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मिथ्या छाप खाद्य पदार्थ का संग्रहण और विक्रय: ने शंकर स्वीट्स पर लगा 15 हजार रूपये का जुर्माना

 


written & edited by : ADIL AZIZ 

कटनी (3 नवम्बर) - खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अंतर्गत, खाद्य पदार्थों में मिलावट और मिथ्या छाप के मामलों में कानूनी कार्रवाई के तहत शंकर स्वीट्स सेंटर पर 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। अपर कलेक्टर साधना परस्ते ने यह दंड सुनाया, जिसके तहत श्यामलाल भागचंदानी को दोषी ठहराया गया। यह कार्रवाई जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत मामले पर विधिवत सुनवाई के बाद हुई।

प्रकरण का विवरण

कटनी के माधव नगर में स्थित शंकर स्वीट्स सेंटर का निरीक्षण खाद्य सुरक्षा अधिकारी ब्रजेश कुमार विश्वकर्मा द्वारा 11 अक्टूबर 2021 को किया गया। निरीक्षण के दौरान, दुकान में बिक्री के लिए रखे गए नमकीन, बिस्किट, टॉफी, और अन्य खाद्य पदार्थों का संग्रहण पाया गया। इन खाद्य पदार्थों में, विशेष रूप से सुंदर काजू बिस्किट और सतमोला नमकीन जैसे उत्पादों में मिलावट और मिथ्या छाप की संभावना देखी गई।

निरीक्षण के दौरान, अधिकारियों ने विभिन्न खाद्य उत्पादों के साक्ष्य के रूप में नमूने लिए। इनमें से कुछ नमूने जैसे मार्को ड्रीम रॉयल कैंडी (472 ग्राम), सुंदर काजू बिस्किट (250 ग्राम के चार पैकेट), और सतमोला नमकीन नींबू भुजिया (180 ग्राम के चार पैकेट) थे, जो कि साक्षियों की उपस्थिति में लिए गए और विक्रेता से हस्ताक्षर करवाए गए। इस कार्यवाही का विधिवत पंचनामा भी बनाया गया।

खाद्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन

खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 के तहत, इन नमूनों को विश्लेषण के लिए एक निर्दिष्ट प्रयोगशाला में भेजा गया, जिसमें सुंदर काजू बिस्किट और सतमोला नमकीन के नमूने मिथ्या छाप पाए गए। इस उल्लंघन के आधार पर, न्याय निर्णायक अधिकारी ने लोक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 की धारा 26 (2) (पप) और धारा 52 के तहत श्यामलाल भागचंदानी के खिलाफ जुर्माना लगाकर दंडित किया।

मामले में अनावेदक का पक्ष

अनावेदक श्यामलाल भागचंदानी ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि दोनों नमूने मिथ्या छाप थे, लेकिन जानकारी के अभाव में वह इनका विक्रय कर रहे थे। उन्होंने क्षमायाचना की और आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसे उत्पादों की उचित जांच और मूल्यांकन के बाद ही व्यापारिक गतिविधि करेंगे। साथ ही, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अनजाने में उन्होंने इस प्रकार के खाद्य पदार्थ का विक्रय किया था।

प्रयोगशाला की रिपोर्ट और न्याय निर्णय

प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार, सुंदर काजू बिस्किट और सतमोला नमकीन के नमूने में मिलावट पाई गई और यह मिथ्या छाप थे। आवेदक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों और साक्ष्यों के आधार पर अनावेदक को दोषी ठहराया गया। इस मामले में कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया जो यह साबित कर सके कि प्रस्तुत किया गया परिवाद झूठा या निराधार है।

इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, न्याय निर्णायक अधिकारी साधना परस्ते ने 58 वर्षीय श्यामलाल भागचंदानी को 15,000 रुपये के आर्थिक दंड से दंडित किया। साथ ही, आदेश दिया कि यह राशि निर्धारित ट्रेजरी चालान के माध्यम से 30 दिनों के भीतर जमा की जाए। चालान की प्रति न्यायालय में जमा करनी अनिवार्य है। निर्धारित समय में राशि जमा न करने की स्थिति में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 96 के तहत आगे की कार्रवाई की जाएगी।

न्याय निर्णय का महत्व

इस मामले में न्याय निर्णायक अधिकारी का निर्णय एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि खाद्य सुरक्षा के मानकों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। खाद्य पदार्थों में मिलावट और मिथ्या छाप से न केवल ग्राहकों के स्वास्थ्य को खतरा होता है, बल्कि यह समाज में अस्वस्थ व्यापारिक प्रथाओं को भी बढ़ावा देता है। इस फैसले से स्पष्ट होता है कि यदि कोई विक्रेता अनजाने में भी खाद्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करता है, तो उसे भी परिणाम भुगतने होंगे।

उपभोक्ताओं के लिए संदेश

इस प्रकार के मामलों से उपभोक्ताओं को यह समझ में आना चाहिए कि वे जो खाद्य पदार्थ खरीद रहे हैं, उसकी गुणवत्ता पर ध्यान देना आवश्यक है। साथ ही, उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे प्रतिष्ठित और प्रमाणित ब्रांड से ही खाद्य सामग्री खरीदें और यदि उन्हें किसी भी प्रकार की मिलावट की शंका होती है, तो संबंधित अधिकारियों को तुरंत इसकी सूचना दें।

विक्रेताओं के लिए महत्वपूर्ण सबक

यह निर्णय विक्रेताओं के लिए भी एक सीख है कि उन्हें अपने विक्रय उत्पादों की गुणवत्ता का ध्यान रखना चाहिए और उन पर पूरा विश्वास करना चाहिए। किसी भी प्रकार का उल्लंघन न केवल कानूनी परेशानी का कारण बन सकता है, बल्कि उनके व्यापार की साख पर भी बुरा असर डाल सकता है। यदि विक्रेता भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही नहीं करना चाहते हैं, तो उन्हें अपने स्टॉक की गुणवत्ता जांच करनी चाहिए और विश्वसनीय आपूर्तिकर्ताओं से ही सामान लेना चाहिए।

खाद्य सुरक्षा एक संवेदनशील मुद्दा है और इसे ध्यान में रखते हुए न्याय निर्णायक अधिकारी का यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा की दिशा में एक कदम है, बल्कि व्यापारियों को भी सतर्क करने का प्रयास है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत इस प्रकार की सख्त कार्यवाही आने वाले समय में अन्य व्यापारियों के लिए भी एक चेतावनी स्वरूप हो सकती है कि वे अपने व्यापार में गुणवत्ता और शुद्धता को सर्वोपरि रखें।


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