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भारत के पेरिस ओलिंपिक में प्रदर्शन की समीक्षा: पदक, विवाद और वास्तविकता

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written by  : *अश्वनी बडगैया अधिवक्ता* _स्वतंत्र पत्रकार_

edited by : Adil Aziz
  1. पेरिस ओलिंपिक 2024 में भारत का प्रदर्शन
  2. हरियाणवी खिलाड़ियों का योगदान
  3. भारतीय हाकी का प्रदर्शन: इतिहास और वर्तमान
  4. भारत की ओलिंपिक तैयारियों पर सवाल
  5. खेल संघों और सरकार की जिम्मेदारियां
  6. ओलिंपिक में भारत की विवादित घटनाएं
  7. मीडिया की भूमिका और वास्तविकता
  8. खेलों में सुधार की दिशा में संभावनाएं


भारत के पेरिस ओलिंपिक में प्रदर्शन की समीक्षा: पदक, विवाद और वास्तविकता

पेरिस ओलिंपिक 2024 में भारत का प्रदर्शन कई तरह के भावनात्मक और विवादास्पद पहलुओं को सामने लाया। भारतीय दल, जिसमें हरियाणवी खिलाड़ियों का प्रमुख योगदान रहा, कुल 6 पदक लेकर लौटा। इसमें 1 रजत और 5 कांस्य पदक शामिल हैं।

हरियाणवी खिलाड़ियों का योगदान

हरियाणवी खिलाड़ियों का योगदान पेरिस ओलिंपिक में भी उतना ही महत्वपूर्ण रहा जितना कि पहले के ओलिंपिक खेलों में। फिफ्टी प्रतिशत पदक हरियाणा से आए खिलाड़ियों ने जीते, जिससे यह साफ है कि राज्य के खिलाड़ियों की प्रतिभा और मेहनत का कोई जवाब नहीं है।

भारतीय हाकी का प्रदर्शन: इतिहास और वर्तमान

भारतीय हाकी टीम का 52 साल बाद ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी गई, लेकिन अगर हम भारतीय हाकी के ऐतिहासिक प्रदर्शन को देखें तो यह उपलब्धि थोड़ी धूमिल हो जाती है। भारतीय हाकी ने 1928, 1932, 1936, और उसके बाद 1956, 1960, 1964 में स्वर्ण पदक जीतकर वास्तविक इतिहास रचा था। इसके बाद 1980 में मास्को ओलिंपिक में भी स्वर्ण पदक जीता गया था।

भारत की ओलिंपिक तैयारियों पर सवाल

2024 के पेरिस ओलिंपिक में भारत ने कुल 6 पदक हासिल किए, जिसमें 1 रजत और 5 कांस्य पदक शामिल थे। हालांकि, भारत सरकार और खेल संघों द्वारा किए गए दावों के अनुसार यह प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा।

खेल संघों और सरकार की जिम्मेदारियां

खेल संघों और सरकार की जिम्मेदारी थी कि वे ओलिंपिक के लिए भारतीय खिलाड़ियों की तैयारी को बेहतर बनाएं। हालांकि, इस बार भी दावा किया गया कि पदकों के रंग बदलेंगे, लेकिन नतीजे वही 'ढाक के तीन पात' साबित हुए।

ओलिंपिक में भारत की विवादित घटनाएं

ओलिंपिक में भारत की कुछ घटनाएं ऐसी भी रहीं जो विवादास्पद रही। एक भारतीय एथलीट ने अपने मान्यता पास से अपनी बहन को एथलीट गांव में प्रवेश कराने की कोशिश की, जो कि असफल रही और इसके परिणामस्वरूप उसे भारत वापस भेज दिया गया। इसके अलावा, एक महिला पहलवान के साथ भी अनुचित व्यवहार हुआ, जिसने पहले ही भारतीय कुश्ती महासंघ के तत्कालीन अध्यक्ष पर शारीरिक यौनाचार का आरोप लगाया था।

मीडिया की भूमिका और वास्तविकता

मीडिया ने पेरिस ओलिंपिक में भारतीय दल के प्रदर्शन को 'इतिहास रचने' जैसा बताया, लेकिन हकीकत यह है कि भारत ने इस बार अपने पिछले प्रदर्शन से भी एक पदक कम जीता।

खेलों में सुधार की दिशा में संभावनाएं

ओलिंपिक में प्रदर्शन सुधारने के लिए भारत को खेलों की जमीनी तैयारी पर ध्यान देना होगा। खिलाड़ियों को अधिक बेहतर सुविधा, प्रशिक्षण, और मानसिक सहारा प्रदान करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में भारत के लिए ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतना एक नियमित प्रक्रिया बन सके।


