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तत्कालीन सरपंच और सचिव ग्राम पंचायत मढ़ाना से हुई 33,000 की वसूली


सोलर लाइट की खरीदी में अनियमितता पर जिला पंचायत सीईओ ने की कार्रवाई

written & edited by : ADIL AZIZ

कटनी (6 फरवरी) - जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा की ग्राम पंचायत मढ़ाना में सोलर लाइट की खरीदी भंडार क्रय नियमों के विपरीत किए जाने पर जिला पंचायत सीईओ शिशिर गेमावत ने सख्त कार्रवाई की। तत्कालीन सरपंच गोविंद सिंह और तत्कालीन सचिव नरेंद्र सिंह राजपूत से वसूली योग्य राशि 33,000/- (तैंतीस हजार रुपए) शासन के खाते में जमा कराए गए।




क्या है मामला?

जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार, तत्कालीन सरपंच और सचिव ने बिना भंडार क्रय नियमों का पालन किए एक नग सोलर लाइट की खरीद की। इस अनियमितता के कारण, मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 92 के तहत यह व्यय वसूली योग्य पाया गया।

पक्ष रखने का मिला अवसर

जिला पंचायत सीईओ शिशिर गेमावत ने तत्कालीन सरपंच और सचिव को अपना पक्ष रखने का युक्तियुक्त अवसर दिया। समस्त दस्तावेजों, प्रतिवेदनों और जवाबों का अवलोकन करने के बाद, 33,000 रुपये की वसूली का आदेश जारी किया गया।


ढाई लाख रुपये से अधिक की वसूली, दो वेतन वृद्धि रोकी

सचिव ग्राम पंचायत बरेली बार पर लापरवाही का आरोप

कटनी (6 फरवरी) - जिला पंचायत सीईओ शिशिर गेमावत ने जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा की ग्राम पंचायत बरेली बार के सचिव मनीष रंजन मिश्रा के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए आगामी दो वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकने और ₹2,70,326 (दो लाख सत्तर हजार तीन सौ छब्बीस रुपये) की वसूली का आदेश दिया।

समय पर नहीं दिया जवाब

ग्राम पंचायत बरेली बार के सचिव को आरोप पत्र का उत्तर 15 दिनों में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन समय सीमा के भीतर जवाब न देने के कारण विभागीय जांच शुरू की गई।

क्या है पूरा मामला?

सीईओ शिशिर गेमावत ने ग्राम पंचायत बरेली बार में विभिन्न निर्माण कार्यों की गहन समीक्षा की। सामुदायिक भवन भनपुरा कला, आंगनवाड़ी भवन बरेली बार, हैंडपंप उत्खनन आदि कार्यों में कुल ₹5,40,652 (पांच लाख चालीस हजार छह सौ बावन रुपये) की अनियमितता पाई गई। सरपंच त्रिवेणी उपाध्याय और सचिव मनीष रंजन मिश्रा से ₹2,70,326 प्रत्येक की वसूली का आदेश दिया गया।

सीईओ के निर्देश पर वसूली

प्रतिवेदन के आधार पर जिला पंचायत सीईओ ने सचिव मिश्रा को शासकीय राशि के दुरुपयोग और पद की लापरवाही का दोषी पाया। मध्यप्रदेश पंचायत सेवा (अनुशासन एवं अपील) नियम 1999 के तहत उनकी दो वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकने की कार्यवाही की गई।

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