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कटनी को नर्मदा जल पहुंचाने की लड़ाई हाई कोर्ट तक पहुँची, 13 साल बाद भी परियोजना अधूरी


written & edited by : ADIL AZIZ 


कटनी (सितंबर) – मध्य प्रदेश के कटनी, रीवा, मैहर और सतना जिलों को पेयजल और सिंचाई के लिए नर्मदा जल उपलब्ध कराने की योजना, जो 2011 तक पूरी होनी थी, अब भी अधूरी है। इस महत्वपूर्ण परियोजना का काम 13 साल से लंबित पड़ा हुआ है। यह परियोजना 799 करोड़ रुपये की लागत से पूरी होनी थी, लेकिन अब 2024 तक 1450 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद इसे पूरा नहीं किया जा सका है। इस देरी और परियोजना की अधूरी स्थिति को लेकर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है।

युवा कांग्रेस अध्यक्ष दिव्यांशु मिश्रा (अंशू) ने हाई कोर्ट में यह याचिका दाखिल कर नर्मदा जल योजना को लेकर सरकार की उदासीनता के खिलाफ आवाज उठाई है। उनके मार्गदर्शक विवेक तनखा और अधिवक्ता वरुण तनखा के नेतृत्व में यह याचिका दायर की गई। याचिका का मुख्य उद्देश्य कटनी और आसपास के जिलों के लिए नर्मदा जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।

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नर्मदा जल योजना: अधूरी परियोजना का सच

2011 में शुरू की गई यह योजना मध्य प्रदेश के चार प्रमुख जिलों—कटनी, रीवा, मैहर, और सतना—को पेयजल और सिंचाई के लिए नर्मदा नदी का पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। उस समय इस योजना का बजट 799 करोड़ रुपये तय किया गया था और इसे 2011 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था।

लेकिन 13 साल बीत जाने के बाद भी यह योजना अधूरी है। इसके अलावा, बजट में भी भारी वृद्धि हुई है। अब तक 1450 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद नर्मदा जल की सप्लाई इन जिलों तक नहीं पहुंच पाई है। इस देरी के कारण न केवल लोग पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, बल्कि किसानों को भी सिंचाई के लिए पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

याचिका दायर होने के बाद की स्थिति

इस मामले में युवा कांग्रेस नेता दिव्यांशु मिश्रा (अंशू) ने जनहित याचिका दायर कर उच्च न्यायालय का ध्यान इस महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर आकर्षित किया। उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को एक महीने का समय देते हुए स्थिति रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

दिव्यांशु मिश्रा ने विश्वास जताया है कि न्यायालय के हस्तक्षेप से इस परियोजना में तेजी आएगी और कटनी समेत अन्य जिलों के लोगों को जल्द ही नर्मदा का पानी मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जनता का हक दिलाने के लिए यह लड़ाई जारी रहेगी और उन्हें यकीन है कि न्यायालय इस मामले में उचित निर्णय लेगा।


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परियोजना की देरी के कारण और प्रभाव

इस परियोजना की देरी के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, जिनमें प्रमुख रूप से प्रशासनिक उदासीनता, वित्तीय अव्यवस्था, और परियोजना के विभिन्न चरणों में आई बाधाओं को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। परियोजना की शुरुआत में जो अनुमानित लागत थी, वह अब लगभग दोगुनी हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद परियोजना अधूरी है।

इस देरी का सबसे बड़ा प्रभाव कटनी, रीवा, मैहर और सतना के निवासियों पर पड़ा है। इन जिलों में पेयजल संकट गहराता जा रहा है और सिंचाई के लिए पानी की कमी के चलते किसान भी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

नर्मदा जल परियोजना से उम्मीद थी कि यह इन जिलों की जल समस्या का समाधान करेगी, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।

जल संकट से जूझ रहे हैं कटनी के लोग

कटनी और आसपास के जिलों में जल संकट कोई नई बात नहीं है। हर साल गर्मियों में इन इलाकों में पानी की भारी कमी देखी जाती है, जिससे लोग और किसान दोनों ही बुरी तरह प्रभावित होते हैं। नर्मदा जल परियोजना से उम्मीद थी कि इससे जल संकट से राहत मिलेगी और सिंचाई की बेहतर सुविधा मिलेगी, जिससे कृषि में भी सुधार होगा।

परंतु परियोजना की धीमी गति और प्रशासन की उदासीनता ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

न्यायालय के हस्तक्षेप से उम्मीद

न्यायालय के हस्तक्षेप से अब उम्मीद की जा रही है कि इस परियोजना में तेजी आएगी। दिव्यांशु मिश्रा ने न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल कर इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। उनका मानना है कि न्यायालय के हस्तक्षेप से सरकार पर दबाव बनेगा और इस लंबित परियोजना को पूरा करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।

इस जनहित याचिका के माध्यम से कटनी और अन्य प्रभावित जिलों के नागरिकों की उम्मीदें फिर से जगी हैं।


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जल्द होगी नर्मदा जल की उपलब्धता

यदि न्यायालय के निर्देशों का पालन सही तरीके से होता है और परियोजना में तेजी आती है, तो जल्द ही कटनी और अन्य जिलों के लोगों को नर्मदा जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।

यह परियोजना न केवल पेयजल संकट का समाधान करेगी, बल्कि सिंचाई के लिए भी बेहतर व्यवस्था प्रदान करेगी। इससे किसानों को भी राहत मिलेगी और वे अपनी फसलों के लिए पर्याप्त पानी प्राप्त कर सकेंगे।

कटनी, रीवा, मैहर, और सतना के लोगों के लिए नर्मदा जल परियोजना एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका लाभ 13 साल बाद भी उन्हें नहीं मिल पाया है। उच्च न्यायालय में दायर की गई जनहित याचिका इस मुद्दे को हल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

इस परियोजना के पूरा होने से न केवल पेयजल संकट का समाधान होगा, बल्कि सिंचाई के लिए भी पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। अब देखना यह है कि न्यायालय के हस्तक्षेप से इस परियोजना में कितनी तेजी आती है और कब तक कटनी के लोग नर्मदा जल का लाभ उठा पाएंगे।

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