"किसानों और व्यापारियों के लिए झटका, युवाओं के सपनों पर पानी - जानिए बजट की सच्चाई
केवल आंकड़ों की बाजीगरी, हर वर्ग के लिए निराशाजनक
प्रदेश के बजट पर मिली-जुली प्रतिक्रिया, युवाओं और व्यापारियों के लिए बड़ा झटका
प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट को लेकर हर वर्ग में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष दिव्यांशु मिश्रा अंशु ने इस बजट को मात्र आंकड़ों की बाजीगरी करार देते हुए इसे युवाओं, व्यापारियों और उद्योगों के लिए निराशाजनक बताया है।
बजट में बड़े प्रोजेक्ट्स की अनदेखी
बजट में प्रदेश की जनता को उम्मीद थी कि शहर में मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं की स्वीकृति मिलेगी, जिससे युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अवसर मिलेंगे। लेकिन सरकार ने इन मांगों को पूरी तरह से खारिज कर दिया, जिससे छात्रों और उनके परिवारों में भारी निराशा है।
व्यापारियों को राहत नहीं, टैक्स का बोझ बरकरार
प्रदेश के दाल और अनाज व्यापारियों ने लंबे समय से दोहरा टैक्स हटाने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। इससे छोटे और मध्यम व्यापारियों पर अतिरिक्त कर का बोझ बना रहेगा, जो पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे हैं।
युवाओं और उद्योगों को भी नहीं मिला बढ़ावा
बजट में नए उद्योगों और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए किसी तरह की राहत या विशेष योजनाओं की घोषणा नहीं की गई। इससे बेरोजगारी से जूझ रहे युवा और नए उद्यमियों को सरकार से जो उम्मीदें थीं, वे टूट गई हैं।
किसानों के लिए कोई ठोस नीति नहीं, महंगाई बढ़ने की आशंका
बजट में किसानों और मजदूरों के लिए भी कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई। कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के बजाय सरकार ने ऐसी योजनाएं पेश की हैं, जो किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के बजाय उन्हें कर्जदार बनाएंगी। कृषि अनुदान के अभाव में किसानों की स्थिति और बिगड़ सकती है, जिससे आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ने की पूरी आशंका है।
बजट से आम नागरिकों पर कर्ज का बोझ बढ़ेगा
मिश्रा ने कहा कि सरकार ने आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया जैसी रणनीति अपनाकर प्रदेश के हर व्यक्ति पर कर्ज का बोझ बढ़ाने का काम किया है। विकास के बड़े-बड़े दावे किए गए हैं, लेकिन जब तक आम जनता को प्रत्यक्ष लाभ नहीं मिलेगा, तब तक ये योजनाएं महज कागजी साबित होंगी।
बजट में किन वर्गों की उपेक्षा हुई?
- युवा वर्ग - शिक्षा और रोजगार के लिए कोई ठोस नीति नहीं।
- व्यापारी वर्ग - दोगुने कर की समस्या बनी रहेगी।
- किसान और मजदूर - कर्जमाफी के बजाय नए कर्ज देने की योजना।
- उद्योग और स्टार्टअप्स - निवेश और प्रोत्साहन की कमी।
सरकार के इस बजट से जनता में भारी असंतोष है। हर वर्ग को उम्मीद थी कि उनके लिए कुछ विशेष घोषणाएं होंगी, लेकिन बजट ने उन्हें सिर्फ आंकड़ों के जाल में उलझाकर छोड़ दिया है। आने वाले समय में यह बजट प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर क्या असर डालेगा, यह देखने वाली बात होगी।
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