शिक्षा विभाग के संरक्षण में समूह संचालक मस्तराम का भ्रष्टाचार: करौंदी खुर्द के सगमन टोला प्राथमिक विद्यालय में मीनू के आधार पर नहीं मिल रहा मध्यान्ह भोजन
written and edited by : Adil Aziz अगस्त 08, 2024
report : Neeraj Tiwari , Barhi
कटनी जिले के बरही संकुल क्षेत्र में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है, जहां शासकीय प्राथमिक शाला सगमनटोला करौंदी खुर्द में मीनू के अनुसार मध्यान्ह भोजन नहीं परोसा जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा बच्चों को पौष्टिक और स्वच्छ भोजन देने की योजना का यहां पालन नहीं हो रहा है। समूह संचालक मस्तराम की मनमानी और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के संरक्षण के कारण यह भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है। राममित्र हल्दकार हेडमास्टर प्राथमिक शाला भवन सगमन टोला करौंदी खुर्द से जब पूछा गया की मध्यान भोजन में क्या मिल रहा है तो उन्होंने भी बताया की मेनू की मुताबिक मध्यान भोजन बच्चो को नहीं दिया जा रहा है। वीडियो में आप सुन सकते है
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मध्यान्ह भोजन योजना का उद्देश्य और वर्तमान स्थिति
प्रदेश सरकार ने स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को पौष्टिक और रुचिकर मध्यान्ह भोजन देने की योजना चलाई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों की उपस्थिति को बढ़ाना और उन्हें पौष्टिक भोजन प्रदान करना है ताकि वे स्वस्थ और तंदुरुस्त रह सकें। लेकिन करौंदी खुर्द के सगमन टोला प्राथमिक विद्यालय में यह योजना असफल होती नजर आ रही है।
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समूह संचालक मस्तराम की मनमानी
समूह संचालक मस्तराम के द्वारा मीनू के अनुसार मध्यान्ह भोजन नहीं बनाया जा रहा है। मस्तराम की मनमानी इस कदर हावी है कि उन्होंने बच्चों को जो भोजन परोसा, वह मीनू के अनुरूप नहीं था। जब इस बारे में मीडिया ने उनसे सवाल किया तो उनका जवाब था, "जो बनता है, वह तुम्हारे सामने है। जो छापना है, छाप दो।"
शिक्षा विभाग की चुप्पी और बच्चों के साथ अन्याय
शिक्षा विभाग के अधिकारियों की चुप्पी इस भ्रष्टाचार को और बढ़ावा दे रही है। मध्यान्ह भोजन में हो रही अनियमितताओं के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसका सीधा असर बच्चों पर पड़ रहा है, जो पौष्टिक और स्वच्छ भोजन से वंचित रह जाते हैं। यह बच्चों के स्वास्थ्य और उनके शैक्षिक विकास के साथ एक बड़ा अन्याय है।
अभिभावकों की चिंता और स्थानीय प्रतिक्रिया
गांव के अभिभावकों का कहना है कि मध्यान्ह भोजन योजना में हो रहे भ्रष्टाचार में ऊपर के अधिकारियों की मिलीभगत है। अभिभावक इस बात से चिंतित हैं कि उनके बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल रहा है, जिससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। स्थानीय निवासियों का मानना है कि अगर अधिकारियों की मिलीभगत नहीं होती, तो इस तरह की अनियमितताएं सामने नहीं आतीं।
जिला कलेक्टर के आदेश और वास्तविकता
जिला कलेक्टर का आदेश है कि प्रतिदिन हर विद्यालय में बच्चों को दिए जाने वाले मध्यान्ह भोजन का सैंपल निकाल कर सुरक्षित रखा जाए और दूसरे दिन उसे नष्ट किया जाए। लेकिन सगमन टोला प्राथमिक विद्यालय में इस आदेश का पालन नहीं हो रहा है। सैंपल सुरक्षित नहीं रखे जा रहे हैं, जिससे भोजन की गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता की उम्मीदें
जिला के नवागत कलेक्टर से जनता को पूरी उम्मीद है कि वे क्षेत्र में हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएंगे और पीड़ितों को न्याय दिलाएंगे। हालांकि अभी तक इस मामले में कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है, लेकिन जनता को उम्मीद है कि नई प्रशासनिक टीम इस मामले को गंभीरता से लेगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएगी।
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जनता की भूमिका
इस प्रकार के भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए जनता की जागरूकता और सक्रियता बहुत महत्वपूर्ण है। अगर जनता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहे और किसी भी प्रकार की अनियमितता की सूचना प्रशासन को दे, तो इस प्रकार के भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है।
निष्कर्ष
मध्यान्ह भोजन योजना का उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक और स्वच्छ भोजन प्रदान करना है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों और समूह संचालक मस्तराम की मिलीभगत के कारण यह योजना असफल हो रही है। इस भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि बच्चों को उनका हक मिल सके और वे स्वस्थ और तंदुरुस्त रह सकें। जनता की जागरूकता और प्रशासन की तत्परता से ही इस प्रकार के भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सकता है।
इस प्रकार की घटनाओं से यह स्पष्ट है कि हमें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और किसी भी प्रकार की अनियमितता की सूचना तुरंत प्रशासन को देनी चाहिए। केवल इसी तरह हम एक भ्रष्टाचार-मुक्त समाज की स्थापना कर सकते हैं और सरकारी योजनाओं का सही लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचा सकते हैं।








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