"उत्तर प्रदेश: लखीमपुर में दरोगा द्वारा युवक की बर्बर पिटाई, सोशल मीडिया पर सरकार से जवाब मांगते लोग।
दीवान जी एक व्यक्ति को दौड़ा दौड़ा कर पीट रहे। गालियां दे रहे। आखिर में गोली मारने की बात कह रहे। साथ वाले दारोगा जी भीड़ के बीच दीवान जी को कंट्रोल करने में लगे हैं।
— Rajesh Sahu (@askrajeshsahu) September 13, 2024
वीडियो लखीमपुर खीरी के पलिया कोतवाली क्षेत्र का है। पीटने का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। pic.twitter.com/211w1VUrSI
लखीमपुर खीरी में दरोगा साहब एक आदमी को दौड़ा दौड़ा कर बेरहमी से पीट रहे है
— Surya Samajwadi (@surya_samajwadi) September 13, 2024
पब्लिक के सामने पीट रहे हैं तो सोचो पीठ पीछे कितना जुल्म करते होंगे
योगी राज में रक्षक ही भक्षक बन गए है pic.twitter.com/dm418grzjc
Credit : x.com |
written & edited by : ADIL AZIZ
लखीमपुर (15 सितंबर) – उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले से एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक दरोगा द्वारा एक युवक को खुलेआम लात-घूंसे और डंडी से पीटते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में दिख रही यह घटना न केवल पुलिस बर्बरता का एक जीता-जागता उदाहरण है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि हवालात के अंदर इन पुलिसकर्मियों का व्यवहार कैसा होता होगा। वीडियो के सार्वजनिक होने के बाद सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर जनता में आक्रोश है और लोग सरकार से कड़े एक्शन की मांग कर रहे हैं।
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खुले आम सड़क पर पुलिस की गुंडागर्दी
वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे एक दरोगा एक युवक को बेतहाशा पीट रहा है। युवक को जमीन पर गिराकर लात-घूंसे और डंडी से मारा जा रहा है। यह घटना एक खुलेआम जगह पर हो रही है, जहाँ आसपास लोग खड़े होकर देख रहे हैं, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हो रही कि वह हस्तक्षेप कर सके। इस घटना ने पुलिस की क्रूरता और कानून के रखवालों की छवि पर गहरा धब्बा लगाया है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस वीडियो के बाद अब आम जनता के साथ-साथ कई संगठनों ने भी इसका कड़ा विरोध किया है। लोग सवाल कर रहे हैं कि अगर पुलिस इस तरह खुलेआम लोगों पर अत्याचार कर सकती है, तो हवालात के अंदर क्या होता होगा, यह केवल कल्पना की जा सकती है।
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सोशल मीडिया पर गुस्से की लहर
जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर आया, वैसे ही इसे लेकर बहस छिड़ गई। लोग ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर सरकार और पुलिस प्रशासन से सवाल पूछ रहे हैं। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि अगर इस तरह की घटनाएं सार्वजनिक रूप से होती हैं, तो पुलिस की जिम्मेदारी पर सवाल उठना लाजिमी है।
ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा, "अगर पुलिस वाले खुलेआम इस तरह मारपीट कर सकते हैं, तो बंद दरवाजों के पीछे क्या होता होगा? सरकार को इस पर तुरंत एक्शन लेना चाहिए।"
एक अन्य यूजर ने कहा, "इस दरोगा के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो सकें।"
सोशल मीडिया के जरिए इस मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित कर लिया है, और लोग लगातार सरकार से इस मामले पर त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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उत्तर प्रदेश सरकार के सामने चुनौती
यह घटना उत्तर प्रदेश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। पुलिस विभाग, जो कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है, उसके कुछ अधिकारी अगर खुद कानून की धज्जियां उड़ाते नजर आएं, तो यह सरकार की साख के लिए भी बड़ा सवाल है।
वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश सरकार ने कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन इस घटना ने उन सभी प्रयासों को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। लोग सरकार से यह जानना चाहते हैं कि इस तरह के मामलों में क्या कार्रवाई होगी और क्या इस दरोगा के खिलाफ कड़ी सजा दी जाएगी?
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पुलिस विभाग की सफाई
इस घटना के बाद पुलिस विभाग की तरफ से भी बयान सामने आया है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और दोषी दरोगा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस विभाग ने कहा कि किसी भी स्थिति में कानून के रक्षकों को कानून तोड़ने का अधिकार नहीं है, और इस मामले में दोषी पाए जाने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
मानवाधिकार संगठनों का विरोध
इस घटना के बाद कई मानवाधिकार संगठनों ने भी अपना विरोध दर्ज कराया है। उनका कहना है कि पुलिस की इस तरह की बर्बरता केवल एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के खिलाफ है। मानवाधिकार संगठन के एक सदस्य ने कहा, "यह एक बेहद गंभीर मामला है, और इस पर त्वरित और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। दोषी पुलिसकर्मियों को सजा मिलनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई और इस तरह की हरकत न कर सके।"
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पुलिस सुधार की मांग
इस घटना के बाद एक बार फिर पुलिस सुधार की मांग जोर पकड़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस बल को प्रशिक्षण और जागरूकता की सख्त जरूरत है, ताकि वे नागरिकों के साथ मानवीय तरीके से व्यवहार कर सकें।
कई लोगों का कहना है कि पुलिस बल में सुधार के बिना ऐसी घटनाओं को रोकना मुश्किल होगा। साथ ही, यह भी आवश्यक है कि ऐसे पुलिसकर्मियों पर तुरंत कार्रवाई हो और उन्हें सख्त सजा मिले, ताकि यह एक उदाहरण बने और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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आगे क्या?
अब देखने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार इस घटना पर क्या कदम उठाती है। क्या दोषी पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई होती है, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह दबा दिया जाएगा?
इस घटना ने लोगों में पुलिस व्यवस्था को लेकर अविश्वास की भावना पैदा कर दी है। ऐसे में सरकार और पुलिस विभाग की यह जिम्मेदारी है कि वे इस मामले पर त्वरित और सख्त कार्रवाई करें, ताकि जनता का विश्वास पुनः कायम हो सके।
लखीमपुर की यह घटना पुलिस बर्बरता का एक और काला अध्याय है, जिसने समाज के सामने पुलिस विभाग की छवि को धूमिल कर दिया है। अब यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस मामले में निष्पक्ष जांच करवाए और दोषी पुलिसकर्मी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करे।
सोशल मीडिया पर जनता की नाराजगी और मानवाधिकार संगठनों के विरोध के बीच यह देखना बाकी है कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार इस घटना को गंभीरता से लेते हुए ठोस कदम उठाती है या नहीं।
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