो इलाके के जनप्रतिनिधियों को भी आड़े हाथों लिया है।
फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सऐप ग्रुप्स में लोग सवाल कर रहे हैं कि "क्या सिर्फ चुनाव के वक़्त ही नेता मोहल्ले में आते हैं? आज जब जनता को उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, तो सब गायब क्यों हैं?"
समाधान क्या है?
स्थानीय लोगों की एक ही माँग है कि आबादी और धार्मिक स्थलों के पास से शराब दुकान को तुरंत हटाया जाए। इसके लिए ज़रूरी है कि प्रशासन लोगों की भावनाओं का सम्मान करे और त्वरित कार्रवाई करे।
साथ ही ज़रूरी है कि जनप्रतिनिधि भी अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं और इस मामले में खुलकर जनता के साथ खड़े हों।
अगर ऐसा नहीं हुआ तो लोगों का गुस्सा और भी भड़क सकता है और स्थिति बिगड़ सकती है।
कटनी के भट्टा मोहल्ला इलाके में शराब दुकान खुलना प्रशासन की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता का उदाहरण है। स्थानीय लोगों की धार्मिक भावनाओं और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। प्रशासन को चाहिए कि वह जनता की आवाज़ सुने और इस विवादित दुकान को जल्द से जल्द हटाए।
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