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सहायक खनिज अधिकारी पवन कुमार कुशवाहा निलंबित, अनाधिकृत अनुज्ञप्ति जारी करने का आरोप



writen & edited by : ADIL AZIZ

कटनी। 23 सितंबर – प्रशासनिक सेवा के नियमों का उल्लंघन करने और अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने के मामले में कटनी के सहायक खनिज अधिकारी पवन कुमार कुशवाहा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। यह निलंबन संभागायुक्त अभय वर्मा द्वारा कलेक्टर दिलीप कुमार यादव के प्रस्ताव पर किया गया। कुशवाहा पर आरोप है कि उन्होंने तीन खनिज व्यवसाइयों को अनाधिकृत रूप से अनुज्ञप्ति जारी की और पदीय दायित्वों का पालन नहीं किया।

निलंबन की कार्रवाई और कारण

यह निलंबन मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियमों के अंतर्गत किया गया है। निलंबन की अवधि के दौरान पवन कुमार कुशवाहा का मुख्यालय कार्यालय कलेक्ट्रेट कटनी नियत किया गया है, और उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता नियमों के अनुसार प्रदान किया जाएगा।

कुशवाहा पर आरोप है कि उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर तीन खनिज व्यवसाइयों को अनुज्ञप्ति जारी की। इन अनुज्ञप्तियों को बिना किसी उचित अनुमोदन और बिना प्रभारी खनिज अधिकारी की अनुमति के जारी किया गया था। यह स्पष्ट रूप से प्रशासनिक प्रक्रिया और नियमों का उल्लंघन है।

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मामलों का विस्तृत विवरण

इस मामले के तीन प्रमुख प्रकरण सामने आए हैं, जिनमें कुशवाहा द्वारा बिना उचित प्रक्रिया के अनुज्ञप्ति जारी की गई। पहला मामला ग्राम झिंझरी, तहसील मुड़वारा, कटनी का है, जहां खनिज लाइमस्टोन, बाक्साइट, पायरोफ्लाइट, कोयला, और क्ले के भंडारण के लिए एक खनिज व्यापारी को अनुज्ञप्ति जारी की गई।

दूसरा मामला औद्योगिक क्षेत्र लमतरा का है, जहां बक्साइट, डोलोमाइट, पायरोफ्लाइट और फायरक्ले के भंडारण के लिए अनुज्ञप्ति जारी की गई। तीसरा मामला ग्राम बाकी, तहसील मुड़वारा का है, जहां कोयला के भंडारण के लिए अनुज्ञप्ति जारी की गई थी।

तीनों ही मामलों में, कुशवाहा ने बिना प्रभारी अधिकारी के हस्ताक्षर और बिना अनुज्ञापन प्राधिकारी के अनुमोदन के अनुज्ञप्ति जारी की।

प्रक्रिया का उल्लंघन और लापरवाही

अधिकारियों द्वारा दिए गए विवरण के अनुसार, पवन कुमार कुशवाहा ने इन अनुज्ञप्तियों को बिना किसी अनुमोदन के जारी किया, जो पूरी तरह से गलत है और प्रशासनिक नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर निर्णय लिए और प्राधिकरण से बिना किसी अनुमति के खनिज व्यवसाइयों को अनुज्ञप्ति जारी कर दी।

यह लापरवाही और स्वेच्छाचारिता स्पष्ट रूप से यह दिखाती है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया। ऐसे कृत्य सरकारी सेवा नियमों का स्पष्ट उल्लंघन होते हैं, जिससे प्रशासनिक अनुशासन भंग होता है।

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अधिकारियों की प्रतिक्रिया

इस पूरे मामले पर संभागायुक्त अभय वर्मा ने तत्काल कार्यवाही की और कुशवाहा को निलंबित कर दिया। इस कदम से यह संदेश जाता है कि शासन के नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर दिलीप कुमार यादव द्वारा इस मामले में जांच और प्रस्ताव भेजा गया था, जिसके आधार पर निलंबन की कार्यवाही की गई।

कुशवाहा का निलंबन यह दर्शाता है कि प्रशासनिक व्यवस्था में कोई भी अधिकारी अपने अधिकारों का दुरुपयोग नहीं कर सकता और अगर ऐसा होता है, तो उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

निलंबन का असर और प्रशासनिक संदेश

इस निलंबन का उद्देश्य प्रशासनिक अनुशासन बनाए रखना है। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार और प्रशासन अपने अधिकारियों से नियमों के पालन की सख्त अपेक्षा रखते हैं।

कुशवाहा जैसे अधिकारी, जो अपने पद का दुरुपयोग करते हैं, न केवल शासन प्रणाली में अव्यवस्था फैलाते हैं बल्कि आम जनता के हितों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई यह सुनिश्चित करती है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों और प्रशासन में पारदर्शिता और अनुशासन बना रहे।

अनुज्ञप्तियों का अनाधिकृत जारी करना: क्या कहती हैं नियमावली

मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियमावली के अनुसार, किसी भी प्रकार की अनुज्ञप्ति जारी करने से पहले प्राधिकृत अधिकारियों से अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य है। अगर किसी अधिकारी को ऐसा निर्णय लेना पड़ता है, तो उसे अपने वरिष्ठ अधिकारियों से परामर्श लेना चाहिए और प्रक्रिया के अनुसार कार्य करना चाहिए।

पवन कुमार कुशवाहा ने इस प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए बिना किसी अनुमोदन के अनुज्ञप्ति जारी की, जो न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह प्रशासनिक व्यवस्था के लिए खतरा भी है।

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आगे की प्रक्रिया

अब जब कुशवाहा को निलंबित कर दिया गया है, तो यह देखा जाएगा कि आगे की जांच क्या कहती है। अगर उनके खिलाफ और भी सबूत मिलते हैं, तो उन पर और सख्त कार्रवाई हो सकती है। फिलहाल, उन्हें अपने पद से निलंबित कर दिया गया है और उनकी जिम्मेदारियों से हटा दिया गया है।

संदेश जनता के लिए

इस निलंबन से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार और लापरवाही के लिए कोई स्थान नहीं है। यह कदम जनता को यह विश्वास दिलाने के लिए उठाया गया है कि शासन उनके हितों की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाने में सक्षम है।

सरकारी अधिकारी जनता की सेवा के लिए होते हैं और अगर वे अपने पद का दुरुपयोग करते हैं, तो उन पर कार्रवाई अवश्य की जाएगी।

पवन कुमार कुशवाहा का निलंबन यह साबित करता है कि प्रशासन में अनुशासन और पारदर्शिता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। इस घटना से यह संदेश जाता है कि कोई भी अधिकारी अगर नियमों का उल्लंघन करता है या अपने पद का दुरुपयोग करता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सरकार और प्रशासन जनता के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं, और इस तरह की घटनाओं से जनता का विश्वास बढ़ता है।


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