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कड़कनाथ मुर्गा पालन बना अतिरिक्त आय का जरिया





written & edited by : ADIL AZIZ 

कटनी (14 सितंबर) – कड़कनाथ मुर्गा पालन इन दिनों कटनी जिले के ग्रामीणों के लिए खेती-किसानी और मेहनत-मजदूरी के अलावा एक अतिरिक्त आय का शानदार जरिया बन गया है। पशुपालन और डेयरी विकास विभाग द्वारा प्रोत्साहित की गई कड़कनाथ मुर्गा पालन योजना से लोग अब इस प्रजाति को पालकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

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क्यों है कड़कनाथ प्रजाति विशेष?

कड़कनाथ मुर्गा अपनी खासियतों के लिए जाना जाता है। इसके काले मांस और ख़ून की वजह से यह अन्य मुर्गों की प्रजातियों से अलग है। इसका स्वाद और सेहतमंद गुण इसे बाजार में महंगा बनाते हैं। कड़कनाथ मुर्गा अन्य मुर्गों की तुलना में अधिक पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जिसमें प्रोटीन, आयरन, और विटामिन की अच्छी मात्रा होती है। यह प्रजाति न सिर्फ स्वस्थ बल्कि इसके मांस का सेवन करने वाले लोगों के लिए भी बेहद लाभकारी मानी जाती है।

इस प्रजाति की एक और खासियत यह है कि यह जल्दी ही तैयार हो जाती है। 5-6 महीनों के भीतर यह मुर्गे पूरी तरह से बड़े होकर बिक्री के लिए तैयार हो जाते हैं। इसकी मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे ग्रामीणों को इसका पालन कर अच्छी आमदनी हो रही है।

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कड़कनाथ योजना के लाभ

कटनी जिले में पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग के उप संचालक डॉ आर के सिंह के अनुसार, कड़कनाथ योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को चूजे और उनके लिए जरूरी दाना उपलब्ध कराया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और उन्हें नई आजीविका के अवसर प्रदान करना है।

डॉ सिंह ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत सिर्फ 1100 रुपये का अंशदान लेकर हितग्राहियों को चूजे दिए जाते हैं। साथ ही 3300 रुपये का अनुदान भी दिया गया है। पिछले वर्ष 2023-24 में 50 से अधिक लाभार्थियों को इस योजना का लाभ मिला है। इनमें से कई लाभार्थियों ने इस व्यवसाय से अच्छी आय अर्जित की है।

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राजकुमारी की सफलता की कहानी

ग्राम खंडवारा, ढीमरखेड़ा की रहने वाली राजकुमारी भी कड़कनाथ मुर्गा पालन योजना का लाभ उठाकर सफल व्यवसायी बन चुकी हैं। उन्हें 5 महीने पहले 28 दिवसीय 40 कड़कनाथ चूजे दिए गए थे। राजकुमारी ने इन चूजों की अच्छी देखभाल की और अब तक 6-7 मुर्गे बेच चुकी हैं। उनकी कहानी उन सभी ग्रामीणों के लिए प्रेरणादायक है जो इस योजना के तहत अपने परिवार की आय में बढ़ोतरी करना चाहते हैं।

राजकुमारी बताती हैं, “गांव के लोग खुद ही आकर मुर्गे खरीदने लगते हैं। एक मुर्गे की कीमत 800 से 1000 रुपये तक होती है। यह आय मेरे परिवार के लिए एक बड़ी राहत साबित हो रही है।” साथ ही, कुछ मुर्गियों ने अंडे भी देना शुरू कर दिए हैं, जिससे उनकी आमदनी में और बढ़ोतरी की संभावना है।

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कड़कनाथ मुर्गा पालन के लाभ

कड़कनाथ मुर्गा पालन के कई फायदे हैं, जो इसे अन्य पोल्ट्री प्रजातियों से अलग बनाते हैं:

  1. जल्दी तैयार होती है प्रजाति: 5-6 महीने में पूरी तरह तैयार हो जाती है, जिससे कम समय में मुनाफा कमाया जा सकता है।
  2. बाजार में उच्च मांग: कड़कनाथ मुर्गा अपने स्वाद और सेहतमंद गुणों के कारण महंगा बिकता है, जिससे पालकों को अच्छी कीमत मिलती है।
  3. स्वस्थ और पोषक तत्वों से भरपूर: इस मुर्गे के मांस में प्रोटीन, आयरन, और विटामिन की अधिक मात्रा होती है, जो इसे सेहतमंद बनाती है।
  4. बीमारियों से प्रतिरोधक क्षमता: कड़कनाथ प्रजाति में बीमारियां कम होती हैं, जिससे इसका पालन आसान हो जाता है।
  5. अतिरिक्त आय का जरिया: खेती-किसानी के साथ मुर्गा पालन ग्रामीणों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया बनता है।

सुरक्षित पालन के उपाय

कड़कनाथ मुर्गा पालन के दौरान शुरूआती कुछ दिनों में तापमान का खास ध्यान रखना जरूरी होता है। चूजों को उचित तापमान में रखने से उनकी सेहत अच्छी रहती है और उनके विकास में कोई बाधा नहीं आती। इसके अलावा, साफ-सफाई और उचित खानपान भी मुर्गों के अच्छे विकास में मदद करता है।

डॉ सिंह ने बताया कि कड़कनाथ मुर्गा पालन के लिए ज्यादा खर्च की आवश्यकता नहीं होती है। यह प्रजाति कम जगह और साधारण भोजन पर भी अच्छी तरह से विकसित होती है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां मुर्गों के लिए प्राकृतिक वातावरण मिलता है, वहां कड़कनाथ का पालन और भी आसान हो जाता है।

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भविष्य की संभावनाएं

कड़कनाथ मुर्गा पालन की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए, आने वाले समय में और भी ज्यादा लोग इस व्यवसाय से जुड़ सकते हैं। सरकार की ओर से मिलने वाली मदद और योजनाओं के तहत अब यह व्यापार और भी आसान और लाभकारी हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आर्थिक सुधार के लिए यह एक महत्वपूर्ण साधन बनता जा रहा है।

कड़कनाथ मुर्गा पालन, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए, एक लाभकारी और आसान व्यवसाय बन चुका है। इसकी विशेषताएं, जैसे जल्दी तैयार होना, उच्च बाजार मूल्य, और बीमारियों से प्रतिरोधक क्षमता, इसे अन्य पोल्ट्री प्रजातियों से अलग बनाती हैं। कटनी जिले में इस योजना का सफल क्रियान्वयन ग्रामीणों की आजीविका में सुधार ला रहा है और उन्हें आत्मनिर्भर बना रहा है। कड़कनाथ प्रजाति का पालन कर ग्रामीण अब अपनी आमदनी में बढ़ोतरी कर रहे हैं और एक सफल व्यवसायी बन रहे हैं।

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