विद्युत अधिनियम के तहत देयकों का विलंब से भुगतान करने पर लगेगा 16% चक्रवृद्धि ब्याज: 30 दिन में भुगतान की अपील
कटनी (18 सितंबर) - मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 और 126 के अंतर्गत बनाए गए प्रकरणों में जारी किए गए अंतिम या अनंतिम देयकों का यदि 30 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो उन पर प्रति वर्ष 16% की दर से छःमाही चक्रवृद्धि ब्याज लगाया जाएगा। कंपनी ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे अपने देयकों का भुगतान समय पर करें ताकि उन्हें अतिरिक्त ब्याज का बोझ न उठाना पड़े।
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धारा 135 और 126 के प्रकरण क्या हैं?
धारा 135 और 126 के अंतर्गत विद्युत अधिनियम 2003 में उन उपभोक्ताओं पर कार्यवाही की जाती है जो बिजली की चोरी, अवैध रूप से कनेक्शन लेना या मीटर से छेड़छाड़ जैसे अपराधों में लिप्त पाए जाते हैं। जब ऐसे मामलों में उपभोक्ता पर विद्युत वितरण कंपनी द्वारा जुर्माना या देयक लगाया जाता है, तो उसे एक निश्चित समयावधि में चुकाना अनिवार्य होता है। यदि उपभोक्ता ऐसा नहीं करता है, तो उसे निर्धारित दर से ब्याज का भुगतान करना पड़ता है।
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चक्रवृद्धि ब्याज का गणना कैसे होगी?
अगर उपभोक्ता 30 दिनों के भीतर जारी किए गए देयकों का भुगतान नहीं करते हैं, तो उन्हें हर छः महीने पर 16% वार्षिक ब्याज के साथ चक्रवृद्धि ब्याज चुकाना होगा।
उदाहरण के लिए, अगर किसी उपभोक्ता पर 50,000 रुपये का जुर्माना या देयक है, और वह इसे समय पर जमा नहीं करता, तो उसे अगले 6 महीने के बाद इस पर ब्याज के साथ अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा।
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आवश्यक भुगतान तिथि
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अंतिम/अनंतिम देयकों का भुगतान आकलन आदेश जारी होने की तिथि से 30 दिन के भीतर किया जाना चाहिए। अगर यह समय सीमा बीत जाती है, तो उपभोक्ता को निर्धारित ब्याज के साथ बकाया राशि चुकानी होगी।
विभिन्न बिल भुगतान विकल्प
बिजली उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए कंपनी ने कई ऑनलाइन और ऑफलाइन बिल भुगतान विकल्प उपलब्ध कराए हैं। अब उपभोक्ता अपने बिजली बिलों का भुगतान निम्नलिखित विकल्पों के माध्यम से कर सकते हैं:
- डेबिट कार्ड/क्रेडिट कार्ड
- यूपीआई (Google Pay, PhonePe, WhatsApp Payment, Amazon Pay आदि)
- इंटरनेट बैंकिंग
- वॉलेट्स (Freecharge, Paytm आदि)
- कियोस्क के माध्यम से - आईसेक्ट द्वारा स्थापित कियोस्क से भी भुगतान किया जा सकता है।
इन विकल्पों के माध्यम से उपभोक्ता आसानी से और सुरक्षित रूप से अपने बिलों का भुगतान कर सकते हैं। कंपनी ने यह भी कहा है कि उपभोक्ताओं को विलंब से भुगतान से बचने के लिए इन सुविधाओं का समय पर उपयोग करना चाहिए।
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विलंब से भुगतान के दुष्परिणाम
यदि कोई उपभोक्ता समय पर अपने देयकों का भुगतान नहीं करता है, तो न केवल उस पर अतिरिक्त ब्याज का बोझ पड़ता है, बल्कि इससे उसकी क्रेडिट स्थिति पर भी असर पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, भविष्य में कंपनी द्वारा की जाने वाली किसी अन्य सेवा या कनेक्शन के लिए भी यह एक बाधा बन सकती है।
कंपनी ने यह भी कहा है कि उपभोक्ताओं से समय पर देयकों का भुगतान न करने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें बिजली की कटौती या अन्य दंडात्मक कदम शामिल हो सकते हैं।
संपर्क जानकारी और सहायता
यदि किसी उपभोक्ता को अपने बिलों के भुगतान या देयकों के संबंध में किसी प्रकार की समस्या हो रही है, तो वह कंपनी के आधिकारिक हेल्पलाइन नंबर या ईमेल पर संपर्क कर सकता है। इसके अलावा, कंपनी के पोर्टल पर भी उपभोक्ता अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं।
- वेबसाइट: mpez.co.in
- हेल्पलाइन: 1800-123-6230
- ईमेल: support@mpez.co.in
आकलन आदेश और धारा 127(6)
मध्य प्रदेश विद्युत प्रदाय संहिता 2021 की कंडिका 10.2.10 और विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 127(6) के तहत यदि आकलन आदेश जारी होने के 30 दिन बाद भी उपभोक्ता द्वारा भुगतान नहीं किया जाता है, तो उसे आकलन राशि पर 16% चक्रवृद्धि ब्याज देना पड़ेगा।
यह नियम उपभोक्ताओं को अनुशासित रखने और समय पर देयकों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है। कंपनी ने उपभोक्ताओं से आग्रह किया है कि वे समय पर अपने देयक जमा करें ताकि उन्हें अतिरिक्त ब्याज न भरना पड़े।
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समय पर भुगतान करने के लाभ
- ब्याज से बचाव: समय पर भुगतान करने से उपभोक्ता को 16% ब्याज नहीं देना पड़ेगा, जिससे उनकी जेब पर बोझ कम होगा।
- कानूनी समस्याओं से बचाव: विलंबित भुगतान करने पर कंपनी कानूनी कार्यवाही कर सकती है, जिसमें बिजली कटौती और अन्य पेनल्टी शामिल हो सकती है।
- क्रेडिट स्थिति बेहतर: समय पर भुगतान करने से उपभोक्ता की क्रेडिट स्थिति सुधरती है और भविष्य में कंपनी से किसी भी प्रकार की सेवा या कनेक्शन लेने में आसानी होती है।
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देश उपभोक्ताओं के लिए स्पष्ट हैं। समय पर देयक जमा न करने की स्थिति में उपभोक्ताओं को चक्रवृद्धि ब्याज का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ सकता है। इसलिए, उपभोक्ताओं से आग्रह है कि वे समय पर अपने बिलों का भुगतान करें और विद्युत अधिनियम 2003 के अंतर्गत आने वाले नियमों का पालन करें।
बिजली बिलों के समय पर भुगतान से न केवल उपभोक्ता ब्याज के बोझ से बच सकते हैं, बल्कि उन्हें कानूनी कार्यवाही से भी सुरक्षित रखा जा सकता है। कंपनी के द्वारा प्रदान किए गए विभिन्न ऑनलाइन और ऑफलाइन भुगतान विकल्पों का उपयोग कर उपभोक्ता अपने बिलों का भुगतान आसानी से कर सकते हैं।
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