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कटनी में पासपोर्ट ऑफिस की माँग को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका, कोर्ट ने केंद्र सरकार को भेजा नोटिस



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दिव्यांशु मिश्रा अंशु





✍️ लेखक एवं संपादक: आदिल अज़ीज़

कटनी, मध्य प्रदेश –
पासपोर्ट जैसी बुनियादी और आवश्यक सेवा की सुविधा से कटनी जैसे तेज़ी से विकसित हो रहे जिले को अभी तक वंचित रखा गया है। इस असमानता और प्रशासनिक उदासीनता के खिलाफ समाजसेवी दिव्यांशु मिश्रा अंशु ने जबलपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कटनी में डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र (POPSK) की स्थापना की माँग की है।

हाईकोर्ट ने इस याचिका को गम्भीरता से लेते हुए विदेश मंत्रालय, भारत सरकार समेत अन्य संबन्धित पक्षों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब माँगा है। याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव, अधिवक्ता योगेश सोनी ने पैरवी की।


कटनी को क्यों चाहिए पासपोर्ट सेवा केंद्र?

कटनी एक बड़ा रेलवे जंक्शन, वाणिज्यिक और शैक्षणिक हब है। यहाँ से प्रतिदिन सैकड़ों छात्र, कामगार और व्यवसायी पासपोर्ट सेवाओं के लिए जबलपुर, रीवा या सतना जैसे ज़िलों की यात्रा करने को मजबूर हैं। यह समय, पैसा और ऊर्जा की भारी बर्बादी है, खासकर बुजुर्गों, महिलाओं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए।

कटनी की आबादी अब 10 लाख के पार है। इसके बावजूद इसे POPSK योजना में शामिल न करना साफ़ तौर पर प्रशासनिक अनदेखी को दर्शाता है। यह न केवल अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) बल्कि अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का भी उल्लंघन है।


क्या है POPSK योजना?

POPSK (Post Office Passport Seva Kendra) एक ऐसी योजना है, जिसमें देशभर के डाकघरों को मिनी पासपोर्ट सेवा केंद्रों में बदला जा रहा है। इसका उद्देश्य छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में पासपोर्ट सेवाएं सुलभ कराना है।

यह योजना 2017 में शुरू की गई थी और अब तक देशभर में 400 से ज़्यादा POPSK स्थापित किए जा चुके हैं। इसका उद्देश्य हर संसदीय क्षेत्र में कम से कम एक पासपोर्ट सेवा केंद्र स्थापित करना है।

लेकिन कटनी जैसे ज़िला अभी तक इस योजना से वंचित है, जबकि यहाँ से सांसद, सामाजिक संगठन, और आम जनता कई बार यह माँग उठा चुके हैं।


कटनी को क्यों रखा गया बाहर?

याचिका में कहा गया है कि –

"कटनी को POPSK योजना से बाहर रखना न केवल मनमाना फैसला है, बल्कि यह संविधान प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन भी है।"

याचिकाकर्ता द्वारा दिनांक 5 मार्च 2025 को विदेश मंत्रालय और डाक विभाग को इस संबंध में विस्तृत अभ्यावेदन भी सौंपा गया था। इसमें कटनी में छात्रों, श्रमिकों, महिलाओं और बुज़ुर्गों को पासपोर्ट सेवाओं की अनुपलब्धता से हो रही कठिनाइयों को विस्तार से बताया गया।

इसके बावजूद न तो कोई ठोस जवाब मिला और न ही कोई कार्यवाही हुई।


प्रशासनिक निष्क्रियता और नागरिक अधिकार

याचिका में यह भी कहा गया कि –

"जनता की आवश्यकताओं को नजरअंदाज करना और किसी ज़िले को लगातार POPSK सेवा से बाहर रखना प्रशासनिक निष्क्रियता का प्रतीक है, जो समान सेवा वितरण के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है।"

कटनी की गिनती प्रदेश के प्रमुख जिलों में होती है, जिसका प्रशासनिक और भौगोलिक महत्त्व है। यहां से बड़ी संख्या में युवा बाहर पढ़ने या काम करने जाते हैं, जिन्हें पासपोर्ट की आवश्यकता होती है। लेकिन उन्हें हर बार जबलपुर या रीवा जाना पड़ता है।


कटनी की जनता की आवाज़ बन रही है यह याचिका

इस याचिका का उद्देश्य केवल पासपोर्ट सेवा केंद्र की माँग नहीं, बल्कि समान और निष्पक्ष सेवा वितरण की माँग है। यह याचिका कटनी की आम जनता की आवाज़ बनकर उभरी है।

हजारों छात्रों, श्रमिकों, व्यवसायियों और परिवारों को इस याचिका से उम्मीद जगी है कि कटनी को जल्द ही पासपोर्ट सेवा जैसी आवश्यक सुविधा मिल सके।




अब आगे क्या?

हाईकोर्ट जबलपुर ने मामले को गम्भीर मानते हुए विदेश मंत्रालय और अन्य संबन्धित विभागों को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह के भीतर जवाब माँगा है।
अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है।


कटनी में पासपोर्ट सेवा केंद्र की माँग न केवल जायज़ है, बल्कि बेहद आवश्यक भी है। आज जब सरकार हर गाँव-शहर तक डिजिटल और नागरिक सुविधाएँ पहुँचा रही है, तब कटनी जैसे शहर को बार-बार अनदेखा करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

यह याचिका एक नई उम्मीद की तरह है, जिससे कटनी के लाखों नागरिकों को बुनियादी पासपोर्ट सेवा घर के पास मिल सकेगी और उन्हें दूरदराज़ के जिलों की यात्रा से राहत मिलेगी।


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