कंधार हाइजैकिंग आईसी 814: 1999 की वह दर्दनाक घटना
Credit : DNA |
written & edited by : ADIL AZIZ
जिसने भारत को झकझोर कर रख दिया
कंधार हाइजैकिंग आईसी 814, वर्ष 1999 में घटी एक ऐसी घटना थी जिसने भारत के लोगों के दिलों में भय और चिंता भर दी। यह घटना तब हुई जब इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी 814 को आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया। इस घटना ने भारतीय सरकार, यात्रियों और उनके परिवारों पर गहरा प्रभाव डाला।
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कंधार हाइजैकिंग आईसी 814 की शुरुआत
24 दिसंबर 1999 का दिन, जब इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी 814 काठमांडू से दिल्ली जा रही थी। इस फ्लाइट में 176 यात्री और 15 क्रू सदस्य थे। उड़ान के दौरान, पांच आतंकवादियों ने विमान को हाईजैक कर लिया। इन आतंकवादियों ने यात्रियों को बंदूक की नोक पर बंधक बना लिया और विमान को पाकिस्तान, दुबई होते हुए अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया।
कंधार हाइजैकिंग आईसी 814 की त्रासदी
कंधार हाइजैकिंग आईसी 814 की इस घटना ने भारतीय नागरिकों के मन में भय पैदा किया। विमान में मौजूद यात्रियों की सुरक्षा और उन्हें मुक्त कराने की चिंता हर किसी के चेहरे पर थी। हाईजैकरों ने यात्रियों के साथ बर्बरता की, जिससे एक यात्री की मौत हो गई। यह घटना भारतीय इतिहास की सबसे दर्दनाक और गंभीर हाइजैकिंग घटनाओं में से एक मानी जाती है।
हाईजैकर्स की मांगें और सरकार की चुनौती
कंधार हाइजैकिंग आईसी 814 को नियंत्रित करने वाले आतंकवादियों ने तुरंत अपनी मांगें भारतीय सरकार के सामने रखीं। उनकी मुख्य मांग थी कि भारतीय जेलों में बंद तीन खतरनाक आतंकवादियों - मौलाना मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद ज़रगर - को रिहा किया जाए। इस मांग ने भारतीय सरकार को एक कठिन स्थिति में डाल दिया।
कंधार में भारतीय राजनयिक दबाव
कंधार हाइजैकिंग आईसी 814 को लेकर भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता गया। कंधार, उस समय तालिबान के नियंत्रण में था, और यह स्थिति और भी जटिल हो गई थी। भारतीय राजनयिकों और अफगान तालिबान के बीच बातचीत के दौरान यह सुनिश्चित किया गया कि आतंकवादी यात्रियों के साथ और अधिक हिंसा न करें। भारत सरकार के लिए यह एक मुश्किल स्थिति थी, क्योंकि आतंकियों की रिहाई से भविष्य में आतंकवादी गतिविधियों के बढ़ने की संभावना थी, लेकिन यात्रियों की जान बचाने की प्राथमिकता सबसे अधिक थी।
यात्रियों और उनके परिवारों की पीड़ा
कंधार हाइजैकिंग आईसी 814 की इस घटना ने न केवल सरकार को चुनौती दी, बल्कि इसमें शामिल यात्रियों और उनके परिवारों को भी भारी मानसिक आघात दिया। यात्रियों के परिवार अपने प्रियजनों की सुरक्षा के लिए चिंतित थे और हर पल उम्मीद लगाए बैठे थे कि सरकार जल्द से जल्द कुछ समाधान निकाल पाएगी। विमान के अंदर फंसे यात्री भी मानसिक और शारीरिक कष्ट झेल रहे थे। उनकी जिंदगी एक नाजुक धागे पर टिकी थी।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
कंधार हाइजैकिंग आईसी 814 के दौरान भारत सरकार ने स्थिति को संभालने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने आतंकियों से सीधे बातचीत करने के बजाय डिप्लोमैटिक रास्तों को अपनाया। रक्षा विशेषज्ञों और सुरक्षा एजेंसियों ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए संभावित कदम उठाए, लेकिन समय कम था और स्थिति बहुत तनावपूर्ण थी।
आतंकियों की रिहाई और संकट का अंत
कंधार हाइजैकिंग आईसी 814 की यह घटना पांच दिन तक चली, जिसमें यात्रियों की सुरक्षा को लेकर हर पल चिंताएं बढ़ती रहीं। अंततः, भारतीय सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए तीन आतंकवादियों की रिहाई के लिए सहमति जताई। 31 दिसंबर 1999 को, इन आतंकवादियों को कंधार ले जाया गया और यात्रियों को मुक्त कराया गया। यह निर्णय विवादास्पद था, क्योंकि इससे भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति पर सवाल उठे। हालांकि, उस समय की स्थिति में यात्रियों की जान बचाना सबसे महत्वपूर्ण था।
कंधार हाइजैकिंग आईसी 814 के बाद की स्थिति
कंधार हाइजैकिंग आईसी 814 की घटना के बाद, भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं में बड़े बदलाव किए। हवाई अड्डों पर सुरक्षा बढ़ाई गई, और यात्रियों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाए गए। यह घटना भारतीय एयरलाइंस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। इसके बाद से, भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी नीतियों में सख्ती बरती और हवाई यात्राओं के दौरान सुरक्षा मानकों को और भी सुदृढ़ किया।
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आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संघर्ष
कंधार हाइजैकिंग आईसी 814 की घटना ने वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष को और बढ़ावा दिया। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। आतंकवाद की जड़ें गहरी होती जा रही थीं, और इसका समाधान अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ही संभव था। भारत ने इस घटना के बाद आतंकवाद विरोधी अभियानों को और तेज किया, और वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग की।
निष्कर्ष: कंधार हाइजैकिंग आईसी 814 का सबक
कंधार हाइजैकिंग आईसी 814 की घटना न केवल भारत के इतिहास में एक गहरी चोट थी, बल्कि इससे दुनिया को यह भी संदेश मिला कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना अनिवार्य है। इस घटना ने हमें यह सिखाया कि सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में सतर्क रहना बेहद जरूरी है। इस त्रासदी से हम सभी ने सीखा कि मानवता के खिलाफ उठाए गए किसी भी आतंकवादी कदम का जवाब दृढ़ता से दिया जाना चाहिए।
1999 की कंधार हाइजैकिंग आईसी 814 की इस घटना को कभी नहीं भुलाया जा सकता। यह उन मासूम यात्रियों की याद दिलाती है जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर इस कठिन समय को झेला। आज, हम इस घटना से प्रेरणा लेकर एक ऐसे सुरक्षित भविष्य की दिशा में बढ़ रहे हैं, जहां ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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