शिवाजी महाराज का अपमान: चुनावी मजबूरियों में घुटने टेकते तानाशाह:
writen by : ASHWINI BADGAIYA
edited by : ADIL AZIZ
चुनाव की ताकत:
तानाशाहों को घुटनाटेक कर देने वाला असर
मौजूदा मुद्दा:
मोदी के चुनावी दांव और शिवाजी महाराज का सम्मान
चुनाव एक ऐसी प्रक्रिया है जो तानाशाहों को भी घुटनों पर लाने की ताकत रखती है। यह समय होता है जब जनता की ताकत नेताओं के अहंकार को चुनौती देती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 के चुनावी मैदान में एक नया जुमला फेंका है— "शिवाजी महाराज मेरे आराध्य देव हैं।" यह वही नेता हैं, जो कल तक खुद को ईश्वर का अवतार मानते थे। आज, जब शिवाजी महाराज की प्रतिमा जमींदोज हो गई, तो चुनावी समीकरणों के चलते उन्हें आराध्य कहने का नाटक रचना पड़ा।
शिवाजी की प्रतिमा का जमींदोज होना: महाराष्ट्र की अस्मिता पर हमला
महाराष्ट्र की अस्मिता के प्रतीक छत्रपति शिवाजी महाराज की कांस्य प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 दिसंबर 2023 को कोल्हापुर में किया था। लेकिन, यह प्रतिमा 26 अगस्त 2024 को जमींदोज हो गई। यह वही शिवाजी हैं, जिनका मस्तक हर परिस्थिति में सदैव ऊंचा रहा। लेकिन इस बार, डबल इंजन सरकार की नाकामी के चलते, शिवाजी की प्रतिमा जमीन पर आ गिरी। इस प्रतिमा को बनाने में 3,600 करोड़ रुपए की लागत आई थी। सवाल यह है कि इतनी भारी-भरकम राशि में कितना बंदरबांट हुआ होगा?
डबल इंजन सरकार की नाकामियां:
एक के बाद एक घोटाले
यह पहली बार नहीं है जब भाजपा की डबल इंजन सरकार ने ऐसा किया हो। मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल कारीडोर में स्थापित की गई प्रतिमाएं भी सालभर के भीतर ही खंडहर में तब्दील हो गई थीं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद, करोड़ों रुपयों की लागत से बनाए गए मंदिर में पहली बारिश में ही गर्भ-गृह में पानी टपकने लगा। सड़कों पर लगी लाइटें छह महीने में ही नदारद हो गईं। दिल्ली में नई संसद की छत से पानी टपकने लगा। यह सब दिखाता है कि जो काम सालभर भी टिक नहीं पाता, वह देशवासियों को 2047 का सपना दिखा रहा है।
प्रधानमंत्री की माफी:
शिवाजी महाराज पर एहसान या मजबूरी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना के बाद माफी मांगते हुए वीडियो जारी किया। लेकिन उनकी बॉडी लैंग्वेज और लहजा ऐसा था मानो वे माफी मांगकर शिवाजी महाराज पर एहसान कर रहे हों। वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने इस पर व्यंग्य करते हुए कहा, "यह ओजस्विता, यह तेजस्विता, यह प्रताप, यह वीरभाव, यह गर्वोन्नत भाल— ऐसा भक्तिभाव किसी ने अपने आराध्य से कभी नहीं देखा होगा।"
महाराष्ट्र का गुस्सा:
शिवाजी की प्रतिमा गिराने पर जनता में रोष
वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े ने कहा कि यह पहली बार है जब महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा जमींदोज हुई है। इस घटना को लेकर पूरे महाराष्ट्र में गुस्सा है। सीएम ने नेवी के पाले में गेंद डालते हुए कहा कि इस घटना से हमारी सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। उपमुख्यमंत्री ने माफी मांगी, लेकिन यह माफी भी चुनावी लाभ के लिए थी।
कांग्रेस का प्रहार:
शिवाजी के सम्मान के लिए भाजपा को चुनौती
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, "महाराष्ट्र शिवाजी महाराज के अपमान का बदला जरूर लेगा। मोदी को जनता और विपक्ष के विरोध के आगे नाक रगड़कर माफी मांगनी पड़ी। लेकिन यह माफी नहीं, ढोंग है। इस पाप के जिम्मेदार मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रियों को बर्खास्त कीजिए।"
निष्कर्ष:
चुनावी मजबूरियों में छुपा है सच्चाई का आईना
चुनाव का दौर आते ही तानाशाहों के चेहरे से नकाब हटने लगता है। जब तक जनता जागरूक नहीं होती, तब तक ऐसे घटनाएं होती रहेंगी। शिवाजी महाराज का अपमान न सिर्फ महाराष्ट्र, बल्कि पूरे देश का अपमान है। जनता को समझना होगा कि सत्ता में बैठे लोग उनके आराध्यों का इस्तेमाल केवल अपने लाभ के लिए कर रहे हैं।
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