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मध्य प्रदेश में मानसून की संभावित बारिश के बारे में वैज्ञानिकों की चेतावनी: 63% स्थानों में सामान्य से कम बारिश की संभावना, सुखे के हालात नहीं !


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मध्य प्रदेश में मानसून की संभावित बारिश के बारे में वैज्ञानिकों की चेतावनी: 63% स्थानों में सामान्य से कम बारिश की संभावना, सुखे के हालात नहीं, भोपाल में पिछले साल की सबसे ज्यादा बारिश. 


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मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक प्रदेश के 63% से ज्यादा हिस्से में मानसून की सामान्य से कम, जबकि बाकी 37% एरिया में सामान्य बारिश का अनुमान है। मौसम विभाग ने प्रदेश में कहीं भी सामान्य से ज्यादा बारिश होने का अनुमान नहीं जताया है। प्रदेश की सामान्य बारिश एवरेज 37.3 इंच है। पिछले साल प्रदेश में 46 इंच पानी गिरा था।

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एमपी में सूखे के हालात नहीं

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रदेश में कहीं भी सूखे जैसे हालात नहीं बनेंगे। प्रदेश के सभी हिस्सों में अच्छी बारिश होगी। पिछले साल भोपाल में करीब 75 इंच बारिश हुई थी। प्रदेश में भोपाल सबसे ज्यादा बारिश वाला जिला था। इसके अलावा, कई जिलों में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई थी।.... 

..... 33 जिलों में सामान्य से कम बारिश


इंदौर


• आगर-मालवा


• श्योपुर


• धार


• रतलाम


• सागर


• छतरपुर


• दमोह


• झाबुआ


• अलीराजपुर


• खरगोन


• बड़वानी


• खंडवा


• पन्ना


• नीमच


• मंदसौर


• ग्वालियर


• शिवपुरी


• गुना


• अशोकनगर


• दतिया


• भिंड


• मुरेना


• बुरहानपुर


• उज्जैन


• देवास


• टीकमगढ़


• निवाड़ी


• रीवा


• सिंगरौली


• सीधी


• शाजापुर


• सतना

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, मध्य प्रदेश के 63% से अधिक हिस्सों में मानसून की सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है, जबकि बाकी 37% क्षेत्रों में सामान्य बारिश की उम्मीद है। यह एक चिंताजनक सूचना है क्योंकि पिछले साल कई जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है।

भोपाल जिले में पिछले साल 75 इंच की बारिश हुई थी, जो कि इस प्रदेश की सबसे अधिक बारिश वाली जिलों में से एक है। हालांकि, इंदौर, आगर-मालवा, रतलाम, छतरपुर, और अलीराजपुर जैसे कुछ जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है।

मानसून की आगमन के लिए अधिकांश क्षेत्रों में तीन दिन तक बारिश होना और दक्षिणी पूर्वी और दक्षिण पश्चिमी हवाओं की उपस्थिति आवश्यक होती है। ये मानसून के आगमन के लिए महत्वपूर्ण प्राथमिक तत्व होते हैं।

मानसून संबंधी जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश को इस साल सामान्य बारिश की आशा है। यह मध्यप्रदेश वासियों के लिए अच्छी खबर हो सकती है, जो पिछले साल की तुलना में कम बारिश के संघर्ष से गुजर रहे थे। हालांकि, सावधानी बरतने की आवश्यकता है और मौसम की निगरानी करने वाले वैज्ञानिकों के सलाहों का पालन करना चाहिए।

मानसून का आगमन उम्मीद से पहले या बाद में हो सकता है और इसके साथ हानिकारक मौसमी परिस्थितियां भी हो सकती हैं। इसलिए, हमें तैयार रहना चाहिए और अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय अवलंबन करने चाहिए।

मौसम की निगरानी करने वाले अधिकांश वैज्ञानिक अब भी आगे के मौसम की तालिका और उनकी प्रक्षेपण योजना के बारे में काम कर रहे हैं। हमें उनके सलाहों पर भरोसा करना चाहिए और उनका सहयोग करना चाहिए ताकि हम सुरक्षित रह सकें और मौसम की परिस्थितियों के लिए तैयार रहें।

मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में पिछले साल की सबसे कम बारिश हुई थी। इनमें अलीराजपुर, झाबुआ, धार और रीवा शामिल थे। कई जिलों में बारिश का आंकड़ा 40 इंच से कम रहा, जैसे कि कटनी, सतना, सिंगरौली, टीकमगढ़, बड़वानी, भिंड, दतिया, ग्वालियर और मुरैना।

मानसून की प्रवेश तिथि के बारे में बात करें, तो पिछले 13 साल में सिर्फ तीन बार ही मानसून 20 जून के बाद मध्य प्रदेश में प्रवेश कर पाया है। वर्ष 2017 में 22 जून, 2018 में 26 जून और 2019 में 24 जून को मानसून की आगमन हुई थी। पिछले साल 2022 में मानसून 16 जून को प्रवेश कर गया था। 13 साल के अंतराल में 2013 और 2021 में मानसून ने 10 जून को भी आगमन किया था।

मानसून की प्रवेश तिथि को समझने के लिए, लगातार तीन दिन तक बहुतायत जिलों में बारिश की होनी चाहिए। इसके साथ ही, हवाओं की दिशा दक्षिण-पूर्वी और दक्षिण-पश्चिमी होनी चाहिए।

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