कटनी नगर निगम में भ्रष्टाचार की जांच के आदेश: 22.60 करोड़ का विवाद
written & edited by : ADIL AZIZ
कटनी: कटनी नगर निगम में भ्रष्टाचार का मामला गंभीर रूप से उठाया गया है, जिसमें वाणिज्यिक केंद्र निर्माण के दौरान अनियमितताओं और नगर निगम को हुए भारी वित्तीय नुकसान की जांच के आदेश दिए गए हैं। मुख्य सचिव ने नगर निगम के राजीव गांधी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार के संबंध में तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। यह मामला वरिष्ठ पार्षद और एडवोकेट मिथलेश जैन द्वारा मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजी गई शिकायत पर आधारित है।
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भ्रष्टाचार का खुलासा
मिथलेश जैन ने अपनी शिकायत में बताया कि कटनी स्टेशन के बाहर वाणिज्यिक केंद्र (राजीव गांधी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स) के निर्माण कार्यों में कई गड़बड़ियां की गईं। इस योजना के अंतर्गत, नगर निगम ने पीडब्ल्यूडी से भूमि प्राप्त कर इस पर एक व्यावसायिक केंद्र बनाने का फैसला किया था, लेकिन योजना के क्रियान्वयन में नियमों की अनदेखी की गई।
प्रमोटर/ठेकेदार खुशीराम एंड कंपनी के साथ मिलकर नगर निगम के तत्कालीन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने नियमों का पालन नहीं किया। योजना के अनुमोदन के बिना ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। ठेकेदार को सही समय पर ड्राइंग डिज़ाइन उपलब्ध नहीं कराई गई, और अनुबंध की शर्तें भी उचित तरीके से तय नहीं की गईं।
निगम को भारी वित्तीय हानि
इस निर्माण के दौरान ठेकेदार ने नगर निगम को बिना सूचित किए कई दुकानों को बेच दिया या किराए पर दे दिया, और उससे प्राप्त राशि को अपने निजी उपयोग में ले लिया। नगर निगम के राजस्व विभाग द्वारा समय पर कोई कार्यवाही नहीं की गई, जिससे नगर निगम को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। निगम को 22.60 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिसका सीधा असर नगर निगम की आर्थिक स्थिति पर पड़ा।
कानूनी कार्यवाही और अनदेखी
मिथलेश जैन ने बताया कि भ्रष्टाचार के संबंध में तत्कालीन पार्षद इश्तियाक अहमद और अन्य लोगों द्वारा कई शिकायतें की गईं, लेकिन नगर निगम आयुक्त और अन्य अधिकारियों ने कोई उचित कार्रवाई नहीं की। इस मामले में कानूनी प्रक्रियाएं भी उचित ढंग से नहीं निभाई गईं। आर्बिटेटर के निर्णय के बाद नगर निगम को भारी नुकसान झेलना पड़ा।
अधिकारियों ने न्यायालय में नगर निगम का पक्ष सही तरीके से प्रस्तुत नहीं किया, जिसके चलते आर्बिटेटर ने प्रमोटर/ठेकेदार के पक्ष में निर्णय दिया और 22.60 करोड़ रुपये की राशि नगर निगम के विरुद्ध निर्धारित की गई।
मुख्य सचिव के आदेश
इस गंभीर मामले को देखते हुए, मुख्य सचिव ने नगरीय प्रशासन विभाग को जांच के आदेश दिए हैं। वरिष्ठ पार्षद मिथलेश जैन की शिकायत के आधार पर उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाएगा, जो भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों और प्रमोटरों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। इस जांच का उद्देश्य नगर निगम को हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई और दोषियों को न्याय के दायरे में लाना है।
नगर निगम का पक्ष और अगली कार्रवाई
इस मामले में नगर निगम की लापरवाही साफ तौर पर सामने आई है, जहां भ्रष्टाचार के चलते भारी वित्तीय हानि हुई है। निगम द्वारा इस मामले को बार-बार अनदेखा किया गया, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई। अब, जांच कमेटी के गठन के बाद उम्मीद की जा रही है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और नगर निगम को न्याय मिलेगा।
भविष्य की चुनौतियां
नगर निगम के सामने अब एक बड़ी चुनौती है, जिसमें उन्हें न केवल भ्रष्टाचार के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी है, बल्कि इस मामले में हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई भी करनी होगी। यह देखा जाना बाकी है कि जांच के बाद दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी और नगर निगम को कितना राहत मिल पाएगा।
इस मामले में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। नगर निगम की प्रतिष्ठा और कार्यक्षमता को बनाए रखने के लिए इस मामले का निष्पक्ष और त्वरित निपटारा जरूरी है।
कटनी नगर निगम का यह मामला भ्रष्टाचार की एक गंभीर मिसाल है, जिसमें न केवल निगम को भारी वित्तीय नुकसान हुआ, बल्कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की अनदेखी भी सामने आई। मुख्य सचिव के आदेश के बाद उम्मीद है कि इस मामले में जल्द से जल्द न्याय मिलेगा और नगर निगम को फिर से सही रास्ते पर लाया जा सकेगा।
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