स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल जनता का मौलिक अधिकार, व्यापार नहीं होना चाहिए : राजा जगवानी
PPP मोड पर उठे सवाल – क्या जनता से छिपाया जा रहा है सच?
कटनी, 26 अगस्त 2025।
स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल जैसी बुनियादी सेवाएं हर नागरिक का मौलिक अधिकार हैं। इन सेवाओं को मुफ्त या न्यूनतम शुल्क पर जनता को उपलब्ध कराना सरकार का कर्तव्य है। लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा लगातार PPP (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर इन सेवाओं को संचालित करने की घोषणाएं जनता को चिंतित कर रही हैं।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजा जगवानी ने इस फैसले को लेकर सरकार से तीखे सवाल किए हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार या सांसद-विधायक की कोई उपलब्धि नहीं बल्कि शुद्ध व्यापार है। सवाल यह है कि इस व्यापार में किसका कितना हिस्सा है और सरकार ने अनुबंध पत्र अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किया।
जनता का मौलिक अधिकार बनाम निजीकरण
राजा जगवानी ने स्पष्ट कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल जैसी सेवाएं किसी भी सूरत में निजी हाथों में नहीं जानी चाहिए। इन सेवाओं का निजीकरण जनता की जेब पर सीधा बोझ डालेगा।
उनका कहना है –
“आज भी सरकारी अस्पतालों में सामान्य इलाज मुफ्त या बेहद कम शुल्क पर हो जाता है। लेकिन PPP मोड पर स्वास्थ्य सेवाएं शुरू होते ही मरीजों को भारी-भरकम बिलों का सामना करना पड़ेगा। यह जनता के मौलिक अधिकार पर सीधा आघात है।”
अनुबंध पत्र सार्वजनिक क्यों नहीं?
वरिष्ठ नेता ने बड़ा सवाल उठाया कि यदि सरकार का इरादा साफ है तो अनुबंध पत्र जनता के सामने क्यों नहीं रखा जा रहा?
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जनता को यह जानने का अधिकार है कि PPP मोड पर खुलने वाले मेडिकल कॉलेज या अस्पताल में फीस कितनी होगी।
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पानी और शिक्षा सेवाओं पर किस तरह का खर्च आएगा।
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निजी कंपनियों और पूंजीपतियों को कितनी छूट दी गई है।
उन्होंने कहा कि जब तक यह दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किए जाते, जनता को केवल आधी सच्चाई बताई जा रही है।
समझदार और जागरूक जनों से अपील
राजा जगवानी ने कटनी सहित पूरे प्रदेश के जागरूक नागरिकों से अपील की कि वे इस विषय पर गंभीरता से विचार करें। उन्होंने कहा –
“पढ़े-लिखे, समझदार और जागरूकजन अनुबंध पत्र पढ़ें, प्रश्न उठाएं और सरकार से जवाब मांगें। जब तक जनता जागरूक होकर सवाल नहीं पूछेगी, तब तक इस तरह के फैसलों को जनता के अधिकारों पर थोप दिया जाएगा।”
PPP स्वास्थ्य सेवाएं बनाम सरकारी अस्पताल
आज एक सामान्य नागरिक सरकारी अस्पताल में बेहद कम शुल्क देकर इलाज करा सकता है। लेकिन PPP मोड में यही इलाज महंगे पैकेज और बिलों में तब्दील हो जाएगा।
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सरकारी अस्पताल :
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सामान्य जांच और दवा – नि:शुल्क या न्यूनतम शुल्क
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ऑपरेशन – गरीब मरीजों के लिए निशुल्क या आयुष्मान योजना के तहत राहत
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भर्ती – ज्यादातर सेवाएं बेहद सस्ते
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PPP मोड अस्पताल :
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परामर्श शुल्क कई गुना अधिक
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दवा और जांच प्राइवेट दरों पर
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भर्ती और ऑपरेशन का खर्च गरीब मरीज की पहुंच से बाहर
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जनता पूछ रही है कि क्या यह बदलाव वास्तव में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार है या सिर्फ गरीब जनता को निजी कंपनियों के भरोसे छोड़ने की साजिश?
यह उपलब्धि नहीं, व्यापार है
राजा जगवानी ने कटाक्ष करते हुए कहा –
“यह सरकार की या किसी सांसद, विधायक की उपलब्धि नहीं है। यह शुद्ध व्यापार है। और जनता को यह जानने का अधिकार है कि इस व्यापार में कौन-कौन हिस्सेदार है।”
उन्होंने कहा कि जब तक सरकार साफ-साफ यह नहीं बताएगी कि अनुबंध में किन कंपनियों को कितना लाभ दिया गया है, तब तक यह निर्णय संदेहास्पद रहेगा।
जनता की प्रतिक्रिया जरूरी
राजा जगवानी ने कहा कि यह सिर्फ नेताओं या कार्यकर्ताओं का विषय नहीं है। यह सीधे-सीधे आम जनता से जुड़ा मुद्दा है।
उन्होंने पाठकों से करबद्ध प्रार्थना करते हुए कहा –
“आप सभी अपनी प्रतिक्रिया दें। यह जानना जरूरी है कि जनता को मुफ्त या सस्ती सेवाओं के बजाय महंगे निजी विकल्प क्यों थमाए जा रहे हैं। आपकी चुप्पी ही इस फैसले को स्थायी बनाएगी।”
पुनश्च : एक सवाल जनता से
राजा जगवानी ने जनता के सामने एक बड़ा सवाल छोड़ा –
“आज एक सामान्य जन को सरकारी अस्पताल में इलाज कराने में कितनी फीस लगती है, और PPP स्वास्थ्य सेवाओं में कितना शुल्क लगेगा?”
यह सवाल न केवल स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण पर बल्कि सरकार की नीयत पर भी सवाल उठाता है।
नागरिकों में बढ़ रही बेचैनी
कटनी और आसपास के क्षेत्रों के नागरिकों का कहना है कि:
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अगर पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य PPP मोड पर चला गया तो आम जनता के लिए जीना मुश्किल हो जाएगा।
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सरकार जनकल्याण की जिम्मेदारी से बच रही है।
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यह मॉडल केवल पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाएगा।
लोगों ने सोशल मीडिया पर भी अपनी नाराज़गी जाहिर की है और सरकार से पारदर्शिता की मांग की है।
स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल जनता के मौलिक अधिकार हैं। इन्हें मुफ्त या न्यूनतम शुल्क पर उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व है। PPP मोड पर इस तरह की सेवाएं जनता को राहत देने के बजाय बोझ बढ़ाने का काम करेंगी।
जनता और विपक्ष का साफ कहना है कि यह निर्णय वापस लेकर इन सेवाओं को पूर्ण रूप से सरकारी हाथों में रहना चाहिए। तभी यह लोकतंत्र और जनहित की असली जीत होगी।
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PPP मोड विवाद
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शिक्षा और पेयजल PPP मोड
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कटनी मेडिकल कॉलेज विवाद
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राजा जगवानी कांग्रेस
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जनता का मौलिक अधिकार
Written & Edited By : ADIL AZIZ
(जनहित की बात, पत्रकारिता के साथ)
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