कटनी में सीएम हेल्पलाइन शिकायतों के निराकरण में लापरवाही: सिविल सर्जन सहित तीन अधिकारियों को कलेक्टर का कारण बताओ नोटिस
written & edited by : ADIL AZIZ
कटनी (4 अक्टूबर) - सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से जनसमस्याओं का समाधान सुनिश्चित करना सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है। इसके तहत नागरिक अपनी शिकायतें दर्ज कराते हैं, और संबंधित विभागों के अधिकारी उनका निपटारा करते हैं। परंतु जब अधिकारियों द्वारा इन शिकायतों के निराकरण में लापरवाही बरती जाती है, तो यह व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। कटनी जिले में ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां तीन अधिकारियों को सीएम हेल्पलाइन शिकायतों के निपटारे में हीलाहवाली करने पर कलेक्टर ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
कलेक्टर द्वारा कार्रवाई:
कटनी जिले के कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने तहसीलदार कटनी नगर बालकृष्ण मिश्रा, तहसीलदार विजयराघवगढ़ मनीष शुक्ला, और सिविल सर्जन डॉ. यशवंत वर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के निराकरण में सुस्ती दिखाई और शिकायतें लंबे समय तक लंबित पड़ी रहीं।
सीएम हेल्पलाइन एक ऐसा मंच है, जहां आम जनता अपनी समस्याओं के समाधान की उम्मीद करती है। इस प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से शिकायतें दर्ज होने के बाद, संबंधित विभागों को एक निश्चित समय सीमा के भीतर उन शिकायतों का समाधान करना होता है। लेकिन जब अधिकारी समय पर कार्रवाई नहीं करते, तो न केवल जनता की समस्याएं बढ़ती हैं, बल्कि सरकार की विश्वसनीयता पर भी आंच आती है।
अधिकारियों की स्थिति:
तहसीलदार कटनी नगर बालकृष्ण मिश्रा: कटनी नगर तहसील में कुल 285 सीएम हेल्पलाइन की शिकायतें लंबित हैं, जिनमें से 172 शिकायतें 50 दिनों से अधिक समय से लंबित हैं। यह तहसील सीएम हेल्पलाइन के निपटारे की दृष्टि से जून 2024 में छठवीं रैंक पर थी, जबकि जुलाई और अगस्त 2024 में आठवीं रैंक पर रही। यह रैंकिंग बताती है कि तहसील के स्तर पर शिकायतों के निपटारे में लगातार गिरावट आई है, जिससे जनता की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।
तहसीलदार विजयराघवगढ़ मनीष शुक्ला: विजयराघवगढ़ तहसील में स्थिति और भी गंभीर है। वहां कुल 608 शिकायतें लंबित हैं, जिनमें से 471 शिकायतें 50 दिनों से अधिक समय से लंबित पाई गईं। यह तहसील जून, जुलाई और अगस्त 2024 में लगातार जिले में नौवीं रैंक पर रही है। इस प्रकार की स्थिति स्पष्ट रूप से यह बताती है कि तहसील में शिकायतों के निराकरण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, और जनता की समस्याएं अनसुलझी रह जाती हैं।
सिविल सर्जन डॉ. यशवंत वर्मा: जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ. यशवंत वर्मा के स्तर पर भी शिकायतों की भारी संख्या लंबित है। कुल 1065 सीएम हेल्पलाइन शिकायतें लंबित पाई गईं, जिनमें से 905 शिकायतें 50 दिनों से अधिक समय से पेंडिंग थीं। जिला चिकित्सालय जून, जुलाई और अगस्त 2024 में लगातार डी श्रेणी में रहा, जो निराकरण के हिसाब से सबसे निचले स्तर पर है।
कलेक्टर की सख्ती और कार्रवाई:
कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने इन तीनों अधिकारियों की लापरवाही पर गहरी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि यह अधिकारियों की पदीय कर्तव्यों की अवहेलना और शासन के कार्यों के प्रति उदासीनता को दर्शाता है। इस पर कार्रवाई करते हुए, कलेक्टर ने इन अधिकारियों को तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। यदि तीन दिनों के भीतर जवाब प्राप्त नहीं होता है, तो उनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जाएगी।
यह नोटिस इस बात का स्पष्ट संदेश है कि सीएम हेल्पलाइन के मामलों में लापरवाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कलेक्टर ने स्पष्ट किया है कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे जो जनता की शिकायतों को हल करने में असफल होते हैं।
सीएम हेल्पलाइन: नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच
सीएम हेल्पलाइन का उद्देश्य जनता की समस्याओं का त्वरित और प्रभावी समाधान सुनिश्चित करना है। यह एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है, जहां नागरिक अपनी शिकायतें दर्ज कराते हैं, और सरकार के विभिन्न विभागों को उन शिकायतों का समाधान करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। लेकिन जब अधिकारी इस महत्वपूर्ण तंत्र को हल्के में लेते हैं, तो इसका सीधा प्रभाव जनता पर पड़ता है।
सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों का समय पर निराकरण न होना इस बात का संकेत है कि अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इसका परिणाम यह होता है कि जनता को अपनी छोटी-छोटी समस्याओं के लिए बार-बार शिकायतें दर्ज करनी पड़ती हैं, और फिर भी उन्हें समाधान नहीं मिलता।
जनता का विश्वास कैसे बहाल किया जा सकता है?
जनता का विश्वास तभी बहाल किया जा सकता है, जब अधिकारी अपने काम को जिम्मेदारी से निभाएं और शिकायतों का त्वरित समाधान करें। इसके लिए आवश्यक है कि अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को समझें और उन पर गंभीरता से अमल करें।
इसके साथ ही, प्रशासन को भी इस तरह की लापरवाही पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। कलेक्टर द्वारा जारी किया गया यह नोटिस एक सकारात्मक कदम है, जो यह संकेत देता है कि अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होना चाहिए।
समाधान के लिए ठोस कदम
सीएम हेल्पलाइन के मामलों में सुधार लाने के लिए प्रशासन को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
सख्त निगरानी व्यवस्था: अधिकारियों द्वारा दर्ज शिकायतों की सख्त निगरानी की जानी चाहिए और उनकी प्रगति पर नियमित रूप से रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए।
समय सीमा निर्धारित करना: शिकायतों के समाधान के लिए समय सीमा का पालन किया जाना चाहिए, और जो अधिकारी इस समय सीमा का उल्लंघन करते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
जागरूकता अभियान: जनता को सीएम हेल्पलाइन के महत्व के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए ताकि वे अपनी समस्याओं को दर्ज करा सकें और समाधान की दिशा में कदम उठा सकें।
अधिकारियों की जवाबदेही: जिन अधिकारियों की शिकायतें लंबित रहती हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उनके प्रदर्शन के आधार पर उन्हें पदोन्नति या अन्य लाभ दिए जाने चाहिए।
कटनी में सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के निराकरण में हुई लापरवाही ने जनता को गहरे असंतोष में डाल दिया है। कलेक्टर द्वारा उठाए गए सख्त कदम यह दर्शाते हैं कि अब अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होना जरूरी है।
सीएम हेल्पलाइन का उद्देश्य तभी पूरा होगा जब अधिकारी समय पर शिकायतों का निपटारा करेंगे और जनता को उनकी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। कलेक्टर द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिस से यह उम्मीद की जा सकती है कि अधिकारी अब अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेंगे और जनता की समस्याओं का समय पर समाधान करेंगे।
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