मध्यप्रदेश और राजस्थान को "सुजलाम्-सुफलाम्" बनाएगी पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना
written & edited by : ADIL AZIZ
मध्यप्रदेश और राजस्थान में विकास के नए द्वार
17 दिसंबर, कटनी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक परियोजना "पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक" की शुरुआत की है। इस परियोजना से मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच जल और कृषि संकट का समाधान होगा। जयपुर में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की उपस्थिति में केंद्र, मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकारों के बीच अनुबंध सहमति पत्र (MOA) पर हस्ताक्षर किए गए।
परियोजना की खासियत और उद्देश्य
यह परियोजना पार्वती, कालीसिंध और चंबल नदियों को जोड़ने का एक अभूतपूर्व प्रयास है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य:
- जल संकट समाधान: बाढ़ और सूखे की समस्या को खत्म करना।
- सिंचाई सुविधा: 6.13 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करना।
- पेयजल उपलब्धता: 40 लाख से अधिक लोगों को पेयजल प्रदान करना।
प्रधानमंत्री का विजन: जल संरक्षण और प्रबंधन
प्रधानमंत्री ने कहा कि नदियों को जोड़ने का यह विचार भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था। उन्होंने कहा, "जल हमारी सभ्यता का आधार है। पानी, जहां भी पहुंचता है, वहां समृद्धि लेकर आता है।"
प्रधानमंत्री ने जनता से जल संरक्षण में भाग लेने की अपील करते हुए "रैन वाटर हार्वेस्टिंग" और "एक पेड़ मां के नाम" जैसे अभियानों को अपनाने का आह्वान किया।
परियोजना के आर्थिक और भौगोलिक लाभ
- अनुमानित लागत: ₹72,000 करोड़
- मध्यप्रदेश का हिस्सा: ₹35,000 करोड़
- राजस्थान का हिस्सा: ₹37,000 करोड़
- केंद्र का योगदान: कुल लागत का 90%
- राज्य सरकार का योगदान: 10%
- जल भंडारण क्षमता: 1,908.83 घन मीटर
- उद्योगों और पेयजल के लिए आरक्षित पानी: 172 मिलियन घन मीटर
क्षेत्रीय विकास के आयाम
इस परियोजना से मध्यप्रदेश और राजस्थान के कई जिलों को लाभ मिलेगा:
- मध्यप्रदेश:
- श्योपुर, मुरैना, भिंड, शिवपुरी, गुना, इंदौर, धार, उज्जैन, शाजापुर, आदि।
- राजस्थान:
- कोटा, बूंदी, झालावाड़ और टोंक समेत अन्य क्षेत्र।
इसके माध्यम से इन राज्यों के 3,217 गांवों को पर्याप्त पेयजल और सिंचाई की सुविधा मिलेगी।
परियोजना का ऐतिहासिक महत्व
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसे "आधुनिक युग की भागीरथ परियोजना" बताते हुए कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह 20 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद साकार हुआ है। यह दोनों राज्यों की जनता के लिए विकास की अद्भुत सौगात है।"
जल शक्ति मंत्री का योगदान
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने जल संरक्षण के लिए चल रहे राष्ट्रीय अभियान "रैन वाटर हार्वेस्टिंग" की सफलता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से न केवल जल संकट का समाधान होगा, बल्कि किसानों को भी नई ऊर्जा मिलेगी।
स्थानीय किसानों और जनता की प्रतिक्रिया
इस परियोजना को लेकर दोनों राज्यों के किसानों और आम जनता में उत्साह है। चंबल क्षेत्र के एक किसान ने कहा, "अब हमारी फसलें जल संकट से प्रभावित नहीं होंगी। हमें सरकार का धन्यवाद करना चाहिए।"
आने वाली पीढ़ियों के लिए जिम्मेदारी
प्रधानमंत्री मोदी ने जनता को जल संसाधनों का संरक्षण करने की अपील की। उन्होंने कहा, "आने वाली पीढ़ियों के लिए 'सुजलाम्-सुफलाम्' धरती देना हमारी जिम्मेदारी है।"
एक नई शुरुआत
पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना केवल जल आपूर्ति का समाधान नहीं है, बल्कि यह दोनों राज्यों में आर्थिक और सामाजिक विकास के नए द्वार भी खोलेगी। इससे किसानों, उद्योगों और आम जनता को सीधा लाभ मिलेगा। यह परियोजना भारत को जल संकट से मुक्त करने के दिशा में एक बड़ी सफलता साबित होगी।
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