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प्रतियोगिताओं में भागीदारी से मिलता है नया जोश और मनोबल: राज्यपाल का संदेश

written & edited by : ADIL AZIZ

प्रतियोगिताओं में भाग लेना न केवल छात्रों को बेहतर बनने का अवसर देता है, बल्कि यह उनके आत्मविश्वास और कौशल को भी निखारता है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने यह विचार 17 अक्टूबर को भोपाल के केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित अखिल भारतीय क्रीड़ा, सांस्कृतिक और शैक्षिक स्पर्धा के शुभारंभ समारोह के दौरान साझा किए। इस आयोजन में उनके द्वारा संस्कृत और भारतीय ज्ञान परंपरा को लेकर विद्यार्थियों के विकास पर जोर दिया गया।

प्रतियोगिताएं देती हैं नया उत्साह और आत्मविश्वास

राज्यपाल पटेल ने इस बात पर जोर दिया कि प्रतियोगिता में भाग लेने से प्रतिभागियों को नया जोश और आत्मविश्वास मिलता है। इसके साथ ही वे अपने और दूसरों के प्रदर्शन से सीखते हैं, जिससे उनका कौशल और अनुभव समृद्ध होता है। उनका कहना है कि हार-जीत प्रतियोगिताओं का केवल एक हिस्सा होती हैं, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य ज्ञान और कौशल का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होना चाहिए।

प्रतियोगिताओं से छात्रों का मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास होता है। यह उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाता है, जिससे वे जीवन की चुनौतियों का सामना अधिक आत्मविश्वास के साथ कर सकते हैं।

संस्कृत का बढ़ता महत्व और वैश्विक अपील

राज्यपाल ने यह भी कहा कि आज के आधुनिक युग में संस्कृत भाषा की प्रासंगिकता तेजी से बढ़ रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भर जीवन जैसे विषयों में संस्कृत के ज्ञान का उपयोग हो रहा है। इसके साथ ही, संस्कृत भारत की सॉफ्ट पावर का प्रमुख जरिया बनता जा रहा है, जो वैश्विक मंच पर भारतीय सभ्यता और संस्कृति को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

संस्कृत को विज्ञान और तकनीकी शिक्षा के साथ जोड़ने की जरूरत

राज्यपाल पटेल ने छात्रों को प्रेरित किया कि वे संस्कृत के साथ-साथ आधुनिक तकनीकी शिक्षा, जैसे कंप्यूटर कोडिंग और अनुसंधान में भी निपुण हों। उन्होंने कहा कि यह समय की जरूरत है कि हम ऐसे युवाओं को तैयार करें, जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत को मजबूत बनाने के लिए सक्षम हों।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के निर्माण के सपने को साकार करने के लिए युवाओं को अपनी जड़ों से जुड़ने और वैश्विक चुनौतियों के लिए तैयार रहने की आवश्यकता बताई।

विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतियोगिताएं अनिवार्य

राज्यपाल ने कहा कि शैक्षिक, सांस्कृतिक और खेल प्रतियोगिताएं छात्रों के समग्र और सर्वांगीण विकास में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन प्रतियोगिताओं के माध्यम से छात्रों को न केवल शिक्षा में बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक विषयों में भी गहरा ज्ञान प्राप्त होता है।

अखिल भारतीय स्पर्धाओं का उद्देश्य

अखिल भारतीय क्रीड़ा, सांस्कृतिक और शैक्षिक स्पर्धा के आयोजन का उद्देश्य छात्रों को एक मंच प्रदान करना है, जहां वे अपनी प्रतिभा को निखार सकें। यह स्पर्धा विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास में सहायता करती है। इसके अलावा, यह उन्हें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से अवगत कराती है, जो उनके जीवन में एक नया दृष्टिकोण प्रदान करती है।

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की सराहना

राज्यपाल पटेल ने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा संस्कृत के प्रचार-प्रसार में निभाई जा रही अग्रणी भूमिका की सराहना की। उन्होंने विश्वविद्यालय को भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने और इसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित किया।

संस्कृत शिक्षा और प्रतिस्पर्धा का समन्वय

इस अवसर पर राज्यपाल ने संस्कृत भाषा की प्राचीन धरोहर और भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण और संवर्धन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को विद्यार्थियों को संस्कृत के अध्ययन और अनुसंधान के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियों के समाधान खोजने के अवसर प्रदान करने चाहिए।




प्रतियोगिताएं केवल हार-जीत तक सीमित नहीं होती हैं, बल्कि ये हमारे जीवन के हर पहलू को समृद्ध करने का एक माध्यम हैं। राज्यपाल पटेल के शब्दों में, प्रतियोगिता में भाग लेने से न केवल जोश और उत्साह मिलता है, बल्कि इससे हमारा कौशल भी उन्नत होता है। संस्कृत और भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रति छात्रों को जागरूक और प्रेरित करने का प्रयास इस आयोजन के माध्यम से किया गया है, जो भारत को ज्ञान की महाशक्ति बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


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