पुराने कुओं में छिपा है जानलेवा खतरा: ज़हरीली गैसों से हो सकती है मौत, सतर्क रहें
✍️ लेखक एवं संपादक : ADIL AZIZ
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कटनी, 27 जुलाई – जिले में एक बार फिर लोगों को जागरूक करने और जानमाल की सुरक्षा को लेकर प्रशासन ने बड़ी पहल की है। जिले के कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने नागरिकों से अपील की है कि वे पुराने और सूखे कुओं में बिना जांच के न उतरें क्योंकि इनमें घातक जहरीली गैसें हो सकती हैं, जो व्यक्ति की जान तक ले सकती हैं।
जान पर भारी पड़ सकता है लापरवाही से उतरना
मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में ऐसे दुखद हादसे हो चुके हैं, जहां कुएं की गहराई में उतरने से लोग जहरीली गैसों के संपर्क में आकर बेहोश हो गए और उनकी मौत हो गई। इन घटनाओं को देखते हुए प्रशासन द्वारा एडवाइजरी जारी की गई है। यह एडवाइजरी खासतौर पर किसानों, ग्रामीणों और सिंचाई कार्य से जुड़े लोगों के लिए बेहद जरूरी है।
पुराने कुएं में कैसे बनती हैं जहरीली गैसें?
अक्सर पुराने और लंबे समय तक उपयोग में न लाए गए कुएं के अंदर ऑर्गेनिक अवशेषों की सड़न से जहरीली गैसें उत्पन्न होती हैं। इनमें हाइड्रोजन सल्फाइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसें शामिल होती हैं। ये गैसें सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, बेहोशी और यहां तक कि मृत्यु का कारण भी बन सकती हैं।
ऑक्सीजन की कमी भी बनती है खतरे का कारण
कुएं जैसे सीमित और संकरे स्थानों में अक्सर ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। जब व्यक्ति अंदर उतरता है, तो उसे पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे दम घुटने जैसी स्थिति बनती है।
एडवाइजरी में क्या कहा गया है?
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी की गई एडवाइजरी में निम्नलिखित बातें स्पष्ट रूप से बताई गई हैं:
🔴 कुएं में उतरने से पहले करें गैस जांच
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यदि किसी कारणवश कुएं में उतरना ज़रूरी हो (जैसे मोटर पंप उतारना या मरम्मत करना), तो सबसे पहले गैस की उपस्थिति जांचें।
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लालटेन या दीया को रस्सी से बांधकर नीचे छोड़ें। अगर वह बुझ जाए, तो इसका मतलब है कि नीचे ऑक्सीजन की कमी है और जहरीली गैसें मौजूद हैं।
🔴 बिना प्रशिक्षण और सुरक्षा उपकरणों के न उतरें कुएं में
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केवल प्रशिक्षित व्यक्ति और बचाव दल ही सुरक्षात्मक उपकरणों के साथ कुएं में उतरें।
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साधारण नागरिकों को ऐसा जोखिम नहीं उठाना चाहिए।
🔴 आपातकालीन सेवाओं को तुरंत सूचित करें
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यदि कोई हादसा हो जाए, तो पुलिस, अग्निशमन और होमगार्ड जैसी सेवाओं को तुरंत सूचित करें।
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घटनास्थल पर अनावश्यक भीड़ न लगाएं और क्षेत्र को खाली करवाएं।
बचाव के दौरान क्या बरतें सावधानियां?
✅ स्थिति का आकलन करें
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सुरक्षित दूरी से देखें कि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति होश में है या नहीं।
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श्वसन क्रिया चल रही है या नहीं, यह जांचें।
✅ बचाव योजना बनाएं
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जब तक बचाव दल घटनास्थल पर नहीं पहुंचता, तब तक स्थिति को संभालें लेकिन खुद जोखिम में न पड़ें।
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बचाव कार्य केवल प्रशिक्षित लोगों द्वारा ही किया जाना चाहिए।
✅ उपकरणों का उपयोग करें
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हार्नेस, रस्सी, स्ट्रेचर, पीपीई किट, ऑक्सीजन मास्क और गैस डिटेक्टर जैसे उपकरण ज़रूरी हैं।
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इन उपकरणों के बिना अंदर जाने का प्रयास जानलेवा हो सकता है।
दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को कैसे निकालें?
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सुरक्षित तकनीकों और उपकरणों की मदद से ही व्यक्ति को बाहर निकाला जाए।
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बाहर निकालने के बाद प्राथमिक चिकित्सा (CPR आदि) दें और नजदीकी अस्पताल पहुंचाएं।
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पूरे बचाव ऑपरेशन में धैर्य बनाए रखें और विशेषज्ञों के निर्देशों का पालन करें।
क्यों जरूरी है ये जागरूकता अभियान?
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी सिंचाई और जल स्रोतों के लिए कुएं पर भारी निर्भरता है। लेकिन लोगों में जागरूकता की कमी के कारण कई हादसे सामने आ रहे हैं। इन दुर्घटनाओं से न केवल जान जाती है, बल्कि परिवार को गहरा आघात भी पहुंचता है। इसलिए यह जरूरी है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए समय पर सावधानी बरती जाए और प्रशासन की सलाह का पालन किया जाए।
निष्कर्ष : ज़िंदगी से बड़ा कोई काम नहीं
एक पुराना कुआं आपको अपनी गहराई में हमेशा पानी नहीं, कई बार मौत भी दे सकता है। इसलिए कभी भी किसी भी हालात में पुराने कुएं में बिना जांच, बिना प्रशिक्षण और बिना सुरक्षा के न उतरें। अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दें, दूसरों को भी जागरूक करें और प्रशासन द्वारा दी जा रही सलाहों का पालन करें।
"सावधानी ही सुरक्षा है, और सुरक्षा ही जीवन है।"
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✍️ लेखक एवं संपादक : ADIL AZIZ
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