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उपार्जन केंद्रों में अव्यवस्था पर कड़ी कार्रवाई: तीन प्रशासकों और 10 प्रभारियों को कारण बताओ नोटिस जारी

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written & edited by : ADIL AZIZ

कटनी (29 दिसंबर):
जिले में हुई असमयिक वर्षा के बाद जिला उपार्जन समिति ने विभिन्न उपार्जन केंद्रों का निरीक्षण किया। इस निरीक्षण में उपार्जन केंद्रों पर पाई गई अनियमितताओं को लेकर सहायक आयुक्त सहकारिता राजयशवर्धन कुरील ने तीन प्रशासकों और 10 प्रभारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया। साथ ही, तीन प्रभारियों के 15 दिनों का वेतन काटने के निर्देश भी दिए गए।

यह कार्रवाई जिले में धान उपार्जन प्रक्रिया को पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने के उद्देश्य से की गई है।

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निरीक्षण में मिली अनियमितताएं

सहायक आयुक्त सहकारिता की अगुवाई में उपार्जन केंद्रों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान निम्नलिखित अनियमितताएं सामने आईं:

  1. धान का खुले में संग्रहण:
    विपणन उमरियापान, कुदवारी उमरियापान, पौड़ीकलां ढीमरखेड़ा, झिन्नापिपरिया, खमतरा, भजिया, विलायतकलां (केंद्र क्रमांक 01 और 02), बड़वारा और नन्हवारासेझा केंद्रों पर बड़ी मात्रा में धान खुले में पड़ा पाया गया।

  2. तिरपाल का अभाव:
    अधिकांश उपार्जन केंद्रों पर धान को वर्षा से बचाने के लिए तिरपाल का उपयोग नहीं किया गया था। इसके कारण धान भीग गया, जिससे उसकी गुणवत्ता प्रभावित हुई।

  3. प्रभारियों की लापरवाही:
    पौड़ीकलां, भजिया, और खमतरा केंद्रों पर भारी मात्रा में भीगी हुई धान पाई गई। इन केंद्रों के प्रभारियों को जिम्मेदार मानते हुए उनके 15 दिनों के वेतन की कटौती के निर्देश दिए गए।


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कार्रवाई का विवरण

निरीक्षण के उपरांत सहायक आयुक्त सहकारिता द्वारा निम्नलिखित आदेश जारी किए गए:

  • कारण बताओ नोटिस:

    • उपरोक्त केंद्रों के 10 प्रभारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उनसे यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि उनकी लापरवाही के लिए क्या कार्रवाई की जाए।
    • बी पैक्स समितियों के सभी प्रशासकों को भी उपार्जन केंद्रों की अव्यवस्था के संबंध में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।
  • वेतन कटौती:

    • पौड़ीकलां, भजिया और खमतरा उपार्जन केंद्रों के प्रभारियों का 15 दिनों का वेतन काटने के निर्देश दिए गए हैं।
  • आगे की योजना:
    प्रशासन ने उपार्जन केंद्रों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने और भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी करने की योजना बनाई है।


धान उपार्जन में पारदर्शिता की जरूरत

धान उपार्जन प्रक्रिया किसानों और उपभोक्ताओं के बीच महत्वपूर्ण कड़ी का काम करती है। इस प्रक्रिया में लापरवाही न केवल किसानों के हितों को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि सरकारी नीतियों की विफलता को भी उजागर करती है। कटनी जिले में उपार्जन केंद्रों की यह स्थिति इस बात का संकेत है कि अभी भी निगरानी और जवाबदेही की आवश्यकता है।


किसानों पर असर

उपार्जन केंद्रों की अव्यवस्था का सबसे बड़ा नुकसान किसानों को झेलना पड़ता है। उनकी मेहनत से उपजाई गई फसल अगर सही तरीके से संग्रहित और सुरक्षित नहीं होती, तो इसका सीधा असर उनकी आय पर पड़ता है। इस बार की असमयिक वर्षा ने स्थिति को और खराब कर दिया।


भविष्य के लिए प्रशासन की योजना

जिला प्रशासन ने उपार्जन प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने का निर्णय लिया है:

  1. मानक संचालन प्रक्रिया (SOP):
    उपार्जन केंद्रों पर तिरपाल और अन्य सुरक्षा उपकरणों का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।

  2. प्रशिक्षण सत्र:
    प्रभारियों और प्रशासकों को उनके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा।

  3. सख्त निगरानी:
    समय-समय पर निरीक्षण किया जाएगा, ताकि उपार्जन केंद्रों पर किसी प्रकार की लापरवाही न हो।


कटनी जिले में उपार्जन केंद्रों पर पाई गई अनियमितताओं पर की गई कार्रवाई यह दर्शाती है कि प्रशासन अब ऐसी लापरवाहियों को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। यह कदम किसानों के हितों की रक्षा और उपार्जन प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने के लिए उठाया गया है।



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