"मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मुंबई में 12वीं फेल आईपीएस मनोज शर्मा से की सौजन्य मुलाकात"
ट्वेल्थ फेल आईएएस: मनोज शर्मा की प्रेरक कहानी
12वीं फेल से आईपीएस तक का सफर
मनोज शर्मा, जिनका नाम आज एक प्रेरणा के रूप में लिया जाता है, कभी 12वीं कक्षा में फेल हुए थे। यह कहानी केवल उनकी असफलता की नहीं, बल्कि उनकी दृढ़ता और सफलता की मिसाल है। चंबल के छोटे से गाँव में जन्मे मनोज ने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए अपने सपनों को साकार किया। उनकी कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में संघर्ष कर रहा है।
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मुख्यमंत्री डॉ. यादव से मुलाकात
24 नवंबर को मुंबई में महाराष्ट्र कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी मनोज शर्मा और उनकी पत्नी श्रद्धा शर्मा ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से सौजन्य भेंट की। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने मनोज शर्मा के जीवन की उपलब्धियों को युवाओं के लिए प्रेरणा बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा, "मनोज शर्मा ने विपरीत परिस्थितियों में अपने संकल्प और मेहनत के बल पर न केवल मुरैना बल्कि पूरे मध्यप्रदेश को गौरवान्वित किया है। उनकी कहानी हर युवा को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।"
मनोज शर्मा का जीवन परिचय
मनोज शर्मा का जन्म 3 जुलाई 1975 को मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के एक छोटे से गाँव में हुआ। 2005 बैच के आईपीएस अधिकारी मनोज को महाराष्ट्र कैडर आवंटित हुआ। वर्तमान में वे केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में पुलिस महानिरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।
उनकी पत्नी श्रद्धा शर्मा, महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम की प्रबंध निदेशक हैं। दोनों ने मिलकर युवाओं के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया है कि किसी भी चुनौती को मेहनत और लगन से पार किया जा सकता है।
फिल्म "12वीं फेल" और मनोज शर्मा
मनोज शर्मा के जीवन पर आधारित फिल्म "12वीं फेल" हाल ही में रिलीज़ हुई है। यह फिल्म उनके जीवन की संघर्षपूर्ण यात्रा को दर्शाती है और दर्शकों को यह संदेश देती है कि असफलता सफलता की पहली सीढ़ी हो सकती है।
फिल्म के रिलीज़ के बाद से ही मनोज शर्मा का नाम हर तरफ चर्चा में है। यह फिल्म युवाओं को उनके सपनों के प्रति समर्पित रहने के लिए प्रेरित करती है।
संघर्ष से सफलता तक
मनोज शर्मा का सफर दिखाता है कि शिक्षा के क्षेत्र में असफलता जीवन का अंत नहीं है। उन्होंने अपने आत्मविश्वास और मेहनत से न केवल यूपीएससी परीक्षा पास की, बल्कि एक प्रभावशाली आईपीएस अधिकारी के रूप में अपना स्थान बनाया।
उनका कहना है, "मैंने असफलता को एक सबक के रूप में लिया और अपने प्रयासों को जारी रखा। सफलता केवल मेहनत और धैर्य का परिणाम है।"
युवाओं के लिए प्रेरणा
मनोज शर्मा की कहानी हर युवा के लिए प्रेरणा है। चाहे वह कोई भी परीक्षा हो या जीवन की कोई भी चुनौती, मनोज शर्मा ने यह साबित किया है कि हार मानने के बजाय उसे सीखने का माध्यम बनाना चाहिए।
उनकी यह यात्रा न केवल एक व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि समाज को एक संदेश है कि सपने देखने की हिम्मत करो और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करो।
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