नगर पालिक निगम कटनी: एम.आई.सी. मेंबर शशिकांत तिवारी के इस्तीफे पर गंभीर सवाल, एडवोकेट मौसूफ बिट्टू ने उठाए भ्रष्टाचार के मुद्दे
नगर पालिक निगम कटनी में मेयर इन काउंसिल (एम.आई.सी.) सदस्य शशिकांत तिवारी के इस्तीफे ने कटनी नगर में राजनीति और प्रशासन के स्तर पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। इस मामले को लेकर नगर निगम के वरिष्ठ पार्षद एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष एडवोकेट मौसूफ बिट्टू ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल एक इस्तीफा नहीं है, बल्कि निगम के भीतर चल रहे गड़बड़झाले का संकेत है, जो आम जनता के हितों के लिए हानिकारक हो सकता है।
एम.आई.सी. सदस्य का इस्तीफा क्यों महत्वपूर्ण?
सामान्यतः किसी एम.आई.सी. सदस्य का इस्तीफा देना एक साधारण प्रशासनिक प्रक्रिया हो सकती है। लेकिन जब इस्तीफा गंभीर आरोपों के साथ दिया जाए, तो यह पूरे प्रशासनिक तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। शशिकांत तिवारी द्वारा अपने पद से त्यागपत्र देना और इसके पीछे नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराना बेहद चिंताजनक है।
मौसूफ बिट्टू की प्रतिक्रिया
एडवोकेट मौसूफ बिट्टू ने कहा कि शशिकांत तिवारी का इस्तीफा नगर निगम कटनी की प्रशासनिक विफलता का प्रमाण है। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है, जिससे जनता की मेहनत की कमाई का दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा,
"यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक एम.आई.सी. सदस्य को भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के कारण इस्तीफा देना पड़ा। यह स्पष्ट संकेत है कि नगर निगम के भीतर सबकुछ सही नहीं है।"
भ्रष्टाचार के आरोप और जांच की मांग
मौसूफ बिट्टू ने यह भी कहा कि निगम के कोष का दुरुपयोग कर आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि नगर निगम में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा है। उन्होंने सभी फाइलों की जांच करवाने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
"हम जल्द ही इस मामले को उचित एजेंसियों के समक्ष लेकर जाएंगे ताकि दोषियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जा सके।"
क्या कहती हैं जनता?
नगर निगम कटनी में भ्रष्टाचार के आरोप नई बात नहीं है, लेकिन शशिकांत तिवारी जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति का इस्तीफा यह साबित करता है कि प्रशासनिक तंत्र में गहरी खामियां हैं। स्थानीय जनता का कहना है कि भ्रष्टाचार की यह स्थिति लंबे समय से बनी हुई है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ।
राजनीतिक तकरार और पारदर्शिता की कमी
नगर निगम कटनी में यह घटना राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर रही है। एक तरफ जहां मौसूफ बिट्टू जैसे नेता निगम की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इस्तीफे ने प्रशासनिक तंत्र की कमजोरी को उजागर किया है।
भविष्य की राह
एडवोकेट मौसूफ बिट्टू ने स्पष्ट किया है कि वह इस मामले को लेकर गंभीर हैं और सभी जिम्मेदार व्यक्तियों को जवाबदेह ठहराएंगे।
"हम इस मामले में कोई ढील नहीं बरतेंगे। जनता के साथ न्याय होना चाहिए, और निगम में पारदर्शिता सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है।"
नगर पालिक निगम कटनी में एम.आई.सी. सदस्य के इस्तीफे ने प्रशासनिक तंत्र की विफलता और भ्रष्टाचार के बढ़ते प्रभाव को उजागर किया है। एडवोकेट मौसूफ बिट्टू की ओर से की गई कार्रवाई की मांग एक सकारात्मक कदम हो सकता है, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच और कार्रवाई कितनी निष्पक्ष और प्रभावी होती है।
इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी न केवल व्यवस्था को कमजोर करती है, बल्कि जनता का विश्वास भी कम करती है।
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