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जिले में सोमवार प्रातः दर्ज की गई 0.4 मिलीमीटर औसत वर्षा: एक विश्लेषण

 


written & edited by : ADIL AZIZ

भारत में मॉनसून और वार्षिक वर्षा के आंकड़े न केवल कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, बल्कि प्रशासनिक योजनाओं के लिए भी उपयोगी हैं। इसी क्रम में कटनी जिले में सोमवार, 13 जनवरी 2025 की प्रातः 0.4 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। यह वर्षा आंकड़े जिले की वर्तमान स्थिति और गत वर्ष की तुलना में वृद्धि को दर्शाते हैं। आइए, इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

वर्षा के आंकड़े

कटनी जिले में 1 जून 2024 से लेकर सोमवार, 13 जनवरी 2025 तक कुल 1123.3 मिलीमीटर (44.22 इंच) औसत वर्षा दर्ज की गई है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष की इसी अवधि में दर्ज 1091.0 मिलीमीटर (42.95 इंच) औसत वर्षा से 32.3 मिलीमीटर अधिक है। इस वर्षा वृद्धि से जिले की जल स्तर स्थिति में सुधार के संकेत मिलते हैं।

तहसीलवार वर्षा विवरण

अधीक्षक भू-अभिलेख द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, जिले के विभिन्न तहसीलों में वर्षा का विवरण इस प्रकार है:

  • कटनी: 1329.8 मिलीमीटर

  • रीठी: 1339.7 मिलीमीटर

  • बड़वारा: 1079.5 मिलीमीटर

  • बरही: 911.0 मिलीमीटर

  • विजयराघवगढ़: 854.1 मिलीमीटर

  • बहोरीबंद: 844.2 मिलीमीटर

  • स्लीमनाबाद: 1288.3 मिलीमीटर

  • ढीमरखेड़ा: 1332.7 मिलीमीटर

इन सभी तहसीलों में कुल औसत वर्षा 1123.3 मिलीमीटर (44.22 इंच) दर्ज की गई।

वर्षा के प्रभाव और महत्व

  1. कृषि पर प्रभाव: वर्षा के ये आंकड़े कृषि उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं। कटनी जिले में धान, गेहूं, और अन्य फसलों की सिंचाई के लिए मानसून की वर्षा पर निर्भरता रहती है।

  2. जल संसाधन प्रबंधन: जलाशयों और नहरों में जल स्तर बढ़ने से सिंचाई और पीने के पानी की आपूर्ति में सुधार होगा। यह भविष्य में जल संकट को कम करने में मदद करेगा।

  3. आर्थिक लाभ: अधिक वर्षा का सकारात्मक प्रभाव स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर हैं।

  4. मौसम पूर्वानुमान: यह आंकड़े प्रशासन को बेहतर मौसम पूर्वानुमान तैयार करने और संभावित आपदाओं से निपटने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करते हैं।

पिछली वर्षा से तुलना

पिछले वर्ष की इसी अवधि में कुल 1091.0 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई थी, जो इस वर्ष की तुलना में 32.3 मिलीमीटर कम थी। इस वृद्धि से जिले की समग्र जल स्थिति में सुधार की संभावना है।

भविष्य की योजना

जिले की बढ़ती वर्षा के आंकड़ों को देखते हुए प्रशासन को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

  1. जल संग्रहण प्रणाली का निर्माण: अतिरिक्त वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए तालाब, जलाशय, और अन्य संग्रहण प्रणालियों का निर्माण आवश्यक है।

  2. सिंचाई नेटवर्क का विस्तार: किसानों को पर्याप्त जल उपलब्ध कराने के लिए नहरों और पाइपलाइनों का विस्तार किया जाना चाहिए।

  3. आपदा प्रबंधन: भारी वर्षा की स्थिति में संभावित बाढ़ से बचाव के लिए ठोस योजना बनानी चाहिए।

  4. जागरूकता अभियान: ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण और उसके उपयोग के बारे में लोगों को शिक्षित करना आवश्यक है।

कटनी जिले में इस वर्ष की वर्षा के आंकड़े आशाजनक हैं। 1123.3 मिलीमीटर औसत वर्षा ने जिले की जल स्थिति को मजबूती प्रदान की है। कृषि, जल संसाधन और स्थानीय अर्थव्यवस्था में इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। प्रशासन को इन आंकड़ों का उपयोग करते हुए जल प्रबंधन और आपदा रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।


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