कटनी नगर पंचायत चुनाव 2022: फर्जी नो ड्यूज सर्टिफिकेट का आरोप
कटनी में पार्षद चुनाव में फर्जीवाड़े के आरोप, जांच की मांग तेज
कटनी। वर्ष 2022 में संपन्न हुए नगर पंचायत विजयराघवगढ़ के वार्ड क्रमांक 12, जिसे हनुमान प्रसाद वार्ड के नाम से जाना जाता है, में पार्षद चुनाव के दौरान गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं। इंडियन नेशनल कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशी सरिता कौशल मिश्रा और भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी राजेश्वरी हरीश दुबे के बीच यह चुनाव लड़ा गया था। लेकिन चुनाव की निष्पक्षता पर अब सवाल उठने लगे हैं।
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बकाया संपत्ति कर की छायाप्रति |
क्या कहती है चुनाव आयोग की गाइडलाइन?
चुनाव आयोग की गाइडलाइन के अनुसार, किसी भी प्रत्याशी को चुनाव लड़ने के लिए अपने निवासरत मकान का बकाया टैक्स पूरी तरह से चुकता करना आवश्यक होता है। इस प्रक्रिया के तहत प्रत्याशी को नो ड्यूज सर्टिफिकेट प्राप्त करना जरूरी होता है। लेकिन इस चुनाव में आरोप लगाए जा रहे हैं कि नियमों का उल्लंघन कर फर्जी प्रमाणपत्र जारी किया गया।
फर्जी नो ड्यूज सर्टिफिकेट का आरोप
सरिता कौशल मिश्रा के पति कौशल मिश्रा ने कटनी पुलिस अधीक्षक को शिकायत पत्र सौंपा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा विधायक संजय पाठक के दबाव में नगर पंचायत अधिकारियों ने फर्जी नो ड्यूज सर्टिफिकेट जारी किया, जिससे भाजपा की प्रत्याशी को बिना पूरा टैक्स चुकाए ही चुनावी मैदान में उतरने की अनुमति मिल गई।
उन्होंने दावा किया कि भाजपा प्रत्याशी ने नामांकन पत्र के उस कॉलम में भी "हाँ" का निशान लगाया, जिसमें संपत्ति कर जमा होने की पुष्टि की जाती है। इस मामले को लेकर अब प्रशासन से जांच और कार्रवाई की मांग की जा रही है।
चुनाव में निष्पक्षता पर सवाल
इस मामले को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है। अगर यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह चुनाव प्रक्रिया में एक बड़ी चूक होगी। निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि सभी प्रत्याशियों के लिए समान नियम लागू किए जाएं और किसी भी प्रकार की राजनीतिक धांधली को रोका जाए।
कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को शिकायत
कौशल मिश्रा ने इस मामले से संबंधित सभी दस्तावेज कटनी कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और चुनाव आयोग को सौंपे हैं। उन्होंने मांग की है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
क्या कहते हैं कानूनी विशेषज्ञ?
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, अगर कोई प्रत्याशी बिना संपत्ति कर चुकाए नो ड्यूज सर्टिफिकेट प्राप्त करता है, तो यह गंभीर अनियमितता मानी जाएगी। इस स्थिति में चुनाव आयोग के पास यह अधिकार होता है कि वह प्रत्याशी की उम्मीदवारी रद्द कर सकता है या चुनाव परिणाम को चुनौती दी जा सकती है।
नगर पंचायत अधिकारियों पर उठे सवाल
इस पूरे मामले में नगर पंचायत अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है। अगर फर्जी नो ड्यूज जारी किया गया है, तो इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
निष्पक्ष जांच की मांग
चुनाव की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि प्रशासन इस मामले की गहन जांच करे। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की धांधली न हो।
विजयराघवगढ़ नगर पंचायत चुनाव में लगाए गए ये आरोप एक गंभीर मुद्दा है। चुनाव में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और सच्चाई सामने लाई जाए। प्रशासन, चुनाव आयोग और जनता को इस मुद्दे पर सतर्क रहना होगा ताकि लोकतंत्र की गरिमा बनी रहे।
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