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बहोरीबंद विकासखंड की ग्राम पंचायत सोमाकला के तत्कालीन सरपंच और सचिव से 1,60,302 रूपयों में से होगी आधी-आधी राशि की वसूली

written & edited by : Adil Aziz

जिला पंचायत के सीईओ शिशिर गेमावत ने धारा 89 के तहत प्रकरण दर्ज कर धारा 92 के तहत की कार्यवाही

कटनी (7 अगस्त, 2024) -- मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 89 के तहत प्रकरण दर्ज कर, धारा 92 के तहत जिला पंचायत के सीईओ एवं विहित प्राधिकारी शिशिर गेमावत ने विकासखंड बहोरीबंद की ग्राम पंचायत सोमा कला की तत्कालीन सरपंच छोटी बाई और सचिव ओंकार प्रसाद गर्ग के विरुद्ध 1,60,302 रुपए की राशि (आधी-आधी) अधिरोपित करते हुए प्रकरण पंजीबद्ध किया है।



प्रकरण इस प्रकार है

जिला परियोजना समन्वयक, जिला शिक्षा केंद्र कटनी द्वारा वर्ष 2020 में जनपद पंचायत बहोरीबंद की ग्राम पंचायत सोमा कला को प्राथमिक शाला में अतिरिक्त कक्ष निर्माण हेतु 4,41,000 रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी। जिसमें से प्रथम किस्त के रूप में 2,20,500 रुपए ग्राम पंचायत के खाते में प्रदाय कर दिए गए थे।

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इसलिए हुई वसूली की कार्रवाई

जिला शिक्षा केंद्र द्वारा उक्त प्रकरण प्रस्तुत करने पर पाया गया कि निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत सोमा कला के तत्कालीन सरपंच और सचिव द्वारा अतिरिक्त कक्ष निर्माण कार्य के लिए 1,60,302 रुपए की राशि आहरित कर ली गई, लेकिन कार्य नहीं कराया गया। पर्याप्त अवसर दिए जाने के बावजूद शासकीय कोष में न तो राशि जमा की गई और न ही प्राथमिक शाला में अतिरिक्त कक्ष निर्माण कार्य कराया गया।

वित्तीय अनियमितता पड़ी भारी

जिला पंचायत के सीईओ शिशिर गेमावत प्रकरण का परीक्षण करते हुए पाया कि कारण बताओ सूचना पत्रों का उत्तर तत्कालीन सरपंच द्वारा प्रस्तुत नहीं करने, पेशी में निर्धारित तिथियों में अनुपस्थित रहने, तत्कालीन सचिव द्वारा राशि जमा नहीं करने, वित्तीय अनियमितता और राशि के दुरुपयोग कर अतिरिक्त कक्ष निर्माण कार्य नहीं कराने के फलस्वरूप मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 89 के तहत प्रकरण पंजीकृत कर धारा 92 के तहत प्रकरण दर्ज कर अधिरोपित वसूली योग राशि तत्कालीन सरपंच और सचिव प्रत्येक को 50-50 प्रतिशत 80,151 रुपए जिला परियोजना समन्वयक के निर्धारित मद में जमा करने की कार्रवाई करने के आदेश दिए।

वित्तीय अनुशासन का महत्व

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता का पालन न करने पर किस प्रकार से अधिकारियों और कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। जिला पंचायत के सीईओ शिशिर गेमावत का यह कदम एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि किसी भी वित्तीय अनियमितता के मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी। इससे पंचायत स्तर पर कार्य कर रहे अधिकारियों और कर्मचारियों में यह संदेश जाएगा कि किसी भी प्रकार की वित्तीय अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

पंचायत स्तर पर वित्तीय अनियमितताओं का निवारण

वित्तीय अनियमितताओं का निवारण पंचायत स्तर पर अत्यंत आवश्यक है। इससे न केवल शासकीय योजनाओं का सही क्रियान्वयन हो पाता है, बल्कि जनता के धन का सदुपयोग भी सुनिश्चित होता है। यदि पंचायत स्तर पर ही वित्तीय अनुशासन का पालन किया जाए तो शासकीय योजनाओं का लाभ सीधे जनता तक पहुँचता है और विकास कार्यों में गति आती है।

जनता की भूमिका

जनता की भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि जनता जागरूक रहती है और पंचायत स्तर पर हो रहे कार्यों पर निगरानी रखती है तो वित्तीय अनियमितताओं की संभावना कम हो जाती है। जनता को भी अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सजग रहना चाहिए और यदि कोई अनियमितता दिखे तो संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी देनी चाहिए।

वित्तीय पारदर्शिता की दिशा में उठाया गया कदम

जिला पंचायत के सीईओ शिशिर गेमावत द्वारा उठाया गया यह कदम वित्तीय पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को वित्तीय अनुशासन का पालन करने की प्रेरणा मिलेगी, बल्कि भविष्य में किसी भी प्रकार की वित्तीय अनियमितता को रोकने में भी मदद मिलेगी।

निष्कर्ष

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता का पालन अत्यंत आवश्यक है। जिला पंचायत के सीईओ शिशिर गेमावत द्वारा उठाया गया यह कदम एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि वित्तीय अनियमितताओं को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इससे पंचायत स्तर पर कार्य कर रहे अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को भी सिखने का मौका मिलेगा और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सकेगा।

आवश्यक कदम

आवश्यक है कि पंचायत स्तर पर कार्य कर रहे अधिकारियों और कर्मचारियों को वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता के प्रति जागरूक किया जाए। इसके लिए समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है। इसके साथ ही जनता को भी अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना आवश्यक है ताकि वे भी पंचायत स्तर पर हो रहे कार्यों पर निगरानी रख सकें और किसी भी प्रकार की अनियमितता की स्थिति में संबंधित अधिकारियों को जानकारी दे सकें।

वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता से ही शासकीय योजनाओं का सही क्रियान्वयन हो सकता है और जनता को इसका समुचित लाभ मिल सकता है। जिला पंचायत के सीईओ शिशिर गेमावत द्वारा उठाया गया यह कदम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है और इससे अन्य पंचायत स्तर के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी सीखने का अवसर मिलेगा।

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