निगमायुक्त तपस्या परिहार ने दी दीपावली की शुभकामनाएं — “वोकल फ़ॉर लोकल” को अपनाने की अपील
कटनी, 18 अक्टूबर 2025।
दीपों का त्योहार दीपावली नज़दीक है और पूरा शहर खुशियों, रोशनी और उमंग में डूबा हुआ है। इस पावन अवसर पर नगर निगम आयुक्त तपस्या परिहार (IAS) ने नगरवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और सभी के सुख, शांति और समृद्धि की मंगलकामना की।
उन्होंने अपने संदेश में नागरिकों से विशेष आग्रह किया कि इस दीपावली पर “वोकल फ़ॉर लोकल” के संकल्प को अपनाएं और स्थानीय उत्पादों एवं स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता दें।
🌸 दीपावली पर स्थानीय उत्पादों का महत्व
निगमायुक्त तपस्या परिहार ने कहा कि दीपावली सिर्फ़ एक त्योहार नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
उन्होंने कहा —
“खुशियों और प्रकाश का यह पर्व नगर के हर घर में सुख, शांति और समृद्धि लाए। हम सभी को चाहिए कि इस बार दीपावली पर मिट्टी के दीये, स्थानीय हस्तनिर्मित सजावट सामग्री और पारंपरिक पूजन-सामग्री का प्रयोग करें। इससे न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी, बल्कि स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यापारियों को भी रोज़गार और सम्मान मिलेगा।”
🌿 वोकल फ़ॉर लोकल : आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
“वोकल फ़ॉर लोकल” अभियान का उद्देश्य है कि हर नागरिक अपने आस-पास निर्मित वस्तुओं को प्राथमिकता दे। तपस्या परिहार ने कहा कि इस दीपावली पर मेड इन इंडिया की भावना को अपनाना ही सच्चा उत्सव होगा।
उन्होंने कहा कि जब हम अपने शहर के कलाकारों, कुम्हारों, और हस्तशिल्प निर्माताओं से सामान खरीदते हैं, तो हम सिर्फ़ एक वस्तु नहीं खरीदते — हम एक परिवार की उम्मीद को संबल देते हैं।
उन्होंने अपील की —
“कटनी के नागरिक अपने आस-पास के बाजारों से खरीदारी करें, मिट्टी के दीयों, रंगोली के रंग, हस्तनिर्मित सजावट और स्वदेशी मिठाइयों का उपयोग करें। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी, बल्कि हमारे त्योहार की आत्मा भी जीवित रहेगी।”
🪔 पर्यावरण अनुकूल दीपावली का संदेश
तपस्या परिहार ने नागरिकों से आग्रह किया कि इस बार दीपावली को प्रदूषण-रहित और पर्यावरण अनुकूल बनाने की दिशा में भी कदम उठाएं।
उन्होंने कहा कि पटाखों के अत्यधिक प्रयोग से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे बच्चों, बुजुर्गों और पशुओं को हानि होती है।
उन्होंने सुझाव दिया कि —
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बिजली के बजाय मिट्टी के दीयों से घरों को रोशन करें।
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पुनः प्रयोग योग्य और जैविक सजावट सामग्री का इस्तेमाल करें।
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मिठाइयों और उपहारों में स्वदेशी विकल्पों को प्राथमिकता दें।
“दीपावली का असली आनंद तभी है जब हमारी खुशियों की रोशनी किसी के जीवन में भी उजियारा लाए।”
🛍️ स्थानीय बाजारों में रौनक
कटनी के मुख्य बाजारों — घंटाघर, प्रेमनगर, गांधी रोड और लखेरा लाइन में दीपावली की तैयारियों ने रौनक बढ़ा दी है।
मिट्टी के दीयों, मोमबत्तियों, हस्तनिर्मित तोरण, और स्वदेशी सजावट सामग्री की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ बढ़ रही है।
विक्रेताओं का कहना है कि इस बार लोगों में “वोकल फ़ॉर लोकल” के प्रति जागरूकता दिखाई दे रही है।
स्थानीय दुकानदारों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है क्योंकि लोग अब “मेड इन कटनी” और “मेड इन इंडिया” उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
🎇 दीपों के महापर्व का सामाजिक संदेश
निगमायुक्त तपस्या परिहार ने कहा कि दीपावली का पर्व सिर्फ़ घर सजाने का नहीं बल्कि सामाजिक एकता और सहयोग का प्रतीक है।
उन्होंने नागरिकों से अपील की कि दीपावली पर जरूरतमंदों के घरों में भी खुशियां बांटें, बच्चों और वृद्धाश्रमों में दीये जलाएं, मिठाई और कपड़े वितरित करें ताकि समाज के हर वर्ग तक इस रोशनी का उजाला पहुंचे।
“जब हर घर में दीया जलेगा, तब ही सच्चे अर्थों में दीपावली का प्रकाश फैलेगा।”
🧵 आत्मनिर्भर कारीगरों को नई उम्मीद
नगर निगम आयुक्त ने यह भी कहा कि कटनी के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में कई कारीगर, महिलाएं और स्वयं सहायता समूह मिट्टी के दीये, सजावटी वस्तुएं और हस्तनिर्मित उत्पाद बनाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नगर निगम ऐसे स्थानीय समूहों को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष प्रदर्शनियां और स्टॉल लगाने की दिशा में भी काम कर रहा है।
इससे न केवल आर्थिक सशक्तिकरण होगा, बल्कि पारंपरिक कला और संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा।
💬 निगमायुक्त का प्रेरक संदेश
अपने संदेश के अंत में तपस्या परिहार ने कहा —
“दीपावली केवल एक दिन की खुशियों का नाम नहीं, बल्कि एक नई सोच, नई शुरुआत और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में प्रेरणा है।
आइए, हम सब इस दीपावली पर ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ का संकल्प लें और स्थानीय उत्पादों से अपने घरों और दिलों को रोशन करें।”
🪔 दीपावली 2025 : खुशियों, सहयोग और आत्मनिर्भरता की मिसाल
कटनी नगर निगम का यह संदेश पूरे शहर के लिए प्रेरणा है।
नगरवासियों से आग्रह है कि वे इस दीपावली को स्थानीय उत्पादों की शक्ति, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक बनाएं।
स्थानीय कलाकारों और कारीगरों का साथ देकर ही हम सच में अपने शहर को उजियारे से भर सकते हैं।
🖋️ Written & Edited By : ADIL AZIZ
(जनहित की बात, पत्रकारिता के साथ)
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