रातापानी सैंक्चुअरी टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित, सही मायनों में मध्यप्रदेश बना टाइगर स्टेट - मुख्यमंत्री डॉ. यादव
written & edited by : ADIL AZIZ
प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व क्षेत्र बना रातापानी
कटनी (3 दिसंबर) – मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि रातापानी सैंक्चुअरी को टाइगर रिजर्व बफर एरिया के रूप में घोषित कर दिया गया है। इस महत्वपूर्ण कदम के साथ, मध्यप्रदेश अब सही मायनों में “टाइगर स्टेट” बन गया है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि प्रदेश के लिए बहुत बड़ी सौगात है। केंद्र सरकार द्वारा इस प्रस्ताव को अनुमोदित किए जाने के बाद रातापानी, मध्यप्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व क्षेत्र बन गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा मध्यप्रदेश को वन्यजीव संरक्षण में प्राथमिकता दी है। श्योपुर के कूनो में चीते लाने के बाद, अब रातापानी को टाइगर रिजर्व बफर क्षेत्र के रूप में मंजूरी मिलना प्रदेश की वन्यजीव संरक्षण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
राजधानी के करीब, वन्यजीव संरक्षण को नई दिशा
रातापानी सैंक्चुअरी टाइगर रिजर्व की एक विशेषता यह है कि यह राजधानी भोपाल के बेहद करीब स्थित है। यह देश का एकमात्र ऐसा टाइगर रिजर्व है, जिसका राजधानी क्षेत्र से सीधा जुड़ाव है। मुख्यमंत्री ने कहा, “इससे यह माना जा सकता है कि राजधानी भी इस अभयारण्य का हिस्सा है।”
रातापानी सैंक्चुअरी का विस्तार रायसेन, भोपाल और सीहोर जिलों में है। इस क्षेत्र में लगभग 90 से अधिक बाघों के साथ-साथ अन्य वन्यजीवों का भी निवास है। टाइगर रिजर्व बनने से इस क्षेत्र में पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा। टाइगर रिजर्व का कोर क्षेत्र रातापानी अभयारण्य की सीमा के भीतर है।
ग्रामीणों को मिलेगा लाभ
मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि टाइगर रिजर्व बनने से स्थानीय ग्रामीणों के अधिकारों में कोई बदलाव नहीं होगा। इसके विपरीत, पर्यटन के माध्यम से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे, जिससे स्थानीय ग्रामीणों को आर्थिक लाभ मिलेगा।
मध्यप्रदेश: टाइगर स्टेट का गौरव
मध्यप्रदेश देश का एकमात्र राज्य है जहां सबसे ज्यादा टाइगर और टाइगर रिजर्व हैं। रातापानी को टाइगर रिजर्व घोषित करने से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान हासिल करेगा।
बजट और संरक्षण प्रबंधन में सुधार
मुख्यमंत्री ने बताया कि रातापानी टाइगर रिजर्व बनने से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और केंद्र सरकार द्वारा आवंटित बजट का उपयोग अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा। इससे वन्यजीवों का बेहतर प्रबंधन संभव होगा।
भोपाल को मिलेगी नई पहचान
रातापानी के टाइगर रिजर्व बनने के साथ ही राजधानी भोपाल को नई पहचान मिलेगी। इसे “टाइगर कैपिटल” के रूप में मान्यता मिलने की संभावना है।
पर्यटन और विकास का नया अध्याय
रातापानी के टाइगर रिजर्व बनने से न केवल वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह क्षेत्र पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र भी बनेगा। यह पहल प्रदेश की साख को और मजबूत करेगी और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में मध्यप्रदेश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
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