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5 लाख की रिश्वत लेते उपयंत्री गिरफ्तार: सड़क निर्माण बिल भुगतान के एवज में मांगी थी 15 लाख 50 हजार की रिश्वत


लोकायुक्त पुलिस इंदौर की बड़ी कार्रवाई, 5 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए उपयंत्री रंगे हाथ गिरफ्तार

खरगोन, मप्र:
मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में एक बड़े भ्रष्टाचार मामले का खुलासा हुआ है। लोकायुक्त पुलिस इंदौर ने दीपावली से पहले एक महत्वपूर्ण कार्रवाई को अंजाम देते हुए मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण महेश्वर के उपयंत्री राहुल मंडलोई को 5 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। इस रिश्वत कांड की तह तक जाने पर यह पता चला कि सड़क निर्माण के लंबित बिलों का भुगतान करने के एवज में राहुल मंडलोई ने कुल 15 लाख 50 हजार रुपए की मांग की थी।

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शिकायतकर्ता की कहानी: रिश्वत की मांग का खुलासा

यह मामला तब सामने आया जब ओम प्रकाश पाटीदार, जो साटकूर तहसील कसरावद के निवासी हैं, ने लोकायुक्त पुलिस इंदौर के अधीक्षक राजेश सहाय के समक्ष शिकायत दर्ज कराई। शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्होंने मेसर्स प्रकाश पाटीदार के साथ मिलकर मध्य प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के तहत लोहारी फाटे से सिपटान और निमरानी से बोरावां रोड का निर्माण किया था। इस निर्माण के बाद लंबित बिलों का भुगतान नहीं हो रहा था, और इस भुगतान को सुनिश्चित करने के लिए उपयंत्री राहुल मंडलोई ने 15 लाख 50 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी।

लोकायुक्त पुलिस का ऑपरेशन: रिश्वत लेते हुए पकड़े गए उपयंत्री

लोकायुक्त डीएसपी प्रवीण सिंह बघेल से मिली जानकारी के अनुसार, शिकायत दर्ज होने के बाद इसका सत्यापन कराया गया। जब शिकायत सही पाई गई, तब लोकायुक्त टीम ने 23 अक्टूबर को एक जाल बिछाया और उपयंत्री राहुल मंडलोई को 5 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। इस कार्रवाई के दौरान टीम में लोकायुक्त के अन्य अधिकारी भी शामिल थे, जिनमें उपुअ दिनेशचन्द्र पटेल, कार्यवाहक निरीक्षक राजेश ओहरिया, आरक्षक कमलेश परिहार, आरक्षक सतीश यादव, आरक्षक आदित्य सिंह भदौरिया, आरक्षक विजय कुमार, और चालक शेरसिंह ठाकुर प्रमुख रूप से शामिल थे।

लोकायुक्त पुलिस की सक्रियता: रिश्वतखोरी पर सख्त कार्रवाई

लोकायुक्त पुलिस इंदौर ने इस कार्रवाई के माध्यम से एक कड़ा संदेश दिया है कि रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी जीरो टॉलरेंस नीति है। पुलिस अधीक्षक राजेश सहाय ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई भ्रष्ट अधिकारियों को चेतावनी है कि रिश्वत मांगने या देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। लोकायुक्त की यह कार्रवाई दर्शाती है कि यदि कोई व्यक्ति या अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

शिकायतकर्ता का बयान: ‘राहत महसूस कर रहा हूँ’

शिकायतकर्ता प्रकाश पाटीदार ने बताया कि वे इस रिश्वतखोरी से परेशान थे, लेकिन अब उपयंत्री की गिरफ्तारी के बाद उन्हें राहत मिली है। उन्होंने लोकायुक्त पुलिस को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने साहस करके यह शिकायत दर्ज कराई और अब न्याय मिला है। पाटीदार ने कहा, "मुझे उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी कार्रवाई होगी, लेकिन लोकायुक्त पुलिस ने बहुत ही प्रभावी ढंग से काम किया।"

रिश्वतखोरी पर कानूनी प्रक्रिया: क्या होता है आगे?

अब जब उपयंत्री राहुल मंडलोई को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया गया है, तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। रिश्वत लेने का मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आता है, और दोष सिद्ध होने पर उन्हें जेल की सजा हो सकती है। इसके अलावा, उनकी नौकरी पर भी खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि सरकारी कर्मचारियों के लिए रिश्वत लेने पर कड़ी सजा का प्रावधान है।

लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले में अन्य संभावित सहयोगियों और आरोपियों की भी जांच शुरू कर दी है। यह संभव है कि आगे चलकर और भी बड़े नाम सामने आएं जो इस रिश्वत कांड में शामिल हो सकते हैं।

रिश्वतखोरी के खिलाफ संघर्ष: आम जनता की भूमिका

इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित किया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में आम नागरिकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि शिकायतकर्ता प्रकाश पाटीदार हिम्मत न जुटाते और लोकायुक्त पुलिस से संपर्क नहीं करते, तो शायद यह मामला दबा रह जाता। यह जरूरी है कि लोग अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें और अगर किसी सरकारी अधिकारी द्वारा रिश्वत की मांग की जाती है, तो तुरंत इसकी शिकायत करें।

लोकायुक्त पुलिस की सलाह: जागरूक रहें, रिश्वत न दें

लोकायुक्त पुलिस इंदौर ने आम जनता से अपील की है कि वे रिश्वतखोरी के मामलों में जागरूक रहें और किसी भी प्रकार की रिश्वत देने से बचें। पुलिस का कहना है कि रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करने के लिए हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क किया जा सकता है। यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी रिश्वत मांगता है, तो तुरंत इसकी सूचना दें ताकि दोषियों को गिरफ्तार किया जा सके और भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त किया जा सके।

 रिश्वतखोरी पर अंकुश लगाना आवश्यक

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कार्रवाई और जनता की जागरूकता दोनों आवश्यक हैं। लोकायुक्त पुलिस इंदौर की इस प्रभावी कार्रवाई ने यह साबित किया है कि अगर शिकायतकर्ता जागरूक हो और सरकारी एजेंसियां निष्पक्षता से काम करें, तो भ्रष्टाचार का खात्मा किया जा सकता है।


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