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  • मूल लेख इस प्रकार है   
    *खरी-अखरी*(सवाल उठाते हैं पालकी नहीं) *शिखर पर रहकर रचे जाते हैं इतिहास* *पेरिस में गोल्ड गवां कर लौटा भारत* _हरियाणवी खिलाड़ियों ने जीते फिफ्टी परसेंट पदक_ *ओलिंपिक में 44 साल से सोने और 72 साल से चांदी के लिए तरसती भारतीय हाकी के लिए 52 साल बाद कांसा जीतने पर देशी मीडिया गर्वित भाषा में लिखता है इतिहास रच दिया* _भारतीय हाकी ने तो इतिहास रचा था 1928, 1932, 1936 और उसके बाद 1956, 1960 और 1964 में जब भारत ने लगातार दो बार सोने की हैट्रिक बनाई थी।_ *भारतीय हाकी ने एस्टर्डम (1928), लाॅस एंजिल्स (1932), बर्लिन (1936)और उसके बाद मेलबर्न (1956), रोम (1960), टोक्यो (1964) में हुए ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद भारतीय हाकी को स्वर्ण पदक के दर्शन 16 साल बाद 1980 में मास्को ओलिंपिक में हुए थे। भारतीय हाकी को एकमात्र चांदी (रजत) का पदक 1952 में हेलेन्सकी ओलिंपिक में मिला था। फिर न जाने किसकी नजर लगी कि भारतीय हाकी 40 सालों तक सोना, चांदी, कांसा सभी के लिए तरसती रही। भारतीय हाकी के पदक का सूखा 2020 के टोक्यो ओलिंपिक में जाकर दूर हुआ जब भारत ने कांस्य पदक जीता।* _कलम का काम है इंसाफ की तलवार हो जाना, जमाना पढ सके जिसको वही अखबार हो जाना_ *भारत सरकार द्वारा खेल को बढ़ावा देने के लिए ढिंढोरा तो बहुत पीटा जाता है, खेल संघों द्वारा भी ओलंपिक में टीम भेजते समय लम्बी - लम्बी लम्मतरानी फेंकी जाती है मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात ही आता है। इस बार (2024) में भी पेरिस ओलिंपिक में पदकों के कलर बदलने के दावे किए गए थे। पर जो हुआ उसकी तस्वीर सामने है। 2020 में मास्को ओलिंपिक में भालाफेंक कर जीता गया एकमात्र सोने का तमगा भी बरकरार नहीं रखा जा सका वह भी चांदी में तब्दील हो गया। भला हुआ कि भारतीय हाकी मास्को ओलिंपिक में जीते गये कांस्य पदक को पेरिस ओलिंपिक में बरकरार रखने में सफल रही। भारत के खाते में तीन कांस्य पदक निशानेबाजी, एक कांस्य पदक हाकी, एक कांस्य पदक कुश्ती तथा एक रजत पदक भालाफेंक से जमा हुआ। मतलब भारी भरकम भारतीय दल (117) पर ओलिंपिक की तैयारियों में लगभग आधा अरब रुपया खर्च करने के बाद पेरिस ओलिंपिक में कुल एक चांदी व पांच कांसे के पदकों सहित कुल 6 पदक हासिल किए हैं जबकि चार साल पहले भारत ने 2020 के मास्को ओलिंपिक में एक स्वर्ण, दो रजत और 4 कांस्य पदक सहित कुल जमा 7 पदक हासिल किये थे। अगर मीडिया की नजर ने इसे इतिहास बनाना माना है तो फिर वाकई भारी भरकम भारतीय दल ने पेरिस ओलिंपिक में एक अदद सोने और एक चांदी के तमगे को गमा कर इतिहास रचा है।* *जो बात कहते डरते हैं सब, तू वो बात लिख, इतनी अंधेरी थी न कभी पहले, वो रात लिख* *इतिहास तो रचा है उस भारतीय एथलीट ने जिसने अपने मान्यता पास से अपनी बहन को एथलीट गांव में प्रवेश कराने की असफल कोशिश की और ओलिंपिक कमेटी के फरमान से वापिस भारत भेज दी गई। इतिहास तो बनाया है उस महिला पहलवान ने जिसने प्री-क्वार्टर फाइनल, क्वार्टर फाइनल और सेमी-फाइनल में दुनिया के नामी गिरामी महिला पहलवानों को पराजित किया और फिर वह एक अबूझ षड्यंत्र का शिकार होकर डिस्क्वालीफाई करार देते हुए प्रतियोगिता से बाहर कर दी गई जिसकी सबसे ज्यादा बौछारें भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पड़ीं क्योंकि यह वही महिला पहलवान है जिसने अपने साथ भारतीय कुश्ती महासंघ के तत्कालीन अध्यक्ष द्वारा किये शारीरिक यौनाचार के खिलाफ़ आवाज उठाकर न्याय देने की गुहार प्रधानमंत्री से लगाई थी। पूरा देश उस महिला पहलवान की आवाज से आवाज मिला रहा था मगर भारतीय प्रधानमंत्री चंद लोकसभा सीटों की खातिर गांधी के तीन बंदरों की माफिक बने रहे। इतना ही नहीं उस महिला पहलवान और उसके साथ दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने वालों को दिल्ली पुलिस ने सड़कों पर घसीट - घसीट कर अमानवीय यातनाएं उस समय दीं जब प्रधानमंत्री हाथों में संगोल लेकर देश की सबसे बड़ी पंचायत के पुराने भवन को छोड़कर नये भवन की तरफ जा रहे थे। शाजिशन के छींटे तो पीएम के खासम-खास कहे जाने वाले की पत्नी पर भी छिड़के गये जो बतौर ओलिंपिक सदस्य पेरिस में मौजूद रहीं। उस महिला पहलवान ने दुनिया की बड़ी से बड़ी पहलवान से हार नहीं मानी मगर अपने ही देश के सिस्टम से हार मानते हुए कुश्ती को अलबिदा कह दिया। जिसे भारतीय सरकार, उसके मंत्रियों - संतरियों सहित खेल जगत के मुंह पर कालिख पोतना कहा जा सकता है।* _हार-जीत खेल का अहम हिस्सा है फिर भी_ - - - *पक गई हैं आदतें, बातों से सर होगी नहीं* *कोई हंगामा करो, ऐसे गुज़र होगी नहीं* *अश्वनी बडगैया अधिवक्ता* _स्वतंत्र पत्रकार_



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