कृषि कानूनों पर कंगना के बयान से भाजपा में उथल-पुथल , कंगना रनौत की बयानबाजी ने किया भाजपा का चुनावी समीकरण उलझाया
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए समय तेजी से घट रहा है, और जैसे-जैसे चुनाव प्रचार अपने अंतिम चरण में पहुंच रहा है, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर हलचलें तेज हो गई हैं। इसके केंद्र में हैं नई नवेली बीजेपी सांसद कंगना रनौत, जिनके विवादास्पद बयान और तीखी टिप्पणियां बार-बार पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही हैं। किसानों के मुद्दे को लेकर कंगना की बयानबाजी ने न केवल हरियाणा की राजनीति में उथल-पुथल मचाई है, बल्कि भाजपा के उच्च नेतृत्व को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
किसानों के मुद्दे पर कंगना का बयान: बीजेपी की नई चुनौती
हाल ही में कंगना ने तीन कृषि कानूनों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि "किसानों को खुद इन कानूनों की वापसी की मांग करनी चाहिए"। यह बयान ऐसे समय आया है जब हरियाणा विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और भाजपा किसानों के समर्थन को लेकर पहले ही दबाव में है। किसानों के लंबे आंदोलन और सैकड़ों किसानों की शहादत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीनों कानूनों को वापस लेना पड़ा था, लेकिन कंगना के बयान ने इस पुराने घाव को फिर से कुरेद दिया।
कंगना के इस बयान से भाजपा के भीतर खलबली मच गई है, क्योंकि हरियाणा में किसानों का एक बड़ा वोट बैंक है, और ऐसे बयान पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। इससे पहले भी कंगना ने किसानों को "आतंकवादी" और "उग्रवादी" कहकर विवाद खड़ा किया था, जिसके बाद हरियाणा में एक जनसभा के दौरान उन्हें प्रत्यक्ष रूप से इसका विरोध झेलना पड़ा था।
बीजेपी का संकट: कंगना का बयान और पार्टी की प्रतिक्रिया
बीजेपी में कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता कंगना के बयानों से असहमत हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि कंगना जैसे सांसद, जिनका राजनीतिक अनुभव अपेक्षाकृत कम है, बार-बार ऐसे विवादास्पद बयान देकर पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। चुनाव के दौरान जब पार्टी के सभी नेताओं को एकजुट होकर प्रचार करना चाहिए, तब कंगना की टिप्पणियां भाजपा के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गई हैं।
भाजपा के जानकार बताते हैं कि मोदी के नेतृत्व में पार्टी का हर नेता उनके इशारे पर काम करता है। फिर सवाल उठता है कि क्या कंगना के ऐसे बयानों के पीछे पार्टी की कोई रणनीति है या फिर यह व्यक्तिगत टिप्पणियां हैं?
कंगना और विवादों का साथ: एक स्थायी रिश्ता
कंगना का नाम विवादों से जुड़े रहने के लिए जाना जाता है। फिल्मों में अपनी अदाकारी के साथ-साथ वे अक्सर अपने तीखे बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट्स के कारण चर्चा में रहती हैं। राजनीति में कदम रखने के बाद भी उनका यह अंदाज नहीं बदला। चाहे किसानों का आंदोलन हो, बॉलीवुड में नेपोटिज्म पर उनका रुख हो, या फिर किसी अन्य सामाजिक मुद्दे पर उनकी राय, कंगना हमेशा मुखर रही हैं।
लेकिन राजनीतिक मंच पर इस प्रकार के बयानों का असर सिर्फ उनकी छवि पर नहीं पड़ता, बल्कि उनकी पार्टी पर भी होता है। हरियाणा विधानसभा चुनाव जैसे नाजुक समय में कंगना के बयान ने भाजपा के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है।
कंगना की बयानबाजी का असर: भाजपा को नुकसान या लाभ?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कंगना के बयान सीधे तौर पर भाजपा के लिए नुक़सानदेह हो सकते हैं। हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां किसानों का बड़ा जनाधार है। तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने लंबे समय तक आंदोलन किया था, और इस आंदोलन के परिणामस्वरूप भाजपा को अपनी नीतियों में बदलाव करना पड़ा था।
किसानों के लिए यह मुद्दा अभी भी बेहद संवेदनशील है, और कंगना का बयान उन्हें नाराज़ कर सकता है। भाजपा को किसानों का समर्थन पाने के लिए पहले ही बहुत मेहनत करनी पड़ रही है, और ऐसे में कंगना के बयान से स्थिति और जटिल हो सकती है।
कंगना का विवादास्पद अतीत और उसकी प्रासंगिकता
यह पहली बार नहीं है जब कंगना ने इस तरह का बयान दिया है। इसके पहले भी, जब हरियाणा में किसानों का आंदोलन चरम पर था, तब कंगना ने किसान आंदोलन को "हिंसक" बताते हुए कई तीखे बयान दिए थे। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि आंदोलन के दौरान "बलात्कार और हत्याएं" हो रही हैं। इसके बाद किसानों ने कंगना का विरोध किया, और एक घटना में उन्हें हरियाणवी महिला की करारी थप्पड़ की प्रतिक्रिया झेलनी पड़ी।
कंगना के विवादास्पद बयानों का उनका लंबा इतिहास है, चाहे वह बॉलीवुड से जुड़ी हों या फिर राजनीति से। उनकी इन टिप्पणियों का असर न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि पर पड़ता है, बल्कि उनकी पार्टी पर भी भारी पड़ सकता है, खासकर जब यह चुनावी माहौल हो।
भाजपा की रणनीति: कंगना के बयान से किनारा
हरियाणा में चुनाव नजदीक है और ऐसे में भाजपा हाईकमान ने कंगना के बयान से खुद को दूर कर लिया है। हालांकि, पार्टी ने इसे लेकर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया, लेकिन कंगना के इस बयान से पार्टी के नेताओं ने खुलकर समर्थन नहीं किया है। यह दर्शाता है कि भाजपा कंगना के विवादित बयानों से खुद को अलग रखना चाहती है, ताकि चुनावों में इसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

Amazon Link
https://amzn.to/3TikaXE
कीमत बेहद कम आप खुद देखिये
Bombay Shaving Co Shaving Brush with Cruelty-Free Imitation Badger Bristles (Polished Black Handle)
![]() |
Amazon Link https://amzn.to/3TikaXE कीमत बेहद कम आप खुद देखिये Bombay Shaving Co Shaving Brush with Cruelty-Free Imitation Badger Bristles (Polished Black Handle) |
कंगना का भाजपा के लिए लाभ या हानि?
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कंगना रनौत की भूमिका एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। उनकी तीखी टिप्पणियां और विवादास्पद बयानों ने भाजपा के अंदर उथल-पुथल मचा दी है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कंगना के बयानों का असर सीधे तौर पर चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है।
कंगना जैसी विवादास्पद शख्सियत के कारण भाजपा को एक तरफ जहां कुछ चर्चाएं और सुर्खियां मिलती हैं, वहीं दूसरी तरफ ऐसे बयान पार्टी के लिए उल्टा भी पड़ सकते हैं।
Kangana Ranaut, Haryana Assembly Elections, BJP, Farmers Protest, Controversial Statements, Agriculture Laws, Indian Politics, Free Speech in Politics

कोई टिप्पणी नहीं